Jhansi Crime News: पिस्टल ही खोलेगी कमलेश कांड का राज, हत्या या आत्महत्या में उलझी मौत, पैसों के लेन देन पर भी अटकी है जांच
Jhansi Crime News: युवा व्यवसायी कमलेश यादव की मौत अब पुलिस के लिए लगातार सिरदर्द बनती जा रही है। पुलिस ने हर बिन्दुओं को लेकर जांच की है। अब जांच का सारा दारोमदार कमलेश यादव की पिस्टल पर आकर रुक गई है।
Jhansi Crime News: युवा व्यवसायी कमलेश यादव की मौत (Young businessman Kamlesh Yadav death case) अब पुलिस के लिए लगातार सिरदर्द बनती जा रही है। पुलिस ने हर बिन्दुओं को लेकर जांच की। साथ ही पुलिस ने कमलेश के पार्टनर, रिश्तेदार व दर्जनों लोगों से पूछताछ की मगर किसी प्रकार का अब तक क्लू नहीं मिला है। माना जा रहा है कि जब तक कमलेश यादव की पिस्टल नहीं मिल जाती, तब तक किसी प्रकार का राज नहीं खुल सकता है। यही नहीं, हत्या या आत्महत्या की भी संभावना जताई जा रही है।
मालूम हो कि मध्य प्रदेश के दतिया के थाना जिगना (Datia police station Jigna) के ग्राम कमराई निवासी कमलेश यादव (Kamlesh yadav) का शव 14 जनवरी 2022 को रायल सिटी की पुलिया के पास मिला था। दूसरे दिन तीन चिकित्सकों ने कमलेश का पोस्टमार्टम किया था। पोस्टमार्टम में पूरी तरह से साफ हो गया कमलेश यादव की मौत गोली लगने से हुई थी। कमलेश के सीने में सटाकर पिस्टल से उसे गोली मारी थी।
कमलेश के शरीर में चोट के तमाम निशान मिले थे। बांया हाथ टूटा था। चेहरे पर चोट के कई निशान थे। पुलिस ने हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया था। पुलिस ने कमलेश के मोबाइल फोन की सीडीआर समेत पैसों के लेन-देन का ब्यौरा खंगाला था। इसमें अधिकांश युवा पीढ़ी के मोबाइल फोन नंबर आए थे। इस आधार पर पुलिस ने कमलेश यादव के साथ बैठक करने व पैसों का लेनदेन करने वाले युवा पीढ़ी से पूछताछ की। इसकी संख्या दर्जनों है, मगर अब तक किसी प्रकार का सुराग नहीं मिला है।
कहां गई पिस्टल, अब तक पता नहीं
कमलेश यादव के पास लाइसेंसी खुद की पिस्टल थी। कमलेश यादव के सीने से निकली गोली भी पिस्टल के होने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि अभी तक कमलेश की पिस्टल नहीं मिली है। जब तक कमलेश की पिस्टल नहीं मिल सकती हैं, तब तक कमलेश कांड फंसे रहने की आशंका है।
कार सवार दंपति आदि से की गई पूछताछ
बताते हैं कि जहां पर कमलेश यादव का शव मिला था। वहां के मोबाइल फोनों के लुकेशन के बारे में जानकारी ली। पता चला कि कमलेश यादव को जिस गाड़ी ने टक्कर मारी थी, वह गाड़ी रेलवे के स्टॉफ की थी। इस मामले में पुलिस ने दंपति को पूछताछ के लिए बुलाया था। पूछताछ के बाद उन्हें छोड़ दिया गया। बताते हैं कि कमलेश यादव के शरीर में जो चोटों के निशान थे, वह किसी गाड़ी की टक्कर के हो सकते हैं।
भ्रष्टाचार कार्यालय के बने बने आश्रम के सीसीटीवी कहां गए?
बताते हैं कि सीपरी बाजार थाना क्षेत्र (Sipri Bazar Police Station Area) के मरघट के पास भ्रष्टाचार का कार्यालय बना हुआ है। इसी कार्यालय के पास एक आश्रम बना है। मरघट के सामने भ्रष्टाचार कार्यालय से निकला रास्ता आश्रम के बगल से हाइवे पर मिलता है। आश्रम पर भी सीसीटीवी कैमरे लगे थे मगर कैमरे कहां गए। अब तक पता नहीं चला है। यह भी चर्चा का विषय बना हुआ है।
कमलेश यादव अपने साथियों के साथ चलाता था पैसों की सोसाइटी
सूत्र बताते हैं कि कमलेश यादव अपने साथियों के साथ बैठकर पैसों की सोसाइटी चलाता था। इसमें नेता, धनाढ़य व्यापारी व अन्य महत्वपूर्ण लोगों के लड़के जुड़े हुए थे। सोसाइटी (पत्ती) लाखों में खोली जाती थी। जिसकी पत्ती नाम हो जाती थी, उस पत्ती के हिसाब से कमलेश चार प्रतिशत ब्याज पर ले लेता था। इसी सोसाइटी से जुड़े युवा अपने रिश्तेदार व अन्य लोगों से पैसा लेकर कमलेश यादव को ब्याज पर दे देते थे। जिन लोगों से कमलेश यादव का लाखों का लेनदेन था, उनमें कुछ लोगों का पैसा दे दिया था। शेष रुपया बाद में देने की बात कही थी।
कुछ समय में ही बन गया था करोड़पती
व्यवसायी कमलेश यादव ने बहुत कम समय में ही बेशुमार दौलत एकत्र कर ली। कमलेश का परिवार दूध बांटने में परिवार का मदद करता था। कमलेश ने छह माह पहले रक्सा थाना क्षेत्र में स्थित करौंदी माता मंदिर के पास एक करोड़ आलीशान घर खरीता था। इन दिनों यहीं वह पत्नी एवं दो बच्चों के साथ रहता था। कम समय में करोड़ों की दौलत बना लेने से हैरान थे। कमलेश के पास दस युवकों का एक ग्रुप भी था, जो सिर्फ कमलेश के लिए काम करता था।
डीके कंपनी कहां गई?
कमलेश और उसके दोस्त ने डीके कंपनी बनाई थी। इस कंपनी में कई युवा जुड़े हुए थे। छोटे स्तर से लेकर बड़े स्तर का कारोबार करते थे। जैसे ही कमलेश करोड़ पति हो गया तो उसके साथियों के मध्य वर्चस्व की लड़ाई शुरु हो गई थी। बाद में डीके कंपनी टूट गई थी। इसी बात को पूर्व में कईयों बार बवाल भी हो चुके हैं। इस कंपनी में दिल्ली से लेकर झाँसी तक के युवा शामिल थे। इसी कंपनी के कुछ लोग माफिया भी बन चुके हैं?
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