Lulu Mall के उद्घाटन से राजनाथ, ब्रजेश व केशव रहे दूर, सोशल मीडिया पर लोगों ने लगाया एक ही समुदाय को नौकरी देने का आरोप
Lulu Mall in Lucknow: हिन्दू संगठनों के द्वारा एक मैसेज ज़ोरों-शोरों से प्रसारित किया जा रहा है, जिसमें मॉल के मालिक एम. यूसुफ अपने मॉल में एक धर्म विशेष के अधिकांश लोगों को नौकरी पर रखते हैं।
Lulu Mall in Lucknow: रविवार को राजधानी में उत्तर भारत के सबसे बड़े मॉल का औपचारिक उद्घाटन समारोह रखा गया था। जिसमें अतिथियों के तौर पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना (Satish Mahana) , रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) , मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath), उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक (Brajesh Pathak) व केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) और औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता 'नंदी' को जाना था। इसको लेकर अखबारों में विज्ञापन भी दिया गया था। साथ ही, होर्डिंग भी लगवाई गई थी। लेकिन, इस कार्यक्रम में सिर्फ़ मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और औद्योगिक विकास मंत्री ही गए। माना जा रहा है कि इसके पीछे वजह मॉल को लेकर तमाम हिन्दू संगठनों का विरोध है।
सोशल मीडिया पर यूजर्स ने उठाए सवाल
एक ट्विटर यूजर मनीष पांडेय ने ट्वीट कर कहा कि "आज UP के बड़े राजनेता जिस मॉल का उद्घाटन कर रहें हैं। सुना है कि यहाँ के 80 % पुरुष कर्मी एक वर्ग विशेष से भर्ती किये गए है और महिला वर्ग के स्टाफ में ध्यान दिया गया है कि वो उस वर्ग विशेष से न आती हो अब इसकी सच्चाई क्या है मुझे पता नही है एक बार सरकार को इसकी पुष्टि करनी चाहिए।"
'मॉल में एक जाति विशेष के लोगों को दी गई है नौकरी'
हिन्दू संगठनों के द्वारा व्हाट्सएप पर एक मैसेज ज़ोरों-शोरों से प्रसारित किया जा रहा है, जिसमें यह बताया गया है कि मॉल के मालिक एम. यूसुफ अपने मॉल में एक धर्म विशेष के अधिकांश लोगों को नौकरी पर रखते हैं। वहीं, जो भर्तियां दूसरे धर्म की करते हैं, उनमें महिलाओं को रखा जाता है। जिनके साथ आगे चलकर लव ज़िहाद जैसी चीजें उत्पन्न होती हैं।
सीएम योगी ने नहीं दिया भाषण
मॉल का उद्घाटन सीएम योगी ने बटन दबाकर क़िया। मालिक यूसुफ ने उन्हें पूरे मॉल की सैर भी कराई। ज़्यादा से ज़्यादा चीजें दिखाने को भी वो आतुर थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वहां मौजूद नेताओं और अधिकारियों के संग फ़ोटो भी खिंचाई। लेकिन, इतने बड़े मौके पर उन्होंने दो शब्द भी नहीं बोला। सामान्यतः ऐसे कार्यक्रमों में ये होता नहीं है। क्योंकि, यह 2000 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट है। उत्तर भारत का सबसे बड़ा मॉल है। हजारों व्यक्तियों को रोजगार भी मिला है। तो सरकार अपनी पीठ थपथपा सकती थी।