कोरोना वायरस के खतरे से सरहद पर तनाव की स्थिति

Update:2020-02-14 13:14 IST

पूर्णिमा श्रीवास्तव

गोरखपुर। अमूमन दो देशों की सरहदों पर तनाव की नीतिगत वजहें होती हैं, पर इन दिनों भारत-नेपाल और नेपाल-चीन की सरहद पर कोरोना वायरस के खतरे ने तनाव पैदा कर दिया है। केन्द्र से लेकर प्रदेश सरकार की तरफ से रोज जारी हो रही एडवायजरी में वे सैलानी फंस गए हैं, जो कोरोना से बेखबर भगवान बुद्ध की शरण में आये थे। चीन, वियतनाम, जापान, थाईलैंड और श्रीलंका के सैलानियों से गुलजार रहने वाला बुद्ध सर्किट वीरान पड़ा हुआ है। कोरोना वायरस के चलते बढ़ी सरकारों की सक्रियता ने हजारों सैलानियों के सफर में ब्रेक लगा दिया है। वहीं, चीन के भरोसे नेपाल में चल रहे तमाम विकास कार्य प्रभावित हो गए हैं।

सर्वाधिक दिक्कत उन सैलानियों को हो रही है जो भगवान बुद्ध के परिनिर्वाण स्थली कुशीनगर, क्रीड़ा स्थली कपिलवस्तु और जन्म स्थान लुंबिनी का टूर पैकेज बनाकर आये थे। भारत सरकार द्वारा बचाव में उठाये जा रहे कदमों से सैकड़ों सैलानी इधर-उधर फंसे हुए हैं। कोरोना वायरस के आतंक को देखते हुए भारत सरकार ने बीते पांच फरवरी से ही चीनी नागरिकों के भारतीय सीमा में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा रखा है। तभी से भारत-नेपाल के सोनौली सीमा पर विदेशी पर्यटकों को गहन जांच पड़ताल से गुजरना पड़ रहा है। संदिग्ध पर्यटकों को नेपाल के रास्ते भारत आने की अनुमति नहीं मिल रही है। बीते 10 फरवरी को थाईलैंड की एक महिला व पुरुष को नेपाल के रास्ते भारत में प्रवेश की अनुमति नहीं मिल पाई। ये दोनों थाइलैंड के 250 सदस्यीय दल के साथ सोनौली बार्डर पर पहुंचे थे। आव्रजन विभाग ने एक दिन पहले दोनों का वीजा-पासपोर्ट की जांच कर नेपाल जाने की तो अनुमति दे दी थी, लेकिन उन्हें भारत वापसी की अनुमति नहीं मिली। दोनों के पासपोर्ट पर दर्ज है कि वह 14 से 18 जनवरी के बीच चीन में थे। सर्तकता को देखते हुए इंडो-नेपाल के अंतर्राष्ट्रीय प्रवेश द्वार सोनौली में ई-वीजा पर नेपाल से आने वाले विदेशी पर्यटकों को भारत में प्रवेश से रोका गया, लेकिन सफर को निकल चुके सैलानियों की दिक्कतों को देखते हुए सरकार ने अपना आदेश वापस ले लिया। सोनौली इमीग्रेशन कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर इस बाबत सूचना चस्पा कर दिया है। कोरोना के कहर के चलते वियतनाम, थाईलैंड, कोरिया, श्रीलंका, वर्मा, मलेशिया समेत कई देशों के यात्री सोनौली में फंसे हुए हैं। बॉर्डर के उस पार फंसे सैलानी अब हवाई मार्ग से अपने देश को लौटने की जुगत कर रहे हैं।

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टूरिस्ट एजेंट बासुकी नाथ का कहना है कि कोरोना के चलते टूर पैकेजों की ऐसी तैसी हो गई है। यह सीजन बुद्ध सर्किट के लिए अहम है, लेकिन कोरोना के कहर के चलते बड़ा नुकसान हुआ है। एसपी महराजगंज रोहित सिंह सजवान का कहना है कि इमीग्रेशन कार्यालय के बाहर सुरक्षा इंतजाम के लिए अतिरिक्त पुलिस की तैनाती की गई है। वहीं जिलाधिकारी महराजगंज उजज्वल कुमार का कहना है कि कोरोना वायरस के मद्देनजर सोनौली बार्डर पर अलर्ट है। चिकित्सकीय जांच दल ने नोमेंस लैंड के बजाए आव्रजन कार्यालय के कैंपस में अपना जांच डेस्क लगाया है। यहां रोज 50 से 100 विदेशी पर्यटकों की स्क्रीनिंग हो रही है। अभी तक एक भी पर्यटक में कोरोना वायरस से संक्रमण का कोई लक्षण नहीं मिला। स्वास्थ्य जांच टीम में डा. शेफाली गुप्ता और डा. राजीव शर्मा का कहना है कि डाक्टरों का दल बीमार विदेशी नागरिक की स्वास्थ्य संबंधी जानकारी जुटा रहा। भाषा की जानकारी के अभाव में अंग्रेजी भाषा व इशारों में बातचीत कर स्क्रीनिंग का काम चलाया जा रहा। इस दौरान कई विदेशी पर्यटकों के गाइडों से पूछताछ कर डाक्टर जानने की कोशिश कर रहे हैं कि कोई विदेशी बीमार तो नहीं है। हेल्थ टीम की जापान, सिंगापुर, श्रीलंका, म्यांमार के नागरिकों पर विशेष नजर है। उधर, सोनौली में कोरोना वायरस संक्रमण की स्क्रीनिंग जांच के लिए तैनात डाक्टरों का दल जरूरी सुविधाओं के अभाव में परेशान है। डॉक्टरों का कहना है कि हम जांच कर रहे हैं, और हमारे पास ही सुरक्षा इंतजाम नहीं है।

यात्राएं रद करा रहे हैं चीनी यात्री

बौद्ध सर्किट में चीन और आसपास के बुद्ध को मानने वाले देशों के नागरिकों की आवाजाही पर रोक लगी हुई है। चीनी सैलानी बौद्ध सर्किट भ्रमण की प्री बुकिंग निरस्त करा रहे हैं। अकेले कुशीनगर में 25 से अधिक बुकिंग निरस्त हुई है। चाइना एसोसिएशन आफ ट्रेवेल सर्विसेज ने इसको लेकर एडवाइजरी भी जारी की है। इससे रोज लाखों रुपये के व्यवसाय के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है। विगत दो वर्षों से बुद्धिस्ट सर्किट में चीनी पर्यटकों के आने की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही थी। शीतकाल में बौद्ध सर्किट के बोध गया, कुशीनगर, सारनाथ, कपिलवस्तु आदि स्थानों पर हजारों चीनी सैलानी आते हैं। इस बार इस पर पूरी तरह से ब्रेक लगता दिख रहा है। लोटस होटल के प्रबंधक आरएम गुप्त ने बताया कि एक फरवरी को चीनी पर्यटकों के 48 संख्या वाले दो ग्रुप ने रिजर्वेशन कराया था जिसे वायरस के कारण निरस्त करा लिया है। होटल रायल रेजीडेंसी के प्रबंधक पंकज कुमार ने बताया कि उनके होटल में 6 फरवरी को 80 चीनी सैलानियों के ग्रुप ने रिजर्वेशन कैंसिल कर दिया है। चाइना एसोसिएशन आफ ट्रेवेल सर्विसेज ने यात्रा न करने और चीनी अधिकारियों से रिजर्वेशन कराने वाले चीनी पर्यटकों के खर्चे वापस करने का अनुरोध किया है।

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नेपाल में चीन के सहयोग से चल रहीं योजनाएं प्रभावित

नेपाल में फिलहाल दो दर्जन से अधिक योजनायें चीन के सहयोग से निर्माणाधीन हैं। जिनमें देखरेख का जिम्मा चीनी इंजीनियरों का है। सोनौली बार्डर से सटे भैरहवा में चीन के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का निर्माण किया जा रहा है। इस काम को मार्च 2020 में पूरा होना है, लेकिन यह काम लगभग ठप है। काम की देखरेख में लगे 20 से अधिक इंजीनियर छुट्टियों पर स्वदेश लौटे थे, अब उनकी वापसी नहीं हो पा रही है। चीन के सहयोग से चल रहा बंधा निर्माण का काम भी प्रभावित हो रहा है। चीनी सहयोग से चल रहे शैक्षणिक संस्थान भी सुने पड़े हुए हैं।

चीन से लौटने वाले भारतीय को लेकर संशय

चीन में जॉब या पढ़ाई करने वालों पर स्वास्थ्य विभाग की विशेष नजर है। पिछले दिनों गोरखपुर के गीडा सेक्टर 23 की रहने वाली संजना शर्मा एयर इंडिया की फ्लाइट से गोरखपुर पहुंची। एयरपोर्ट अथॉरिटी ने इसकी जानकारी स्वास्थ्य महकमे को दी तो हड़कंप मच गया। फिलहाल, संजना में कोरोना के लक्षण नहीं पाए गए। फिलहाल चीन के विभिन्न शहरों से लौटे 50 से अधिक नागरिकों की निगरानी की जा रही है। सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी ने कहा कि मुंबई एयरपोर्ट अथॉरिटी को जांच रिपोर्ट भेजी जा रही है। वहां से रिपोर्ट ठीक मिलने के बाद भी नागरिक की निगरानी की जा रही है। संजना का कहना है कि वह चीन के एक संस्थान में पढ़ती है। चीन से मुंबई आईं और वहां से गोरखपुर। कोरोना वायरस की आशंका में महराजगंज के भी कई छात्र लौटे हैं। महराजगंज जिले के लक्ष्मीपुर में चीन से लौटे मेडिकल छात्र को कोरोना की आंशका में 25 जनवरी को जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया था। पंचायती राज निदेशक किंजल सिंह ने गोरखपुर, महराजगंज व सिद्धार्थनगर समेत चार अन्य जनपदों के जिला पंचायत राज अधिकारियों को मुख्य चिकित्साधिकारी से समन्वय स्थापित कर ग्राम प्रधानों को जागरूक करने का निर्देश दिया है। नेपाल की सीमा से सटे जनपदों बहराइच, श्रावस्ती, लखीमपुर खीरी, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, महराजगंज व गोरखपुर में बड़ी संख्या में नेपाली नागरिकों का आवागमन होता है। इसके कारण चीन में फैले कोरोना वायरस के संक्रमण की संभावना तेज हो गई है। गोरखपुर के जिला पंचायत राज अधिकारी हिमांशु शेखर ने बताया कि गांवों में भी जन-जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा।

चीनी पर्यटकों ने की विशेष प्रार्थना

चीन से आए पर्यटकों के चेहरों पर खौफ चस्पा है। पिछले दिनों कुशीनगर पहुंचे 132 पर्यटकों के दल ने भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में विशेष प्रार्थना की। सैलानियों ने प्रतिमा पर चीवर दान कर देश पर आए कोरोना संकट से छुटकारा दिलाने की प्रार्थना की। दल के सदस्यों ने ऐतिहासिक माथा कुंवर बुद्ध मंदिर व उनके अंतिम संस्कार स्थल रामाभार में निर्मित विशाल प्राचीन स्तूप की भी पूजा की। दल के सदस्य लि मऊ और पेन यंग ताऊ ने बताया कि चीन महामारी को लेकर भय का माहौल है। हालत यह है कि चीन में मास्क तक का अभाव हो गया है। कुशीनगर के सीएमओ डॉ नरेन्द्र कुमार गुप्त का कहना है कि यहां आए सभी 132 चीनी पर्यटकों की मेडिकल जांच की जा रही है। कोई वायरस से प्रभावित नहीं मिला है। एहतियात के तौर पर उन्हें व होटल प्रबंधन को मास्क दिया गया है।

कम पड़ गए मास्क, स्कूलों में सतर्कता

कोरोना वाइरस के भय मास्क की बिक्री बढ़ गई है। पूर्वांचल की सबसे बड़ी मंडी भालोटिया मार्केट में दुकानों से मास्क गायब हैं। थोक विक्रेता दिलीप सिंह बताते हैं कि दिल्ली से ही डिमांड पूरी नहीं की जा रही है। वहीं स्कूलों में भी असेम्बली की दौरान कोरोना से ऐतिहात बरतने का संदेश दिया जा रहा है। जिससे बाजार में मास्क की मांग बढ़ गई है। बाल चिकित्सक डॉ आरएन सिंह कहते हैं कि मास्क नहीं उपलब्ध है, तो साफ रुमाल भी मुंह में बांधा जा सकता है। जिससे राहत मिलेगी।

 

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