सहायक सांख्यिकी अधिकारी के परिणाम को चुनौती

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उनके खिलाफ गाजियाबाद जिला न्यायालय में चल रहे मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। दुग्गल के खिलाफ गाजियाबाद के कवि नगर थाने में धोखाधड़ी, कूट रचना और आपराधिक षड्यंत्र की धाराओं में मुकदमा दर्ज है।

Update: 2023-05-13 17:01 GMT

प्रयागराज: लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सहायक सांख्यिकी अधिकारी के सात सितम्बर को जारी अंतिम चयन परिणाम को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी है। इस मामले को लेकर दाखिल याचिका में कहा गया है कि 373 पदों के सापेक्ष सिर्फ 116 का चयन किया गया, जबकि याचीगण सफल अभ्यर्थी हैं और साक्षात्कार में शामिल हुए हैं। नागेश्वर चंद्र और अन्य की याचिकाओं पर न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने आयोग से एक अक्टूबर तक जवाब मांगा है।

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याची के अधिवक्ता सीमांत सिंह का कहना था कि मार्च 2017 में 373 सहायक सांख्यिकी अधिकारियों के चयन हेतु विज्ञापन निकाला गया। 11 नवम्बर 2018 को स्क्रीनिंग परीक्षा हुई। इसके बाद 340 अभ्यर्थियों को साक्षात्कार हेतु बुलाया गया। जिसमें से साक्षात्कार के 304 अभ्यर्थी पहुंचे। साक्षात्कार 22 से 30 अगस्त 2019 तक चला। सात सितम्बर 2019 को अंतिम परिणाम घोषित किया गया। कुल 116 का चयन किया गया। याचीगण का कहना है कि चयन प्रक्रिया 2012 की नियमावली के तहत आयोजित की गयी। जिसमें साक्षात्कार में न्यूनतम अंक प्राप्त करने की बाध्यता नहीं है। इसके बावजूद साक्षात्कार में शामिल अभ्यर्थियों को चयनित नहीं किया गया, जबकि पद रिक्त हैं।

बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के चेयरमैन को हाईकोर्ट से मिली राहत

श्रीराम कैपिटल सहित श्रीराम ग्रुप की कई कंपनियों में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के चेयरमैन अरूण दुग्गल को धोखाधड़ी के मामले में हाईकोर्ट से राहत मिली है।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उनके खिलाफ गाजियाबाद जिला न्यायालय में चल रहे मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। दुग्गल के खिलाफ गाजियाबाद के कवि नगर थाने में धोखाधड़ी, कूट रचना और आपराधिक षड्यंत्र की धाराओं में मुकदमा दर्ज है।

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मुकदमें में उन्मोचित (डिस्चार्ज) करने के लिए उसने एसीएम गाजियाबाद के यहां अर्जी दी थी। अर्जी खारिज होने पर एडीजे के यहां निगरानी दाखिल की गयी। एडीजे ने भी निगरानी खारिज कर दी, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी है। याचिका पर न्यायमूर्ति राजीव जोशी ने सुनवाई की।

दुग्गल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी और अभिनव गौर का कहना था कि याची के खिलाफ चेक के दुरूपयोग का मुकदमा दर्ज है। जिसमें उसने डिस्चार्ज की अर्जी दी थी। कोर्ट ने प्रदेश सरकार और अन्य विपक्षियों से जवाब मांगते हुए मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगा दी है।

हाई केार्ट के नये परिसर से यदि पर्यावरण को नुकसान हुआ है तो सरकार दूसरे तरीके से करे भरपाई

इलाहाबाद हाई केार्ट की लखनऊ खंडपीठ ने कहा है कि गोमतीनगर में बने हाई केार्ट के नये परिसर के निर्माण से यदि पर्यावरण केा नुकसान हुआ है तो सरकार दूसरे श्रोतों से उसकी भरपाई करने का समुचित प्रयास करे।

यह आदेश चीफ जस्टिस गोविंद माथुर व जस्टिस पंकज भाटिया की बेंच ने स्थानीय वकील सुरेंद्र प्रसाद गुप्ता की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया।

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याची का कहना था कि हाई कोर्ट के नये परिसर के निर्माण के दौरान काफी बड़े जल श्रोतों का भी अधिग्रहण कर उस पर निर्माण कर दिया गया जिस कारण यह जरूरी हो जाता है कि पर्यावरण संतुलन बनाये रखने के लिए केार्ट परिसर के निकट कम से कम देा एकड़ के जल श्रोत का निर्माण किया जाये।

याची की मांग के जवाब में सरकारी वकील ने कहा कि परिसर के निकट पहले से ही जल श्रोत मौजूद है।

याचिका पर सुनवायी करते हुए बेचं ने कहा कि चूंकि परिसर का निर्माण काफी पहले अक्टूबर 2016 में हो चुका है लिहाजा अनुच्छेद 226 के तहत अधिकारों का प्रयोग करके याची की मांगो का मानने का कोई औचित्य नहीं है।

बेंच ने यह कहकर याचिका को निस्तारित कर दिया कि यदि परिसर के निर्माण से पर्यावरण को केाई नुकसान हुआ है तो सरकर उनकी अन्य श्रोतों से भरपाई करने का पूरा प्रयास करे।

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