सीएम योगी का हाईकोर्ट से आग्रह, पॉक्सो एक्ट के मामलों को जल्द खत्म किया जाए

मुख्यमंत्री की तरफ से इस सम्बन्ध में हाईकोर्ट से आग्रह किया गया है कि ऐसे सभी मामलों के जल्द से जल्द निबटारा हो सके। ऐसे लगभग दुष्कर्म के 20 हजार से भी अधिक मामले लम्बित हैं।

Update: 2020-10-11 06:25 GMT
सीएम योगी का हाईकोर्ट से आग्रह, पॉक्सो एक्ट के मामलों को जल्द खत्म किया जाए (social media)

लखनऊ: प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर विपक्षी दलों की तरफ लगातार हो रहे राज्य सरकार पर हमलें के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाई कोर्ट से आग्रह किया है कि पॉक्सो एक्ट से संबंधित मामलों का निपटारा प्राथमिकता के आधार पर किया जाए। मुख्यमंत्री की तरफ से इस सम्बन्ध में हाईकोर्ट से आग्रह किया गया है कि ऐसे सभी मामलों के जल्द से जल्द निबटारा हो सके। ऐसे लगभग दुष्कर्म के 20 हजार से भी अधिक मामले लम्बित हैं।

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प्रदेश की जनसंख्या को देखते हुए यूपी में अपराध अधिक दिखाई पड़ते हैं

यहां यह बताना भी जरूरी है कि एनसीआरबी के प्रकाशित क्राइम इन इंडिया के अनुसार महिलाओं के विरुद्ध अपराध में सजा दिलाने में उत्तर प्रदेश देश में पहले स्थान पर है। बावजूद प्रदेश की जनसंख्या को देखते हुए यूपी में अपराध अधिक दिखाई पड़ते हैं। राज्य सरकार की तरफ से दावा किया गया है कि पॉक्सो ऐक्ट के मामलों में प्रभावी पैरवी करते हुए एक जनवरी 2019 से इस साल 30 जून तक 922 मुकदमों में आरोपियों को सजा हुई है। इनमें से पांच को मृत्युदंड, 193 को उम्र कैद और 724 को अन्य सजा हुई है। वहीं, राहजनी के मामलों में यह गिरावट 100 फीसदी रही है। साल 2017 से लेकर अभी तक ऐसी एक भी वारदात नहीं घटित हुई है।

दरअसल इन दिनों महिला अपराध के मामलों में निरन्तर वृद्वि हो रही है लेकिन न्यायिक प्रक्रिया में देरी के चलते कई बार पीडित पक्ष को न्याय मिलने में देरी होने से अपराधियों के हौसले तो बुलन्द होते ही है। साथ ही पीडित पक्ष में भी निराश का भी भाव पैदा होता है जिसके चलते सरकार पर भी विपक्ष उंगली उठाने बाज नहीं आता।

क्राइम इन इंडिया के आंकड़ों के अनुसार

क्राइम इन इंडिया के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में अन्य राज्यों की अपेक्षा में महिलाओं के खिलाफ अपराध में कमी आई है और जहां पर इनके खिलाफ अपराध हुए भी हैं तो आरोपितों की तेजी से धरपकड़ की गई है।

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हांलाकि योगी सरकार लगातार गुनाहगारों को सजा दिलवाने के लिए प्रयासरत रहती है बावजूद इसके कई बार न्याय मिलने में देरी भी होती है। एक आंकडे के अनुसार प्रदेश में 193 मामलों में अपराधी आजीवन कारावास की सजा झेल रहे हैं। बीते वर्ष यानी 2019 में महिला संबंधी वादों के कुल 15116 मामले निस्तारित हुए हैं। इसके साथ ही महिलाओं के अपहरण के मामलों में 39 प्रतिशत की गिरावट है।

श्रीधर अग्निहोत्री

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