सीमैप बदलेगा बुंदेलखंड के किसानों की जिंदगी, नजर आएंगे हंसते खिलखिलाते चेहरे

बुंदेलखंड में न तो पानी है और न ही जवानी है। जो बचे हैं वो कर्ज से बेहाल किसान हैं। पैकेज के नाम पर काफी कुछ दिया गया लेकिन उसे जहां पहुँचाना था वहां नहीं पहुंच सका। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। किसानों को गरीबी से उबारने के लिए सीमैप के वैज्ञानिकों ने कमर कस ली है।

Update: 2019-02-22 13:49 GMT

लखनऊ : बुंदेलखंड में न तो पानी है और न ही जवानी है। जो बचे हैं वो कर्ज से बेहाल किसान हैं। पैकेज के नाम पर काफी कुछ दिया गया लेकिन उसे जहां पहुँचाना था वहां नहीं पहुंच सका। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। किसानों को गरीबी से उबारने के लिए सीमैप के वैज्ञानिकों ने कमर कस ली है। किसान तिलहन, दलहन और अन्य पारंपरिक फसलों को छोड़ सगंध घास लगाएंगे। सीमैप के वैज्ञानिक एक एप के माध्यम से खेत और फसल पर अपनी सलाह देंगे।

तीन वर्षीय इस परियोजना को बुंदेलखंड के किसानों की आय में वृद्धि के उद्देश्य से जून, 2018 में आरंभ किया किया गया था। इसमें सीमैप के साथ ही इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटेगरेटिव मेडिसिन जम्मू, बुंदेलखंड यूनीवर्सिटी और कन्नौज का फ्रेगरेंस एंड फ्लेवर डेवलपमेंट बोर्ड भी शामिल हैं।

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परियोजना बुंदेलखंड के 13 जिलों में चल रही है। प्रोजेक्ट कर्मी खेत से फोटो और जानकारी एप पर पोस्ट करेंगे। एप जीपीएस से जुड़ा है जिससे लोकेशन व रियल टाइम जानकारी वैज्ञानिकों को प्राप्त हो जाएगी।

किसानों को खेती में आ रही समस्याओं का निराकरण भी इस एप के जरिए किया जाएगा। इसके लिए वैज्ञानिकों की टीम समस्या को देख उसका निदान बताएगी। इस प्रोजेक्ट में पहले व परियोजना शुरू होने के बाद किसानों की आय में हुई वृद्धि का ब्योरा जुटाया जाएगा।

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आपको बता दें, वर्तमान में इन जिलों में किसान तीन से पांच हजार रुपये प्रति एकड़ कमा पाते हैं। लेकिन सगंध घास पामारोजा, खस, नीबू घास, मेंथा व तुलसी से इनकी आय 40 से 50 हजार रुपये तक करने का लक्ष्य है। फ़िलहाल इस योजना से 200 किसान जुड़े हैं

 

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