कहां गया विकास: बुरे हाल में चंबल का बीहड़, उठाई गई फिल्म सिटी बनाने की मांग

फिल्मों की शूटिंग के दौरान खिल उठे चेहरों पर मंगलवार को मायूसी छा गई। जब सीएम ने फिल्म सिटी का निर्माण चंबल के बीहड़ों से हटाकर अन्य स्थान पर कर दिया।

Update: 2020-09-23 10:27 GMT
कहां गया विकास: बुरे हाल में चंबल का बीहड़, उठाई गई फिल्म सिटी बनाने की मांग (social media)

औरैया: फिल्मों की शूटिंग के दौरान खिल उठे चेहरों पर मंगलवार को मायूसी छा गई। जब सीएम ने फिल्म सिटी का निर्माण चंबल के बीहड़ों से हटाकर अन्य स्थान पर कर दिया। मुरझाए चेहरों से ग्रामीणों ने दस्यु दलों द्वारा की गई बर्बरता की कहानियां भी सुनाई।

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चंबल के बीहड़ों में ऐसे दृश्य हैं जहां पर फिल्म की शूटिंग बहुत ही बेहतरीन तरीके से की जा सकती है

जैसे ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा नोएडा में फिल्म सिटी बनाए जाने की घोषणा की गई। उसी दौरान चंबल के निवासियों की आशा की किरण भी धूमिल हो गई। उन्होंने कहा कि चंबल के बीहड़ों में ऐसे दृश्य हैं जहां पर फिल्म की शूटिंग बहुत ही बेहतरीन तरीके से की जा सकती है। यहां पर वह सभी साधन उपलब्ध हैं जिनकी फिल्मों में आवश्यकता होती है। बीहड़ के लोगों ने मुख्यमंत्री से अपनी घोषणा पर पुनर्विचार किए किये जाने की गुहार लगाते हुए कहा कि यदि फिल्म सिटी का निर्माण चंबल के बीहड़ों में हो जाता है तो यहां के विकास के साथ-साथ ग्रामीण अंचल के लोगों का भी जीवन सुधर जाएगा।

बीहड़ के बाशिंदों का कहना है

बीहड़ के बाशिंदों का कहना है कि इस क्षेत्र में फिल्मों की शूटिंग के लिए हर तरह की लोकेशन, प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर, प्राचीन ऐतिहासिक धरोहर हैं। यहां पर फिल्म सिटी बनाए जाने से असीम संभावनाएं भी उत्पन्न हो जाएंगी। यही नहीं इस क्षेत्र में कई नामचीन फिल्में भी बनाई जा चुकी हैं। जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी ख्याति फैलाई है।

चंबल घाटी के नाम से मशहूर स्थान कभी खूंखार दस्यु दलों की शरण स्थली रहा है

बताते चलें चंबल घाटी के नाम से मशहूर स्थान कभी खूंखार दस्यु दलों की शरण स्थली रहा है। यहां के लोगों से जब उनकी जुबानी कहानी सुनी जाती है तो अपने आप ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं।वह लोग अपने यातनाएं भरी कहानियां बयां करते हुए खुद भी सिसकने लगते हैं। जब कैथौली निवासी रामवीर दुबे से जानकारी चाही गई तो उन्होंने दस्युदलों की यातनाएं भरी कहानियां बताई। उन्होंने बताया कि दस्युदलों द्वारा उनकी मुखबिरी करने के आरोप में दो लोगों की आंखे निकाल ली थी। इस बात को जब वह याद करते हैं तो रातों की नींद उनकी गायब हो जाती है।

chambal (social media)

संतोष निषाद ने बताया कि जबकि उनके द्वारा कोई भी मुखबरी नहीं की गई थी

खूंखार दस्यु लालाराम एवं उसकी संगिनी कुसमा नाइन ने अपने मुखबरी किए जाने के आरोप में राज निषाद एवं संतोष निषाद की बड़ी ही बवर्ता से आंखे निकाल ली थी। संतोष निषाद ने बताया कि जबकि उनके द्वारा कोई भी मुखबरी नहीं की गई थी। कुछ लोगों द्वारा दस्यु सरगना लालाराम को इसकी जानकारी दी गई। जिस पर उन्होंने आंखें निकाल कर उनकी जिंदगी में अंधेरा भर दिया।

इस बीहड़ में रहने वाले निवासियों को लंबे अरसे से क्षेत्र के विकास की आशा थी। इस क्षेत्र में कई फिल्मकारों द्वारा यहां के लोगों की जीवन दुर्दशा को भी फिल्मों के माध्यम से उजागर किया। चंबल के बीहड़ों में सुल्ताना डाकू, डकैत, बैंडिट क्वीन, बुडेड, पान सिंह तोमर, दद्दा मलखान सिंह और निर्भय सिंह आदि लोगों पर फिल्में बनी हुई है।

जिनमें पान सिंह तोमर ने विदेशों में भी ख्याति प्राप्त की। जब पान सिंह तोमर को विदेश में पुरस्कार मिला तो बीहड़ के लोगों को आस जगी कि इस क्षेत्र का विकास अति शीघ्र होगा। मगर जैसे ही भाजपा की योगी सरकार ने फिल्म सिटी का स्थान बीहड़ से हटाकर दूर कर दिया तो उन लोगों की आगे उम्मीद की किरण ही टूट गई। उन्होंने बताया कि लंबे अरसे से यहां पर पचनद बांध बनाए जाने का प्रस्ताव भी पारित है। मगर आज तक यहां एक ईट भी नहीं रखी गई।

ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री से मांग की

ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री से मांग की कि वह इस क्षेत्र में विकास यदि चाहते हैं तो फिल्म सिटी का निर्माण यहां पर कराए जाने की अनुमति दें। जिससे कि उन लोगों के नर्क भरे जीवन में भी कुछ पल आनंद के हो सके।

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के शोधार्थी छात्र वैभव शुक्ला ने बताया कि यदि फिल्म सिटी का निर्माण बीहड़ में हो जाए तो यहां के लोगों का जीवन सुरक्षित हो जाएगा। अभी यहां पर न तो पानी की व्यवस्था है न ही बिजली ही सही ढंग से पहुंच पाती है। यदि फिल्म सिटी यहां पर बनती है तो ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का जीवन सुधर जाएगा और क्षेत्र का विकास हो जाएगा। इस पिछड़े क्षेत्र के बारे में सरकार को विचार करना चाहिए।

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शिवसेना के सचिव पवन अवस्थी ने भारतीय जनता पार्टी पर प्रहार करते हुए कहा कि यह ऐसी सरकार है जिसमें किसी गरीब, असहाय व किसान को लाभ देने के लिए कोई कदम नहीं उठाया बल्कि पूंजीपतियों के इशारे पर यह कार्य कर रही है।

रिपोर्टर-प्रवेश चतुर्वेदी, औरैया

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