UP : मायावती ने भी खोला अखिलेश यादव के खिलाफ मोर्चा, बोलीं- सपा की अपराधियों से सांठगांठ से जनता निराश
मायावती ने कहा, सपा की भाजपा के साथ अंदरूनी मिलीभगत किसी से छिपी नहीं है और यही खास वजह है कि सपा के मुख्य विपक्षी पार्टी होने पर बीजेपी सरकार को यहां वाकओवर मिला हुआ है।
समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के केशव प्रसाद मौर्य के बीच छिड़ी जुबानी जंग के बीच में अब बहुजन समाज पार्टी (BSP) की नेता मायावती भी कूद गई हैं। बसपा सुप्रीमो ने एक साथ तीन ट्वीट करके समाजवादी पार्टी को निशाने पर लिया है।
बसपा सुप्रीमो ने पहले ट्वीट में लिखा, सपा यूपी में अपना जनाधार खोती जा रही है, जिसके लिए उसका अपना कृत्य ही मुख्य कारण है। परिवार, पार्टी व इनके गठबंधन में आपसी झगड़े, खींचतान तथा आपराधिक तत्वों से इनकी खुली सांठगांठ व जेल मिलान आदि की खबरें मीडिया में आम चर्चाओं में है तो फिर लोगों में निराशा क्यों न हो?
सपा-बीजेपी की मिलीभगत
इस के साथ ही दूसरे ट्वीट में लिखा, 'साथ ही, सपा की भाजपा के साथ अंदरूनी मिलीभगत किसी से छिपी नहीं है और यही खास वजह है कि सपा के मुख्य विपक्षी पार्टी होने पर बीजेपी सरकार को यहां वाकओवर मिला हुआ है व सरकार को अपनी मनमानी करने की छूट है। इससे आम जनता व खासकर मुस्लिम समाज का जीवन त्रस्त व उनमें काफी बेचैनी।'
सपा मुखिया की बचकानी बातें
तीसरे ट्वीट ने मायावती ने लिखा, 'सपा मुखिया अपनी इसी प्रकार की जनविरोधी कमियों को छिपाने के लिए दूसरों के खिलाफ अक्सर अनर्गल व बचकानी बयानबाजी आदि करके व करवाकर लोगों का ध्यान बांटने का प्रयास करते रहते हैं, जिससे लोगों व देश की अन्य विपक्षी पार्टियों को भी सपा से सावधान रहने की ज़रूरत है।'
मायावती के निशाने पर कांग्रेस भी
मायावती ने इससे पहले कल भी दो ट्वीट किये थे जिसमें उन्होंने कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए लिखा था, 'मुस्लिम समाज के शोषित, उपेक्षित व दंगा-पीड़ित होने आदि की शिकायत कांग्रेस के ज़माने में आम रही है, फिर भी बीजेपी द्वारा 'तुष्टीकरण' के नाम पर संकीर्ण राजनीति करके सत्ता में आ जाने के बाद अब इनके दमन व आतंकित करने (Muslim teasing) का खेल अनवरत जारी है, जो अति-दुःखद व निन्दनीय।'
यूपी के मदरसा सर्वे पर भी ट्वीट
दूसरे ट्वीट में मायावती ने लिखा था, इसी क्रम में अब यूपी में मदरसों पर भाजपा सरकार की टेढ़ी नजर है। मदरसा सर्वे के नाम पर कौम के चन्दे पर चलने वाले निजी मदरसों में भी हस्तक्षेप का प्रयास अनुचित जबकि सरकारी अनुदान से चलने वाले मदरसों व सरकारी स्कूलों की बदतर हालत को सुधारने पर सरकार को ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।