Ramcharitmanas Controversy: मानस प्रकरण पर पहली बार बोला कोई भाजपा नेता, सीएम योगी ने कहा शर्म आनी चाहिए...
Ramcharitmanas Controversy: रामचरितमानस मुद्दे पर पहली बार किसी भाजपा नेता का बयान साने आया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि लोगों को शर्म आनी चाहिए।
Ramcharitmanas Controversy: उत्तर प्रदेश से शुरू हुआ रामचरितमानस का मुद्दा अब पूरे देश में फैल गया है। मानस को लेकर कहीं समर्थन तो कहीं विरोध चल रहा। लेकिन पहली बार मानस के मुद्दे पर किसी भाजपा नेता द्वारा टिप्पणी की गई। सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि हमारे यहां कभी किसी को बाध्य नहीं किया गया कि हमारी बात को माने ही माने। लोगों का अपना तरीका और संस्कार हो सकतें हैं। ये सिर्फ वजूद को बचाने के लिए एक मात्र झटपटाहट है। इसमें कोई दम नहीं है। मेरी अबोध आस्था है मानस के प्रति। मानस आज से नहीं सौकड़ों वर्षों से भारतीय समाज में मार्गदर्शक के रूप में धार्मिक ग्रंथ माना जाता रहा है। उन्होंने कहा कि शर्म आनी चाहिए उन लोगों को जो श्रीरामचरितमानस पर प्रश्न उठा रहे हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इससे पहले एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में रामचरितमानस विवाद को लेकर समाजावादी पार्टी पर जमकर हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि यह विवाद लोगों का ध्यान भटकाने के लिए पैदा किया गया है ताकि लोग सरकार के विकास कार्य पर चर्चा न करें। यूपी सीएम ने कहा कि जिन लोगों का प्रदेश के विकास में कोई योगदान नहीं है, वे जानबूझकर यह मुद्दा उठा रहे हैं। उनकी पहचान पर अब संकट उत्पन्न हो गया है, जिससे बचने के लिए वे रामचरितमानस का मुद्दा उठा रहे हैं।
साक्षात्कार के दौरान उन्होंने नेता प्रतिपक्ष एवं सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के हमले पर पलटवार करते हुए कहा था कि मैं उन्हें जवाब दूंगा जब उन्हें मेरे जवाब की जरूरत होगी। जवाब उन्हें देना चाहिए जो जवाब को समझ सकें। अराजकता पैदा करने वालों को क्या जवाब दिया जाए। दरअसल, अखिलेश ने रामचरितमानस विवाद के बाद प्रदेश में शुरू हुए शूद्र पॉलिटिक्स को लेकर सीएम योगी पर हमला बोला था। उन्होंने मुख्यमंत्री से पूछा था कि क्या मैं शूद्र नहीं हूं। योगी आदित्यनाथ साक्षात्कार में इसी का जवाब दे रहे थे।
जाति को बड़ा मुद्दा बनाने के मूड में सपा
अखिलेश यादव साल 2014 से लगातार बीजेपी के हाथों लोकसभा एवं विधानसभा चुनावों में शिकस्त खा रहे हैं। उन्होंने तमाम प्रयोग कर लिए लेकिन वे बीजेपी को सत्ता से दूर नहीं कर पाए। हालिया उपचुनाव में मिली जीत से उत्साहित सपा अब गैर यादव पिछड़ी जातियों एवं दलितों को अपने साथ लाने में जुट गई है। इसलिए जातीय पहचान वाले मुद्दे को जोरशोर से हवा दी जा रही है। सपा प्रमुख जातिय जनगणना की मांग पुरजोर तरीके से उठाकर पर्याप्त इशारा कर चुके हैं। वहीं, सपा के सवर्ण नेताओं के विरोध के बावजूद पार्टी में स्वामी प्रसाद मौर्य का कद बढ़ाकर उन्होंने जता दिया कि आगामी समय में उनकी राजनीति किस दिशा में जाएगी।