Chandauli News: आजाद अधिकार सेवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पुलिस कर्मियों के मामले खारिज करने पर जताई कड़ी आपत्ति,जानिए क्या है मांग

Chandauli News: पुलिस कर्मियों के खिलाफ दर्ज मामले की गाजीपुर पुलिस अधीक्षक द्वारा तीव्र गति से जांच कर क्लीन चिट दिए जाने की बात भी जोरों पर है। लोगों में चर्चा है कि जब पुलिस किसी निर्दोष आम आदमी को फंसाती है तो वह सालों तक भागता रहता है।

Report :  Ashvini Mishra
Update:2024-12-02 11:13 IST

आजाद अधिकार सेवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पुलिस कर्मियों के मामले खारिज करने पर जताई कड़ी आपत्ति,जानिए क्या है मांग

Chandauli News: चंदौली के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक एवं 18 पुलिस कर्मियों के विरुद्ध गाजीपुर में दर्ज मुकदमा वापस लिए जाने का मामला दिन प्रतिदिन गरमाता जा रहा है। आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने तत्कालीन एसपी चंदौली अमित कुमार एवं 18 पुलिस कर्मियों के विरुद्ध थाना नंदगंज, गाजीपुर में दर्ज मुकदमा वापस लिए जाने की कड़ी निंदा की है। साथ ही उन्होंने मामले की सीबीआई सीआईडी ​​जांच की मांग की है।

डीजीपी उत्तर प्रदेश को भेजे अपने पत्र में आजाद अधिकार सेवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा है कि चंदौली में तैनात मुख्य आरक्षी अनिल सिंह द्वारा 3 वर्षों के लंबे संघर्ष के पश्चात उनके विरुद्ध झूठे मुकदमों में फंसाए जाने के संबंध में उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के पश्चात यह मुकदमा पंजीकृत हो सका।

मुकदमा दर्ज होने के 3 दिन के भीतर ही पुलिस ने इसे झूठा बताकर बंद कर दिया, जो अत्यंत आपत्तिजनक एवं विधि विरुद्ध है। यह असंभव है कि इतने तथ्यों एवं साक्ष्यों पर आधारित इतने विस्तृत मुकदमे की मात्र 3 दिन में जांच कर उसे गलत सिद्ध किया जा सके। इसमें सबसे आपत्तिजनक बात यह है कि मामले को झूठा करार देने से पहले वादी अनिल सिंह का बयान तक नहीं लिया गया। अमिताभ ठाकुर ने कहा कि 2021 में उन्होंने खुद ही थाना मुगलसराय, चंदौली की यह वसूली लिस्ट वायरल की थी, जो जांच में सही पाई गई। उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारियों को बचाने के लिए यह अनुचित कार्य किया गया है। उन्होंने डीजीपी से मांग की है कि अपराध खारिज करने की रिपोर्ट को निरस्त कर पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए।

पुलिस कर्मियों के खिलाफ दर्ज मामले की गाजीपुर पुलिस अधीक्षक द्वारा तीव्र गति से जांच कर क्लीन चिट दिए जाने की बात भी जोरों पर है। लोगों में चर्चा है कि जब पुलिस किसी निर्दोष आम आदमी को फंसाती है तो वह सालों तक भागता रहता है और कोई भी पुलिस विभाग का अधिकारी इस मामले का त्वरित गति से संज्ञान नहीं लेता, लेकिन जब जिले के पुलिस विभाग का शीर्ष अधिकारी फंसता है तो गाजीपुर के पुलिस अधीक्षक महज तीन दिन में मामले की जांच कराकर रफा-दफा कर देते हैं।

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