Lucknow News: पुनर्वास विवि में बनेगा इंटरडिसिप्लनरी कंप्यूटेशनल अध्ययन केंद्र, हिंदी में होगी लॉ की पढ़ाई

Rehabilitation University: विधि विभाग की ओर से विभागाध्यक्ष प्रो. शेफाली यादव ने प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने एक वर्ष की योजना में बताया कि विधि की पढ़ाई हिन्दी में भी कराई जाएगी। इसके लिए तैयारियां कर लीं गईं हैं। कमजोर विद्यार्थियों के लिए रेमेडियल और ट्यूटोरियल कक्षाओं का भी संचालन किया जाएगा।

Report :  Abhishek Mishra
Update: 2024-05-29 13:30 GMT

Lucknow News: डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से इंडस्ट्री की डिमांड के अनुसार सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किए जाएंगे। साथ ही इंडस्ट्री की मदद से बीएससी व एमएससी पाठ्यक्रम शुरू होंगे। इंडस्ट्री ओरिएंटेड रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए पीपीपी मॉडल पर सेंटर फॉर इंटरडिसिप्लनरी कंप्यूटेशनल स्टडीज की स्थापना होगी।

आईटी विभाग ने प्रस्तुत की कार्ययोजना

आईटी विभाग के डॉ. दिनेश सिंह ने आगामी तीन व पांच वर्ष की कार्ययोजनाओं का प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने बुधवार को विभागवार प्रस्तुतीकरण के तहत कुलपति प्रो. संजय सिंह के समक्ष सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की आगामी एक, तीन व पांच वर्ष की कार्ययोजनाओं का प्रजेंटेशन दिया। डॉ. दिनेश सिंह ने एक वर्षीय कार्ययोजना में फैकल्टी डेवलेपमेंट प्रोग्राम, सेमीनार, कार्यशाला व सम्मेलन के आयोजन और छात्रों को इंडस्ट्रियल विजिट कराने का प्रस्ताव दिया है।

लॉ की पढ़ाई हिंदी मे कराने की तैयारी

विधि विभाग की ओर से विभागाध्यक्ष प्रो. शेफाली यादव ने प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने एक वर्ष की योजना में बताया कि विधि की पढ़ाई हिन्दी में भी कराई जाएगी। इसके लिए तैयारियां कर लीं गईं हैं। कमजोर विद्यार्थियों के लिए रेमेडियल और ट्यूटोरियल कक्षाओं का भी संचालन किया जाएगा। तीन वर्षीय कार्ययोजना में दिव्यांग छात्रों की पढ़ाई के लिए ऑडियो-विजुअल उपकरण लाने का प्रस्ताव रखा। इसके अलावा भारत में विकलांगों के पुनर्वास में उत्तर प्रदेश की भूमिका पर रिसर्च की जाएगी। दिव्यांगो के लिए उपलब्ध अन्य महत्वपूर्ण कानूनों नेशनल ट्रस्ट एक्ट/आरसीआई एक्ट, योजनाओं और नीतियों की उपयोगिता का आंकलन भी किया जाएगा।

दिव्यांगों को मुफ्त विधिक सहायता दी जाएगी

विधि विभाग की ओर से पांच वर्षीय कार्ययोजना में विधिक सहायता केन्द्र की मदद से दिव्यांगों को मुफ्त विधिक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। महत्वपूर्ण कानूनों और विनियमों की प्रवर्तनीयता में समस्याएं और समाधान सुझाए जाएंगे। कानूनी सहायता केन्द्र के जरिए विकलांगों के लिए प्रो-बोनो कानूनी सेवाएं शुरू की जाएंगी। दिव्यांगों के लिए सम्पत्ति और विरासत से सम्बन्धित अधिकारों के लिए एक कानूनी ढांचा विकसित विकसित करने का प्रयास किया जाएगा। दिव्यांगों को ‘विशेष अल्पसंख्यक समूह’ के रूप में मान्यता दिलाने का प्रयास किया जाएगा।

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