दहाड़ लगाता रहा भ्रष्टाचार का श्मशान घाट, बहरे बने रहे जिम्मेदार

गाजियाबाद के मुरादनगर का श्मशान घाट सरकारी धन के बंदरबांट और निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार का बड़ा उदाहरण है। सिस्टम में किस तरह भ्रष्टाचार घुस चुका है इसका बेहतरीन नमूना है

Update: 2021-01-06 11:26 GMT
दहाड़ लगाता रहा भ्रष्टाचार का श्मशान घाट, बहरे बने रहे जिम्मेदार (PC: social media)

लखनऊ: गाजियाबाद के मुरादनगर श्मशान घाट निर्माण का भ्रष्टाचारी दानव दहाड़ता रहा। लोगों ने इसकी आवाज सुनकर जिम्मेदार लोगों का द्वार भी खटखटाया लेकिन अधिकारी से लेकर नेता तक चुप बैठे रहे। उनके बहरे हो चुके कानों को भ्रष्टाचार के राक्षस की दहाड़ नहीं सुनाई दी। अब ठेकेदार और छोटे अधिकारियों को बलि का बकरा बनाकर पाप के दाग धोये जा रहे हैं।

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सिस्टम में किस तरह भ्रष्टाचार घुस चुका है

गाजियाबाद के मुरादनगर का श्मशान घाट सरकारी धन के बंदरबांट और निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार का बड़ा उदाहरण है। सिस्टम में किस तरह भ्रष्टाचार घुस चुका है इसका बेहतरीन नमूना है जिसमें आला अधिकारी से लेकर राजसत्ता के अलंबरदारों के चेहरे भी दागदार नजर आ रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने पूरे मामले में भ्रष्टाचार की शिकायत उच्च स्तर पर भी कर रखी है लेकिन शासन में बैठे अधिकारियों से लेकर गाजियाबाद के छोटे अधिकारियों ने भी इसका संज्ञान नहीं लिया। 25 लोगों की मौत के बाद अब नगर पालिका परिषद के अधिकारियों, जेई और ठेकेदार पर कार्रवाई की खानापूरी की जा रही है।

मनोनीत सदस्य ने जून में की थी भ्रष्टाचार की शिकायत

मुरादनगर के रावली रोड स्थित मंदिर के महंत विजयपाल हितकारी जो नगर विकास परिषद संस्था के अध्यक्ष हैं। नगर पालिका परिषद में मनोनीत सदस्य हैं और चार बार चुनाव जीतकर परिषद के सदस्य रह चुके हैं। उन्होंने इस मामले की लिखित शिकायत जिलाधिकारी गाजियाबाद, प्रमुख सचिव नगर विकास विभाग लखनऊ, आयुक्त मेरठ मंडल और नगरपालिका परिषद मुरादनगर के अध्यक्ष व अधिशासी अधिकारी से लिखित तौर पर की है।

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इस पत्र के अनुसार उन्होंने बताया है कि श्मशान घाट के निर्माण में खुला भ्रष्टाचार किया जा रहा है। दस बोरी बालू में एक बोरी सीमेंट मिलाई जा रही है। सबसे घटिया यानी थर्ड क्लास पीली ईंट लगाई जा रही है। इस पत्र में उन्होंने बताया है कि कई बार उन्होंने इसकी शिकायत स्थानीय स्तर पर अधिकारियों से की है लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। इसलिए मामले की जांच कराकर उचित कार्यवाही की जाए। दस जून 2020 को लिखे इस पत्र का शासन में बैठे अधिकारियों से लेकर जिलाधिकारी गाजियाबाद व मंडलायुक्त मेरठ ने भी कोई संज्ञान नहीं लिया। शिकायत करने वाले विजयपाल हितकारी का कहना है कि उन्होंने जिलाधिकारी और नगर पालिका अध्यक्ष व ईओ को खुद मुुलाकात कर शिकायती पत्र सौंपा था।

रिपोर्ट- अखिलेश तिवारी

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