यूपी में रंगीन सियासत: सरकार बदलने के बाद इनका एक काम, गज़ब हैं नेता जी
इन दिनों योगी सरकार के एक मंत्री नन्द किशोर गुप्ता उर्फ नन्दी के इशारे पर प्रयागराज की एक गली को पूरा भगवा किए जाने को लेकर राजनीति गरमाई हुई है।
श्रीधर अग्निहोत्री
लखनऊ: इन दिनों योगी सरकार के एक मंत्री नन्द किशोर गुप्ता उर्फ नन्दी के इशारे पर प्रयागराज की एक गली को पूरा भगवा किए जाने को लेकर राजनीति गरमाई हुई है। इस गली के लोगों को कहना है कि मंत्री के इशारे पर ही उनके गुर्गो ने जबरन इस गली के मकानों को भगवा रंग से रंगवा दिया। जबकि मंत्री नन्द किशोर गुप्ता ने इस बात को गलत बताया है।
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मायावती सरकार में गली को नीला करवाया था
खास बात यह है कि प्रयागराज की दक्षिणी विधानसभा क्षेत्र से विधायक और नागरिक उड्डयन एवं राजनीतिक पेंशन मंत्री नन्द किशोर गुप्ता नन्दी जब मायावती सरकार में मंत्री थें तब भी उन्होंने इस गली को नीला करने का काम किया था। इस बात का दावा इस गली के लोग कर रहे है। यहां के लोग मंत्री के इशारे पर की गयी इस हरकत से बेहद नाराज है।
मजेदार बात तो यह है कि सरकारों के झंडे के हिसाब से प्रदेश की सरकारी सम्पत्तियों का रंगीन किए जाने की यह कोई नई बात नहीं है। इसके पहले भी जब प्रदेश में बसपा और सपा की सरकारें आई है तब भी इस तरह के काम होते रहे है। जब भी सत्ता बदलती है। सबसे पहले रोडवेज बसों का रंग बदल दिया जाता है। बसपा सरकार में बसें नीले रंग में रंगवा दी गई थीं। सफेद और नीले रंग में बसें पांच साल तक रंगी रहीं। सपा सरकार आई तो सपा का रंग रंगवा दिया गया। हरी और लाल रंग में बसें रंग गईं।
फिर जब प्रदेश में 2017 में भाजपा की सरकार आई तो भगवा रंग में कई बसें नजर आने लगी। यही नहीं कई कार्यालयों केा भी भगवा रंग से रंग दिया गया। बसों के रंग बदलने का सियासी चलन नया नहीं है। यह सिलसिला साल 2007 से शुरू हुआ था। तब बसपा पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में काबिज हुयी थी। उसके बाद सत्ता में आयी अखिलेश सरकार में बसों को समाजवादी चोला नसीब हुआ।
बसों को ‘सर्वजन सुखाय’ का नाम देकर उनको नीले रंग से रंग दिया गया था
जब साल 2007 में उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की सरकार बनी तो साधारण बसों को ‘सर्वजन सुखाय’ का नाम देकर उनको नीले रंग से रंग दिया गया। पार्टी ने बजट का प्रस्ताव केवल बसों को नीले रंग में भरने के लिए कर दिया। आज भी कभी-कभी सड़कों पर सर्वजन हिताय नाम की नीले बसें दिख जाती हैं।
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साल 2012 में जब समाजवादी पार्टी की सरकार बनती है तो वे भी पूर्व पार्टी सरकार के नक्शे कदम पर चलना प्रारंभ कर देते हैं। ऐसा लगता है कि जैसे रोडवेज बसों के रंग बदलने की होड़ रही हो। समाजवादी सरकार के लोगों ने समाजवादी लोहिया ग्रामीण बस सेवा के नाम से बसों का नया संचालन चालू कर दिया। वर्ष 2014 में करीब 1,500 लोहिया ग्रामीण बसों को यूपी की सड़कों पर उतार दिया गया।
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