भाकपा राज्य सचिव ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, जानें क्या है मामला
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में डा. गिरीश ने कहा है कि कोरोना काल असामाजिक तत्वों के लिये अपराधों को अंजाम देने का अवसर बन गया है। उनमें से कई हैं जो शासक दल अथवा उससे जुड़े किसी संगठन की आड़ में अपराधों में लिप्त हैं और सत्ता दल के प्रभाव से आवश्यक कानूनी कार्यवाहियों से बचे हुये हैं।
लखनऊ: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा. गिरीश ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिख कुशीनगर में जिला काउंसिल सदस्य के ग्राहक सेवा केंद्र पर बीती 24 अप्रैल को हमलाकर तोड़फोड़ करने का आरोप लगाते हुए पुलिस द्वारा पीड़ित की रिपोर्ट न लिखे जाने की शिकायत की है। उन्होंने मुख्यमंत्री से इस मामलें में शीघ्र समुचित कार्यवाही करने का आदेश पारित अनुरोध किया है।
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में डा. गिरीश ने कहा है कि कोरोना काल असामाजिक तत्वों के लिये अपराधों को अंजाम देने का अवसर बन गया है। उनमें से कई हैं जो शासक दल अथवा उससे जुड़े किसी संगठन की आड़ में अपराधों में लिप्त हैं और सत्ता दल के प्रभाव से आवश्यक कानूनी कार्यवाहियों से बचे हुये हैं।
भाकपा कामरेड के ग्राहक सेवा केंद्र पर हमले में मुख्यमंत्री से कार्यवाही कराने की गुहार
उन्होंने आगे लिखा है कि मामला कुशीनगर के पटहेरवा थाने के अंतर्गत बाड़ू चैराहे का है। यहां उत्तर प्रदेश किसान सभा के जिला मंत्री और भाकपा की जिला काउंसिल के सदस्य कामरेड समसुद्दीन अंसारी जोया इंटरप्राइजेज नाम से ग्राहक सेवा केंद्र चलाते हैं। अपने कम्युनिस्ट विचारों और नैतिक आचरण के चलते वे हमेशा स्थानीय भगवाधारियों के निशाने पर रहते हैं।
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बीती 24 अप्रेल को 30- 35 की संख्या में नामजद स्थानीय भगवधारियों ने जो अपने को हिन्दू युवा वाहिनी के पदाधिकारी बताते हैं, ने जोया इंटरप्राइजेज पर हमला बोल दिया। उन्होने सेवा केन्द्र में घुसकर तोडफोड की, कंप्यूटर आदि उपकरण तोड़ डाले, वहां रखी धनराशि हड़प ली और कामरेड समसुद्दीन और उनके बेटे इस्तखार अंसारी पर जानलेवा हमला किया जिसमें वे घायल हो गये।
वाट्स एप मेसेज भेज कर कार्यवाही की मांग, अभी तक कोई कार्यवाई नहीं
उन्होंने लिखा है कि इस संबंध में समसुद्दीन अंसारी ने तत्काल पुलिस को सूचना दी और थाना- पटहेरवा जाकर लिखित शिकायत की। लेकिन उनकी रिपोर्ट नहीं लिखी गयी। उसके बाद समसुद्दीन ने पुलिस अधीक्षक, कुशीनगर सहित तमाम उच्चाधिकारियों से फोन पर वार्ता कर और वाट्स एप मेसेज भेज कर कार्यवाही की मांग की लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही तो दूर उनकी रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की गयी है। उलटे उन पर दबाव बनाया जा रहा है कि वे तहरीर से नामजद लोगों के नाम हटा दें और घटना का विवरण बदल दें।
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भाकपा राज्य सचिव ने कहा है कि कोरोना संकट के समय जब सेवा केन्द्र गरीब और आम जनता की वाकई सेवा कर रहे हैं ऐसे में उन पर हमला देशद्रोह की श्रेणी में आता है। लेकिन घटना को अंजाम देने वालों पर कार्यवाही से स्थानीय पुलिस इसलिए बच रही है कि नामजद लोग सत्तासीन समूह से संबंधित हैं। इससे न्याय के सिध्दांत का गला तो दब ही रहा है सत्ता प्रतिष्ठान की निरपेक्षता भी कठघरे में खड़ी हो रही है।