Kanpur News: पनकी थाने से केस डायरी गायब होने पर 5 दरोगाओं के खिलाफ मुकदमा, जांच शुरू

Kanpur News: आलोक ने जब केस डायरी चैकी, थाने, एसीपी कार्यालय पनकी में खोजबीन की तो नहीं मिली, इसके बाद 29 अप्रैल 23 को तस्करा अंकित कराया।

Update:2023-07-14 13:31 IST

Kanpur News: पनकी थाने से दो मामलों की केस डायरी गायब होने पर दरोगा आलोक कुमार तिवारी ने पांच दरोगाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। दोनों मामलों में दोबारा जांच का आदेश कोर्ट से हुआ तो केस डायरी गायब होने का खुलासा हुआ। पुलिस कमिश्नर ने पूरे मामले का संज्ञान लेते हुए जांच बैठा दी है।
एसीपी पनकी ने बताया कि पनकी इंडस्ट्रियल एरिया चैकी इंचार्ज दरोगा आलोक तिवारी को 28 अप्रैल को दो पुराने मामले क्राइम नंबर-189/2016 बाइक चोरी और दूसरा क्राइम नंबर-175/2017 लूट और मारपीट के मामले की दोबारा जांच के लिए कोर्ट के आदेश पर सौंपा गया था। आलोक ने जब केस डायरी चैकी, थाने, एसीपी कार्यालय पनकी में खोजबीन की तो नहीं मिली, इसके बाद 29 अप्रैल 23 को तस्करा अंकित कराया।

फोन से पूर्व दरोगाओं से की बात-

इसके बाद एसीपी पनकी टीबी सिंह और डीसीपी वेस्ट विजय ढुल को इस संबंध में जानकारी दी। इस पर सभी दरोगाओं से फोन पर वार्ता की तो सभी बोले केस डायरी हमको प्राप्त नहीं हुई है। जांच के दौरान सामने आया कि दोनों ही मामलों की पनकी थाने में तैनात रहे दरोगा अनिल कुमार पांडेय, धीरेंद्र सिंह, अनिल कुमार, देवीशरण और मनोज कुमार सिंह ने जांच की थी। इन विवेचकों की लापरवाही के चलते केस डायरी गायब हुई है। चैकी इंचार्ज आलोक की तहरीर पर इन सभी पांच दरोगाओं के खिलाफ आईपीसी की धारा-409 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
केस डायरी कहां से लापता हुई इसकी जांच शुरू-
पनकी थाना पहले कल्याणपुर सर्किल में आता था, लेकिन अब पनकी सर्किल नया बनने के बाद इसमें शामिल कर लिया गया। कल्याणपुर सर्किल से सामान शिफ्ट किया जा रहा है, इसके साथ ही यह भी जांच की जा रही है कि पूर्व विवेचकों ने कोर्ट से केस डायरी ली भी थी या नहीं। जांच के बाद ही साफ हो सकेगा कि केस डायरी कहां से लापता हुई।

क्या है आईपीसी की धारा 409?-

भारतीय दंड संहिता की धारा 409 के अनुसार, जो भी कोई लोक सेवक के नाते अथवा बैंक कर्मचारी, व्यापारी, फैक्टर, दलाल, अटर्नी या अभिकर्ता के रूप में किसी प्रकार की संपत्ति से जुड़ा हो या संपत्ति पर कोई भी प्रभुत्व होते हुए उस संपत्ति के विषय में विश्वास का आपराधिक हनन करता है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा, जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है और साथ ही आर्थिक दंड से दंडित किया जा सकता है।

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