बच्चों की पार्सल डिलीवरी ! कभी सुना नहीं होगा, जानेंगे तो होश उड़ जाएंगे

बच्चों की पार्सल डिलीवरी ! ये बात उस समय की है जब आज से लगभग 108 साल पहले अमेरिका की डाक सेवा में पार्सल डिलीवरी शुरू हुई। पहले तो लोगों को पता ही नहीं था कि यह पार्सल सेवा क्या है फिर उन्हें पता चला कि पार्सल से कुछ भी किसी दूसरी जगह कुछ पैसे देकर भेजा जा सकता है तो लोगों को बड़ा मजा आया। इसी सुविधा का लाभ उठाते हुए किसी के मन में बच्चों को भी मेल करने का विचार आया।

Update:2020-02-10 13:41 IST

बच्चों की पार्सल डिलीवरी ! वह भी डाक से वह भी पोस्टमैन के जरिये। हम पक्के यकीन से कह सकते हैं कभी सुना नहीं होगा। लेकिन ऐसा होता था, जानेंगे तो होश उड़ जाएंगे। आज हम आपको एक ऐसे ही देश के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां इसका चलन धड़ल्ले से रहा और आज ये देश दुनिया की सबसे बड़ी ताकत या महाशक्ति है। आप सोच भी नहीं सकते कि एक समय इस देश में बच्चे डाक से भेजे जाते थे वह भी डाक टिकट लगाकर।

आजकल के दौर में जब हमारे यूथ मोबाइल और ईमेल के यूजर हैं। या ये कहें ये वाट्सएप, फेसबुक या ट्विटर की जेनरेशन है। इन्हें डाक पार्सल या रेल पार्सल के बारे में पता ही नहीं होगा। इसी से इनके लिए डाकिया डाक लाया… जैसे गाने बाबा आदम के जमाने की बात हो चुकी है। आज कल कोई चिट्ठी लिखता नहीं, टेलीग्राम और ट्रंक काल को लोग भूल चुके हैं जब एक फोन काल पर बात करने के लिए लोग घंटों इंतजार किया जाता था।

ऐसे हुई शुरुआत

बच्चों की पार्सल डिलीवरी ! ये बात उस समय की है जब आज से लगभग 108 साल पहले अमेरिका की डाक सेवा में पार्सल डिलीवरी शुरू हुई। पहले तो लोगों को पता ही नहीं था कि यह पार्सल सेवा क्या है फिर उन्हें पता चला कि पार्सल से कुछ भी किसी दूसरी जगह कुछ पैसे देकर भेजा जा सकता है तो लोगों को बड़ा मजा आया। इसी सुविधा का लाभ उठाते हुए किसी के मन में बच्चों को भी मेल करने का विचार आया।

बच्चों की पार्सल डिलीवरी की शुरुआत में बाटाविया से मिस्टर और मिसेज जेसी ब्यूज का 10 महीने का बच्चा, 15 सेंट का टिकट लगाकर भेजा गया। उसके माता-पिता ने बच्चे का 50 डालर का बीमा भी कराया था। इसी तरह एक अन्य मामले में पांच वर्षीय मई पियरस्टॉफ़ को इदाहो में उसके घर से ट्रेन के माध्यम से मेल किया गया, और टिकट उसके कोट से चिपका दिया गया था।

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उस समय डाकियों पर भरोसा किया जाता था, ग्रामीण लोग आमतौर पर डाकियों को व्यक्तिगत रूप से जानते थे। मई पियर्सस्टॉफ़ को एक चचेरे भाई के साथ भेजा गया था जो एक डाक क्लर्क था।

बच्चों की पार्सल डिलीवरी के प्रति लोगों के बढ़ते रुझान को नियंत्रित करने के लिए बाद में अमेरिकी डाक सेवा ने इस प्रथा को बंद करने की कोशिश की। लोगों ने इसका विरोध किया तो सरकार को एक निर्देश जारी करना पड़ा कि किसी भी इंसान को मेल में नहीं ले जाया जाएगा। इस तरह इस कुप्रथा को शुरुआत के कुछ दिन बाद ही रोक दिया गया।

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