Chitrakoot News: पाठा के रेलवे स्टेशन बने अवैध तेंदू पत्ता सप्लाई के अड्डे, मिलीभगत से चोरी से बाहर जा रहा तेंदू पत्ता

Chitrakoot News: तेंदूपत्ता बाहर जाने में हर जगह जिम्मेदार वसूली करने में जुटे, शाम होते ही रेलवे स्टेशनों में पहुंचने लगते तेंदू पत्ता से भरे बोरे।

Update:2023-06-19 20:02 IST
Pic Credit - Newstrack

Chitrakoot News: जिले में तेंदूपत्ता का कारोबार जिम्मेदार महकमों की वजह घाटे का सौदा बन गया है। वन निगम को भले ही तेंदू पत्ता नहीं मिल पाया है, लेकिन दूसरे जनपदों को बेधड़क यहां से तेंदूपत्ता चोरी-छिपे भेजा जा रहा है। मौजूदा समय पर पाठा क्षेत्र के मानिकपुर, बहिल पुरवा, ओहन, बांसा पहाड़, मारकुंडी, टिकरिया आदि रेलवे स्टेशन तेंदू पत्ता सप्लाई के अवैध अड्डे बन गए है। इन स्टेशनों के जरिए ट्रेनों से सतना, प्रयागराज, झांसी, बांदा, महोबा आदि जिलों के लिए तेंदू पत्ता भेजा जा रहा है। वन विभाग के साथ ही आरपीएफ, जीआरपी व संबंधित थाना पुलिस की मिलीभगत से यह कारोबार बेधड़क चल रहा है।

वन निगम की खाऊ-कमाऊ नीति के चलते तेंदूपत्ता तुडान में सरकार के राजस्व को क्षति पहुंचाई जा रही है। वन निगम के तेंदूपत्ता खरीद के लिए कहीं भी फड़ न लगाए जाने से चोरी से पत्ता बीडी व्यापारियों के पास कौडियो के भाव आसानी से पहुंच रहा है। तेंदूपत्ता का अवैध ढुलान क्षेत्रीय वनाधिकारी समेत मारकुंडी, मानिकपुर थाना पुलिस, जीआरपी व आरपीएफ की मिलीभगत से ट्रेनों के जरिए हो रहा है। हर वर्ष वन निगम से तेंदूपत्ता खरीद के लिए गांव बराह माफी, अमचुर नेरुआ, किहुंनियां, करौंहा, डोडामाफी, टिकरिया, इटवां आदि गांवो में खरीद के लिए फड़ें लगाई जाती थी। लेकिन इस वर्ष विभाग ने कहीं भी फड़ नहीं लगाया। ऐसे में क्षेत्र के मजदूर जंगलों से पत्ता तोड़ने के बाद बोरों में भरकर ट्रेनों से जैतवारा, सतना, प्रयागराज ले जा रहे है। इसके अलावा बीडी व्यापारियों के गुर्गे मजदूरों के घरों से तेंदूपत्ता निजी वाहनों से ले जा रहे है। पाठा के मजदूरों ने बताया कि, मारकुंडी क्षेत्र के ठीका, अमचुर नेरूआ, मनगवां, टिकरिया जमुनिहाई, बंभिया, इटवां डुड़ैला आदि गांवों में फड़ नहीं लगने से मजबूरी वश तेंदूपत्ता बाहर ले जाना पड़ रहा है।

प्रति बोरा 50 रुपये तक की जा रही वसूली

मारकुंडी, टिकरिया, इंटवा डुड़ैला आदि गांवों की महिलाओं ने बताया कि वन विभाग, जीआरपी और पुलिस उनसे वसूली करने के बाद ही ट्रेनों में पत्ती चढ़ाने दे रहे है। टिकरिया की सुशीला, मैना, रानी, पियरिया आदि ने बताया कि प्रति बोरा 50 रूपये की वसूली की जा रही है। इसी तरह मारकुंडी की मुन्नी देवी, प्रेमा, जानकी आदि ने बताया कि रेलवे स्टेशन व ट्रेन के अंदर वसूली की जाती है। बताया कि डोडामाफी, टिकरिया जमुनिहाई, बंबिया, बगरहा, कुसमुही आदि स्थानों से लोडर के जरिए में तेंदूपत्ता लोड होकर बीड़ी ब्यापारियों के भेजा जा रहा है।

एक पखवारे में कई गाडी तेंदूपत्ता हो चुका चोरी

पाठा के जंगल क्षेत्रो में चोरी से काफी तेंदूपत्ता एकत्र किया गया है। जिसके खरीदार चोरी से तेंदूपत्ता को एकत्र करने वालों के घर पहुंच रहे है। बताते हैं कि जंगल क्षेत्र के गांवो में लगभग एक पखवारे से लगातार तेंदूपत्ता खरीकर चोरी से बाहर भेजा जा रहा है। इस अवैध कारोबार में एक बडा गिरोह सक्रिय है। अब तक सैकडों बोरा तेदूपत्ता का ढुलान हो चुका है। तेंदूपत्ता का ढुलान कराने के लिए पहले से ही गिरोह के लोग संबंधित से सांठगांठ करते है।

डंप वाले स्थानों पर होगी छापेमारी

इधर एसपी वृंदा शुक्ला ने तेंदू पत्ता चोरी रोकने को पांच टीमें गठित कर दी है। फलस्वरूप उनकी सख्ती के बाद तेंदूपत्ता से जुडे कारोबारियों में हडकंप मच गया है। सूत्रों के मुताबिक एसपी की गठित टीमें स्टेशनों व सडक मार्ग में तेंदूपत्ता का अवैध ढुलान रोकने के साथ उन घरों में भी छापेमारी करेंगी, जहां पर तेंदूपत्ता डंप किया गया है। इसके लिए पुलिस ने अपने मुखबिरों को सक्रिय किया है। माना जा रहा है कि जल्द ही जिले में अवैध तेंदूपत्ता कारोबार का भंडाफोड हो जाएगा।

बोले जिम्मेदार

मजदूरों ने जंगलों से तोड़ान कर पत्ता वन निगम की फडों में नहीं दिया है। बल्कि घरों में सुखाकर डंप कर लिया है। एमपी में तेंदू पत्ता महंगा बिकता है। प्राइवेट लोग बाहर से आकर महंगा पत्ता खरीद रहे है। जिन जगहों में चोरी से तेंदू पत्ता डंप किया गया है, उसकी सूची बनाकर वन विभाग को भेजी गई थी। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई है। वन निगम को कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है। जंगल से अगर पत्ती चोरी जा रही है तो वन विभाग के साथ रेलवे, पुलिस व प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है।

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