उपभोक्ता परिषद ने किया विरोध, कहा पहले दुरूस्त करे ट्रांसमीशन निगम

नियामक आयोग चेयरमैन आरपी सिंह की अध्यक्षता वसदस्यों केके शर्मा व वीके श्रीवास्तव की उपस्थित में सार्वजनिक सुनवाई शुरू होते ही यूपी पावर ट्रांसमिशन निगम नेएक प्रजन्टेशन के माध्यम से अपनी बात रखते हुए ट्रांसमिशन टैरिफ बढ़ाने की पुरजोर मांग की गयी।

Update:2020-07-02 17:45 IST

लखनऊ। यूपी पावरट्रांसमीशन कम्पनी के वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) पर विद्युत नियामकआयोग ने देश में पहली बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सार्वजनिक सुनवाई की। नियामक आयोग चेयरमैन आरपी सिंह की अध्यक्षता वसदस्यों केके शर्मा व वीके श्रीवास्तव की उपस्थित में सार्वजनिक सुनवाई शुरू होते ही यूपी पावर ट्रांसमिशन निगम नेएक प्रजन्टेशन के माध्यम से अपनी बात रखते हुए ट्रांसमिशन टैरिफ बढ़ाने की पुरजोर मांग की गयी। जबकि उप्र. राज्य विद्युत उपभोक्तापरिषद् ने टैरिफ बढ़ोतरी का कड़ा विरोध किया।

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आयोग ने सभी पक्षों को सुना

सुनवाई पूरी होने पर आयोग चेयरमैन आरपी सिंह ने कहा कि आयोग ने सभी पक्षों को सुन लिया है पूरे मामलेको गम्भीरता से जांच परख के बाद फैसला सुनाया जाएगा ।वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गुरुवार को हुई सार्वजनिक सुनवाई में उप्र. पावर ट्रांसमीशन निगम लि. द्वारा वार्षिकराजस्व आवश्यकता (एआरआर) लगभग 3909 करोड़ रुपये मांगा है और लगभग 3.50 प्रतिशतप्रस्तावित वितरण हानि के साथ ट्रांसमीशनटैरिफ 0.34 पैसा प्रति यूनिट की मांग की है।

इन मामलों को गंभीरता से ले

सुनवाई में प्रदेश के विद्युत उपभोक्तओ कापक्ष रखते हुए उप्र. राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने उप्र. पावर ट्रांसमीशन निगम लि. कीमांग पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए इसे खारिजकरने की मांग की। वर्मा ने कहा कि सबसे पहले ट्रांसमिशन अपना सिस्टम सही करे फिरटैरिफ बढ़ाने की बात करे। ट्रांसमिशन कम्पनी ने अपना कैपिटल इन्वेस्टमेंट जो 4810करोड़ रुपया बताया गया है, वह बहुत ज्यादा है फिजूल खर्ची पर अंकुश लगाने मेंनाकामयाब ट्रांशमिसिन कम्पनी के कामो पर विगत दिनों सीएजी ऑडिट ने भी सवाल उठाते हुए कहा था की ठेकेदारों से बिना उपयोगिता सर्टिफिकेट लिए 492 करोड़ रुपयें का भुगतान कर दिया गया, जो गंभीर मामला है।

वर्मा ने कहा कि वर्तमान में ट्रांसमीशनटैरिफ जो लगभग 0.18 पैसा प्रति यूनिट है उसे सीधे बढ़ा कर 0.34 पैसा प्रतियूनिट यानी की लगभग 84 प्रतिशत की बढ़ोतरी का प्रस्ताव पूरी तरह गलत है इसे खारिज किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो ट्रांसमीशन लॉसेस है 3.50 प्रतिशत वह भी ज्यादा है।

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आयोग को गंभीरता से विचार करना चाहिए

उन्होंने कहा कि आंध्रप्रदेश,महाराष्ट्र तथा राजस्थान की तरह ही ट्रांसमीशन लासेस का अनुमोदन करना जरूरी हैलेकिन किसी भी हालत में 2.86 प्रतिशत से ज्यादा न अनुमोदित किया जाए। उपभोक्तापरिषद अध्यक्ष ने कहा कि ट्रांसमीशन कम्पनी वर्तमान टैरिफ में 84 प्रतिशत की वृद्धि चाहरही है उसे क्या यह पता है कि वर्तमान में उसका सिस्टम मिसमैच है, पहले उसमें सुधारहोना चाहिये। 132 केवी सबस्टेशनों की कुल क्षमता 50410 एमवीए है अगर उसे किलोवाटमें निकाला जाये तो वह 4 करोड 53 लाख किलोवाट होगा वहीं प्रदेश के लगभग 2करोड 85 लाख विद्युत उपभोक्ताओं का कुल भार 6 करोड 19 लाख किलोवाट है। यानिकि सिस्टम व उपभोक्ताओं के भार के बीच लगभग 2 करोड का गैप ऊपर से 20 प्रतिशतबिजली चोरी वह भी 1 करोड किलोवाट के बराबर होगा।

ऐसे में सिस्टम मिसमैच हैपीक आवर्स में डायवर्सिटी फैक्टर 1 अनुपात 1 होगा जिससे उपभोक्ताओं को उच्च गुणवत्ताकी बिजली नही मिल पायेगी। उन्होंने कहा कि जब पूरे देश में ट्रांसमीशन सिस्टमउपलब्धता 99.89 प्रतिशत है तो प्रदेश में 98 प्रतिशत के इर्दगिर्द है। इस पर आयोग को गंभीरता से विचार करना चाहिए।

रिपोर्ट- मनीष श्रीवास्तव, लखनऊ

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