पेड़ के नीचे क्लास : बच्चों से क्या करवा रही है भारत लोक परिषद
भारत लोक परिषद ने वर्ष 1989 में मात्र एक विद्यालय से ‘एकल अभियान की शुरूआत की थी। मौजूदा समय में 27 राज्यों के 360 जिलों में इस तरह के एक लाख से ज्यादा एकल विद्यालय संचालित हो रहे हैं। इन विद्यालयों में 30 लाख से ज्यादा छात्रों को बुनियादी शिक्षा के साथ राष्ट्र धर्म सर्वोपरि और संस्कारों की भी शिक्षा दी जा रही है।
लखनऊ। पेड़ के नीचे क्लास में सिर्फ शिक्षा ही नहीं दी जाती। यहां संस्कार की सीख भी बच्चों को मिलती है। पीलीभीत जिले के एकल विद्यालयों में चलने वाली शिक्षा और संस्कार की यह पाठशाला लोगों के आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है। शारदा नदी के आस-पास के दुर्गम इलाकों में गांवों के लोग ग्राम समितियों के मार्फत इनका संचालन कर रहे हैं।
पीलीभीत के इस इलाके दियुनी गांव में घुसते ही यह एक पाठशाला दिखती है तो पेड़ के नीचे क्लास में बैठे बच्चे अभिवादन को खड़े हो जाते हैं। इन बच्चों में भारतमाता के सपनों को पूरा करने का जज्बा है। भारतमाता का नाम रौशन के लिए वे बड़े होकर देश के लिए सबसे अच्छे काम करने का संकल्प को पूरा करने के लिए काम करते दिखते हैं।
ये बच्चे गांव स्वच्छता का संदेश देते हैं। शहीदों के प्रेरक प्रसंग सुनाते हैं। भोजन मंत्र दोहराते हैं, वंदे मारतम गाते हैं। यह विद्यालय रोजाना ३-६ के बीच पेड़ के नीचे लगता है। जो बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते है वे भी भारत लोक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित इन स्कूलों में शामिल हो सकते हैं। इस स्कूल का मतलब सिर्फ किताब ज्ञान नहीं है। यहां प्रबंधन और अध्यापक दोनों संस्कार शिक्षा के प्रति प्रतिबद्घ हैं।
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इतने सारे स्कूल
भारत लोक परिषद ने वर्ष 1989 में पेड़ के नीचे क्लास मात्र एक विद्यालय से ‘एकल अभियान की शुरूआत की थी। मौजूदा समय में 27 राज्यों के 360 जिलों में इस तरह के एक लाख से ज्यादा एकल विद्यालय संचालित हो रहे हैं। इन विद्यालयों में 30 लाख से ज्यादा छात्रों को बुनियादी शिक्षा के साथ राष्ट्र धर्म सर्वोपरि और संस्कारों की भी शिक्षा दी जा रही है। शुरुआत से कम्प्यूटर शिक्षा भी एकल अभियान की शिक्षा पद्धति का अहम हिस्सा है। इसके अलावा संस्था की ओर से 66,560 सत्संग केंद्र, 19 कम्प्यूटर वैन, 14 ग्रामोत्थान संस्थान केंद्र, 32 आरोग्य संस्थान केंद्र, 44 श्रीहरि मंदिर रथ प्रभावी रूप से काम कर रहे हें।