प्राइवेट अधिकारों को अनुच्छेद 226 के तहत याचिका तय नहीं किया जा सकता: कोर्ट
कोर्ट ऐसी याचिका की सुनवाई कर सकतीहै किन्तु कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के सूर्या कंस्ट्रक्शन केस के फैसले को इस मामले से अलग माना और याचिका खारिज कर दी है।
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि अनुच्छेद 226 में संविधान ने हाई कोर्ट को असामान्य शक्ति दी है,इसका इस्तेमाल पक्षकारों के व्यक्तिगत अधिकारों को तय करने के लिए नही किया जा सकता। संविदा के पालन कराने के लिए सिविल कोर्ट में वाद दायर किया जा सकता है।
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कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में 936 सी सी टी वी कैमरे सहित लखनऊ में आग से हुई छति की भरपाई करते हुए भुगतान करने का समादेश जारी करने के मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया और कहा कि याची सिविल वाद दायर कर सकता है।और याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने याचिका की पोषणीयता पर की गयी राज्य सरकार की आपत्ति को स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति पी के जायसवाल तथा न्यायमूर्ति डॉ वाई के श्रीवास्तव की खंडपीठ ने मेसर्स आई पी जैकेट टेक्नालॉजी इंडिया प्रा लि कम्पनी की याचिका पर दिया है। याचिका पर उप्र राजकीय निर्माण निगम के अधिवक्ता ने प्रतिवाद किया। याची का तर्क था कि संविदा को लेकर याचिका दाखिल करने पर पूर्णतया प्रतिबन्ध नही है। कोर्ट ऐसी याचिका की सुनवाई कर सकतीहै किन्तु कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के सूर्या कंस्ट्रक्शन केस के फैसले को इस मामले से अलग माना और याचिका खारिज कर दी है।
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