गोरखपुर में बोले CM योगी- झोपड़ी से लेकर राजमहल तक फैली है 'नाथपंथ' की परंपरा

दीदउ गोरखपुर यूनिवर्सिटी में ‘नाथ पंथ के वैश्विक प्रदेय’ विषय में आयोजित संगोष्ठी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नाथ सम्प्रदाय की विशेषता और विस्तार को लेकर सारगर्भित उद्बोधन किया।

Update:2021-03-20 14:56 IST
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गोरखपुर: दीदउ गोरखपुर यूनिवर्सिटी में ‘नाथ पंथ के वैश्विक प्रदेय’ विषय में आयोजित संगोष्ठी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नाथ सम्प्रदाय की विशेषता और विस्तार को लेकर सारगर्भित उद्बोधन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि नाथ पंथ का समृद्ध परम्परा की जड़े भारत ही नहीं तिब्बत, श्रीलंका, पाकिस्तान से लेकर बांग्लादेश तक फैली हुई हैं। सामाजिक विकृतियों एवं कुरीतियों के विरोध में नाथ पंथ के अनुयायियों ने आवाज उठाई। आंदोलन पर नाथ संप्रदाय के लोगों ने सामाजिक चेतना जागृत की है। आदि काल से नाथ परम्परा झोपड़ी से लेकर राजमहल तक फैली हुई है।

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तीन दिनों तक चलने वाले संगोष्ठी में योगी ने कहा कि नेपाल के दांग के राजकुमार रतननाथ इस परंपरा के ध्वजवाहक रहे। उन्होंने नेपाल में नाथ पंथ का प्रसार किया। उनकी एक दरगाह का अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में है। उनका एक मठ दिल्ली में भी है। बांग्लादेश के ढाका में ढाकेश्वरी देवी का मंदिर स्थित है। इसके अलावा वहां पर नाथपंथ से जुड़े आदिनाथ भगवान का मंदिर मौजूद है। नाथ पंथ की परंपरा राजस्थान से भी जुड़ी है। जोधपुर में नाथ पंथ से जुड़ा लाइब्रेरी मौजूद है। जहां नाथ पंथ से जुड़ी साहित्य है। सीएम ने बताया कि जोधपुर में नाथ पंथ बेहद समृद्ध है। वहां नाथ पंथ से जुड़ी लाइब्रेरी है। 17वीं शताब्दी में जोधपुर में नाथ पंथ के साहित्यकारों ने श्रीनाथ तीर्थावली की रचना की।

नाथ पंथ अपनाएं, बीमारियों से बचे

योगी ने कहा कि नाथ पंथ के सिद्धांत को अपना कर बीमारियों से बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि नाथ पंथ के सिद्धांतों के साथ ही उसका व्यवहारिक पक्ष भी बेहद मजबूत है। यह जीवन चर्या का सिद्धांत को सिखाता है। नाथ पंथ के सिद्धांतों का पालन करके व्यक्ति सामाजिक कुरीतियों के साथ ही शारीरिक बीमारियों से भी बच सकता है। यह खानपान, जीवन संयम, योग, साधना, रहन-सहन सब की शिक्षा देता है । नाथ पंथ के सन्यासी वंदे मातरम गीत से भी जुड़े रहे।

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नाथ सम्प्रदाय के ग्रंथ संकलन के लिए विश्वविद्यालय प्रयास करें

मुख्यमंत्री ने कहा कि हिंदी, सहित अन्य भाषाओं में नाथ पंथ की साहित्य की किताबें उपलब्ध हैं। युवा पीढ़ी इसे पढ़कर नाथ पंथ के बारे में जान सकते हैं। इनसाइक्लोपीडिया में इसकी जानकारी उपलब्ध हो, इस दिशा में ही विश्वविद्यालय प्रयास करें। जिससे कि नाथ पंथ का प्रचार प्रसार पूरे विश्व में और फैल सके।

रिपोर्ट-पूर्णिमा श्रीवास्तव

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