कोरोना का ज्वालामुखी: इस क्षेत्र का हुआ बुरा हाल, मजदूरों का आगमन भयावह रहा

मजदूरों की रोजाना वापसी का सिलसिला थम नहीं रहा है। जिसके चलते आये दिन संक्रमित व्यक्तियों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है।

Update: 2020-05-24 08:21 GMT

बांदा: बुंदेलखंड कोरोना के ज्वाला मुखी पर बैठा सा लग रहा है। वर्तमान में अब बिना जांच मजदूर प्रवासियों की घर वापसी और शारीरिक दूरी बेअसर और बेलगाम होने से इस क्षेत्र की स्थिति की भयावहता से इंकार नहीं किया जा सकता।

प्रवासी मजदूरों के आगमन से बढ़ा कोरोना का खतरा

वैसे भी बुंदेलखंड प्रदेश का वह गरीब इलाका है, जहां पलायन, बेरोजगारी और भुखमरी की लाचारी सुर्खियों में रहती है। इन परिस्थितियों के निराकरण को आज तक सत्ता में बैठे कथित शोषक शासकों ने ईमानदारी से सोचा ही नहीं। बांदा में रोजी - रोटी की तलाश में घर - द्वार छोड़कर महानगरों को पलायन कर गये श्रमिक जो अब वापस लौट रहे हैं। उनकी कहानी उन्हीं कि जुबानी यही चरितार्थ करती है कि "गये थे पेट की धधकती ज्वाला शांत करने, लेकिन बड़े बेआबरू होकर उनके कूचे से हम निकले"। अब हालत यह है कि मजबूरी में यह पलायन कर्ता बांदा सहित बुंदेलखंड में कोरोना संक्रमण के वाहक साबित हो रहें हैं।

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इनके जो आंकड़े अब तक उभर कर सामने आ रहे हैं। उनसे खतरे की घंटी महसूस की जा रही है। यहां जांच में आये दिन आ रही पॉजिटिव और निगेटिव रिपोर्टो में अधिकांश वापसी श्रमिक ही शामिल हैं। हर वर्ष बांदा चित्रकूट सहित यूपी के बुन्देलखंड के सभी सातों जिलों से लाखों मजदूर परिवार देश के विभिन्न महानगरों में रोजगार के लिये जाते हैं। दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, अहमदाबाद आदि इलाके इनके खास अड्डे हैं। सरकारी आकड़ों के मुताबिक बांदा मंडल मुख्यालय के चारों जिलों चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर, जनपदों से लगभग 13 लाख से ज्यादा मजदूरों ने पलायन किया है। लॉकडाउन के बाद बड़ी संख्या में इनके वापस लौटने का सिलसिला जारी है।

2 हफ्ते में 2 दर्जन से ज्यादा प्रवासी कोरोना पॉजिटिव

रोजी कमाने गये मजदूर अब वहां से कमाई की बजाय कोरोना का संक्रमण लेकर वापस लौट रहें हैं। दो सप्ताह के अंदर बांदा जिले में दो दर्जन से ज्यादा प्रवासी कोरोना संक्रमित पाये गये हैं। इनमें जिले के नरैनी, तिंदवारी, बबेरू, जसपुरा आदि क्षेत्रों सहित शहर के कुछ मजदूर भी शामिल हैं। यह सभी बांदा के राजकीय मेडिकल कालेज में रखे गये हैं। और भर्ती किये जाते हैं। चित्रकूट में 17 पाजटिव मिले। मजदूरों की रोजाना वापसी का सिलसिला थम नहीं रहा है। जिसके चलते आये दिन संक्रमित व्यक्तियों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। अभी बड़ी सख्या में मजदूरों की वापसी के अनुमान हैं।

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सबसे ज्यादा खतरा अब वर्तमान स्थितियों से उत्पन्न हो सकता है। क्योकि अब बिना जांच भी प्रवासियों की घर वापसी हो रही है। क्वारंटीन सेंटरों में बदहाली है। यहां के गावों में सामाजिक दूरी बेअसर साबित हो रही है। इन हालातों में गांव कोरोना के टाइम बम पर हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी संतोष कुमार का दावा है कि संक्रमण के प्रति स्वास्थ विभाग सजग है। यहां तक कि जरूरत पर शहरी और ग्रामीण इलाके सेनेटराइज भी किये गये। प्रशासन लाक डाउन के नियमों के प्रति सख्त है। सावधानी जरूरी है।

शरद चंद्र मिश्रा

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