Jhansi News: अटल बिहारी की याद में बनी रेलवे की पटरियां ट्रेन के इंतजार में, जानिए क्या है मामला

Jhansi News: झांसी में ग्वालियर-भिण्ड-इटावा सेक्शन रेल यातायात के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।

Report :  B.K Kushwaha
Published By :  Divyanshu Rao
Update:2021-08-08 07:18 IST

खजुराहो रेलवे स्टेशन

Jhansi News: उत्तर प्रदेश (Utttar Pradesh) के झांसी में ग्वालियर-भिण्ड-इटावा सेक्शन रेल यातायात के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। क्योंकि इसी सेक्शन में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी का जन्मस्थल है। 2014 में रेलवे बोर्ड ने उक्त सेक्शन में कई महत्वपूर्ण ट्रेनों को संचालन करने का निर्णय लिया था। मगर अटल बिहारी बाजपेयी के निधन होने के बाद भाजपा सरकार के मंत्रियों व यूपी सरकार ने इस सेक्शन की ओर ध्यान देना बंद कर दिया हैं। क्योंकि यह इलाका बुन्देलखंड वासियों के लिए काफी प्रसिद्ध है।

हालांकि यह इलाका काफी गरीब है। इस इलाके में रहने वाले लोग जनरल टिकट पर सफर तो कर सकते हैं मगर आरक्षित सीट बुक करने के लिए इतना पैसा नहीं है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए इस सरकार ने उक्त सेक्शन से मनमोह ले लिया है।

ग्वालियर-भिंड-इटावा सेक्शन में यातायात बहुत ही कम है

वर्तमान में इस रूट पर सिर्फ एक ट्रेन चल रही है। रेलवे स्टेशन भिण्ड पर जब भी कोई यात्री ट्रेन आती है। तब स्टेशन पर पीने के लिए पानी की कोई भी सुविधा नहीं है। स्टेशन पर अक्सर लाइट नहीं रहती है रिजर्वेशन कराने जाओ तो हमेशा लाइट न रहने के कारण रिजर्वेशन ही नहीं किया जाता है।

इसी तरह भिंड इटावा सेक्शन में ट्रेनों का यातायात बहुत कम है। जबकि भिण्ड से इटावा जाने वाले लोग काफी मात्रा में स्टेशन पर जाते हैं किंतु उन्हें कोई भी इटावा के लिए ट्रेन नहीं मिलती है। वर्तमान में इटावा और ग्वालियर के मध्य सिर्फ एक ही ट्रेन चल रही है।

रेलवे ट्रैक खाली होने पर बढ़ा अपराध

इसके कारण रेलवे ट्रैक खाली होने के कारण रेलवे ट्रैक पर अपराध भी बढ़ जाता है। रेलवे ट्रैक बिजी न होने के कारण चोरों को चोरी करने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है। अभी इस सेक्शन में रेल विद्युतीकरण का कार्य किया जा रहा है। उक्त विद्युतीकरण कार्य एक निजी कंपनी द्वारा किया जा रहा है।

रेलवे ट्रैक पर खड़ी ट्रेन की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)


इस कार्य के दौरान अभी ग्वालियर इटावा सेक्शन में चार पांच बार विद्युतीकरण में उपयोग होने वाले तांबे के तार की चोरी हो गई। उन सभी घटनाओं में चोरी की जानकारी जब ट्रैक से कोई गाड़ी गुजरी तभी हुई। ट्रैक पर यदि यातायात अधिक होता तो शायद चोरी की घटनाओं में समय से सूचना मिल जाती थी।

निजी कंपनी तकनीक का सही उपयोग नहीं कर रही

रेल विद्युतीकरण का कार्य कर रही निजी कंपनी द्वारा तकनीक का सही उपयोग नहीं किया जा रहा है। क्योंकि जब भी चोरी की वारदात होते हैं तो कोई भी ट्रिप नहीं होता है इससे चोरी की घटना की जानकारी नहीं हो पाती है, यदि तकनीक का सही उपयोग होता तो सभी वारदातों में सूचना समय से मिल जाती। निजी कंपनी द्वारा ना ही विद्युतीकरण कार्य के लिए कोई भी सुरक्षा का इंतजाम किया गया है।

262 व 465 का फेर खाकर जा रही हैं ट्रेनें

05046/ 05045 ओखा -गोरखपुर एक्सप्रेस, 09059/09060 सूरत -मुजफ्फरपुर एक्सप्रेस ट्रेनें 262 का फेर खाकर संबंधित स्थान पर पहुंच रही हैं। सत्यता यह है कि यह ट्रेनें गुना से सीधे शिवपुरी, ग्वालियर व इटावा पहुंच सकती हैं। इस ट्रेन का किमी 344 है। जबकि वर्तमान में यह ट्रेनें गुना-बीना-झाँसी- ग्वालियर-आगरा-फिर इटावा पहुंच रही है।

रेलवे स्टेशन की ओर आती ट्रेन की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)


इस प्रकार यह ट्रेन 606 किमी की दूरी तय कर रही हैं। वहीं, रेलयात्री अनिल कुमार गुप्ता का कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के जन्मदिन पर सुशासन एक्सप्रेस चालू की गई थी। उस समय यह ट्रेन ग्वालियर-भिण्ड-इटावा-कानपुर-लखनऊ-बलरामपुर जाती थी। यह ट्रेन 492 किमी का सफर था मगर अब यह ट्रेन ग्वालियर से सीधे गाजियाबाद-लखनऊ-बलरामपुर जा रही है। इस प्रकार यह ट्रेन 952 किमी का सफर तय कर रही हैँ। कुल मिलाकर 465 का फेर हैं।

कोरोना के कारण बंद पड़ी हैं यह ट्रेनें

झांसी-इटावा पैसेंजर, झाँसी-रतलाम लिंक एक्सप्रेस, कोटा-इटावा एक्सप्रेस और ग्वालियर-भिण्ड पैंसेजर कोरोना के चलते बंद पड़ी है। इस ट्रेनों के न चलने से रेलवे को काफी नुकसान हो रहा है। रेलयात्री आदित्य भदौरिया ने कहा है कि इन ट्रेनों के चलने से रेलवे के राजस्व में बढ़ोत्तरी होगी। साथ ही रेलयात्रियों को सुविधा मिलेगी।

30 साल बाद ट्रेनों के लिए तैयार हुई थी इटावा-भिण्ड लाइन

करीब 30 साल बाद इटावा-भिंड रेलवे लाइन पैसेंजर ट्रेनों के लिए पूरी तरह तैयार हुई थी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के 91 वें जन्मदिन पर सुशासन एक्सप्रेस 04199/04200 ट्रेन चालू की गई थी। यह ट्रेन पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेई की जन्मस्थली बटेश्वर से गुजरना शुरु हुई थी।

रेलवे ट्रैक पर खड़ी ट्रेन की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)


कुछ दिनों तक यह ट्रेन चली। बाद में इस ट्रेन का रुट ही बदल दिया गया। इस ट्रेन का ग्वालियर- इटावा- कानपुर- लखनऊ 492 किमी का सफर था। लेकिन इस ट्रेन का रुट ही बदल दिया गया। यह ट्रेन ग्वालियर से सीधे निजामुद्दीन जाएगी। इसके बाद वहां से वापस होकर इसी रुट से जाएगी। इस प्रकार 465 किमी का फेर किया गया। जहां 492 किमी ट्रेनों को चलना था। अब वह 952 किमी दूरी तक चल रही है। इसमें भी कहीं न कहीं गोलमाल नजर आ रहा है।

1985 से चल रही थी कवायद

1985 में माधव राव सिंधिया की पहल पर इटावा-ग्वालियर और गुना तक रेलवे ट्रैक का सर्वे हुआ। 1989 में भिंड-गुना वाया ग्वालियर लाइन पर काम शुरू हुआ और 2002 में ट्रेन चल पड़ी। लेकिन 36.4 किमी लंबी इटावा-भिंड लाइन अब तक अधूरी है। इस लाइन पर काम पूरा करने का टारगेट 2011 था। हालांकि चंबल ब्रिज के पांचवें पिलर में दरार से मुश्किलें पैदा हो गईं। दिसंबर-2014 में कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी (सीआरएस) ने निरीक्षण कर प्रॉजेक्ट में कई कमियां निकालीं। बरसात खत्म होते ही काम तेज हुआ। बीते दिनों तकरीबन सारे काम निपटा लिए गए थे।

आधी रह गई थी ट्रेनों की रूट की दूरियां

इटावा से ग्वालियर की दूरी 240 किमी है। यह लाइन चालू हो गई थी, तब दूरी सिर्फ 120 किमी हो गई थी। इससे कानपुर-झांसी और आगरा रूट पर ट्रैफिक भी कम हो गया था। यूपी से महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के लिए ज्यादा ट्रेनें चलाने का रास्ता खुल गया था। ग्वालियर-इंदौर इंटरसिटी, ग्वालियर-भिंड पैसेंजर, भिंड-कोटा पैसेंजर, ग्वालियर-गुना पैसेंजर इटावा शुरु हो गई थी।

महोबा-खजुराहो के मध्य नए विद्युतिकृत खंड पर प्रथम बार दौड़ी रेलगाड़ी

झांसी मंडल के महोबा-खजुराहो नए विद्युतिकृत रेलखंड पर पहली बार मालगाड़ी दौडाई गयी। हाल ही में सम्पन्न हुए रेल संरक्षा आयुक्त के निरीक्षण उपरांत उक्त रेलखंड पर अधिकतम स्वीकृत अनुमेय गति 100 किमी प्रति घंटा निर्धारित की गयी है। उल्लेखनीय है कि झांसी मंडल के ज्यादातर भाग विद्युतिकृत है।

शेष बचे ब्रॉड गेज खंड पर विद्युतीकरण का कार्य प्रगति पर है। महोबा-खजुराहो रेलखंड 64 किलोमीटर का है। जिसमें लगभग 50 करोड़ की लागत से विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। यह कार्य महोबा-खजुराहो-उदयपुरा खंड के अंतर्गत किया गया है। उक्त खंड में खजुराहो से उदयपुरा के मध्य विद्युतीकरण का कार्य प्रगति पर है। विद्युतीकृत ऊर्जा पर्यावरण के अनुकूल होती है, इसके इस्तेमाल से कार्बन के उत्सर्जन में कमी आती है जोकि पर्यावरण के लिए बेहद लाभप्रद है।

फिर पैसेंजर रहेगी रद्द

पीआरओ मनोज कुमार सिंह के मुताबिक परिचालनिक कारणों से ट्रेनों को कॉशन पर धीमी गति से संचालित किये जाने के कारण ट्रैक पर अतिप्रजन होने के चलते गाड़ियों का संचालन रद्द किया जा रहा है। गाडी सं 01807 झांसी-आगरा व आगरा-झांसी पैसेंजर 9 से 15 अगस्त तक रद्द रहेगी।

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