बसपा सुप्रीमों मायावती के खिलाफ दायर मुकदमा वापस

घटना से छुब्ध होकर वादी द्वारा परिवाद 2 अगस्त 2016 को दाखिल किया था जो माननीयों के परिवाद को देखते हुए इलाहाबाद कोर्ट हस्तांतरित होकर आ गया था।

Update: 2019-01-28 14:32 GMT

प्रयागराज: प्रतापगढ़ के अधिवक्ता अरविन्द कुमार द्वारा बसपा सुप्रीमों मायावती समेत बसपा के नेता सतीश चंद्र मिश्र, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, राम अचल राजभर, मेवालाल के खिलाफ 2016 में प्रतापगढ़ के सीजेएम कोर्ट में दाखिल परिवाद को वादी के 200 तथा गवाह के 202 दण्ड प्रक्रिया संहिता के बयान के दर्ज होने के कारण परिवाद की कार्यवाही पूर्ण किये जाने के लिए विशेष जज एमपी एमएलए पवन कुमार तिवारी ने पत्रावली वापस किये जाने का आदेश 7 फरवरी की तिथि तय करते हुए किया है।

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उक्त परिवाद को वादी द्वारा राज्यसभा में 20 जुलाई 2016 को दिए गए बसपा सुप्रीमों के वक्तव्य तथा 21 जुलाई को लखनऊ के हज़रतगंज में अम्बेडकर प्रतिमा के सामने पूर्व मंत्री नसीम उद्दीन सिद्दीकी, बसपा राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र, प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर, राष्ट्रीय सचिव मेवा लाल द्वारा मायावती के कहने पर बलिया के दया शंकर सिंह, उनकी 12 वर्षीय नाबालिग पुत्री, उनकी वृद्ध मां, व स्वाति सिंह के खिलाफ गाली गलौज, असंसदीय भाषा का प्रयोग व कार्यकर्ताओं को उकसा कर उन लोगों के खिलाफ दया शंकर को फांसी दो के नारे लगवाना था। जिससे उन सभी के साथ देश की तमाम महिलाओं का अपमान किया गया। जिससे दया शंकर की पुत्री सदमे में आ गयी। मां बीमार हो गईं। इसकी घटना से छुब्ध होकर वादी द्वारा परिवाद 2 अगस्त 2016 को दाखिल किया था जो माननीयों के परिवाद को देखते हुए इलाहाबाद कोर्ट हस्तांतरित होकर आ गया था।

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