योगी सरकार पर बड़ा आरोप: सामने आया करोड़ों रुपए की हेराफेरी का मामला
प्रदेश सरकार की कायाकल्प योजना से हर ग्राम पंचायत के प्राथमिक व जूनियर स्कूल में लग रहे मैगनेटिक ग्रीन चाक बोर्ड में पड़े पैमाने पर भ्र्ष्टाचार किया जा रहा..
लखनऊ। प्रदेश सरकार की कायाकल्प योजना से हर ग्राम पंचायत के प्राथमिक व जूनियर स्कूल में लग रहे मैगनेटिक ग्रीन चाक बोर्ड में पड़े पैमाने पर भ्र्ष्टाचार किया जा रहा है। कानपुर देहात में अफसरों ने बिना टेंडर अज्ञात फर्म को ग्रीन बोर्ड की आपूर्ति के मौखिक आदेश देकर सरकारी स्कूलों में ग्रीन बोर्ड लगवाये और मनमाने बिल वाउचर के जरिये सरकारी धन की लूट की।
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एक बोर्ड की कीमत दो से तीन हजार रूपए की है लेकिन बिल 10 हजार रूप्ए का बन रहा है। मंडल स्तर के उच्चाधिकारियों ने सूचना के लिए फर्म से किया पत्राचार तो फर्जी निकला
सरकार की जीरो टालरेंस नीति पर पानी फेर रहे विकास विभाग के अफसर
उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही जीरो टालरेंस की बात कर रहे हों लेकिन ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार के मामले कम होते नहीं दिख रहे हैं। विभागीय अफसरों और ठेकेदारों की मिलीभगत से इन पर लगाम नहीं कस पा रही है।
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कानपुर देहात में भ्रष्टाचार का एक ताजा मामला खुल कर सामने आ रहा है। इसमें करोडों रूप्ए के गोलमाल की आशंका नजर आ रही है। दरअसल, पूरे प्रदेश की ग्राम पंचायतों के संपूर्ण विकास के लिए प्रदेश की योगी सरकार ने कायाकल्प योजना संचालित की है।
इसके तहत गांव के स्कूल, पंचायत घर सहित सामुदायिक केंद्रों का सुंदरीकरण किया जा रहा है। इसपर करोंडों रूप्यों का बजट जारी किया गया है। कानपुर देहात जनपद में प्राथमिक व जूनियर स्कूलों में पहले से ही लगे ब्लैक बोर्ड के स्थान पर मैग्नेटिक ग्रीन चाक बोर्ड लगाए जा रहे हैं।
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वहीं बीजेपी के मंडल प्रभारी पंचायती राज और पूर्व ब्लाक प्रमुख ने डीएम को ज्ञापन देकर शिकायत करते हुए कहा कि स्कूलों में बोर्ड आपूर्ति के लिए यूनिक इंफ्रा प्रोजेक्ट फर्म को मौखिक निर्देश देकर ग्रीन बोर्ड लगाये जा रहे है। ये फर्म स्कूलों में ग्रीन बोर्ड लगा रही है। इसका भुगतान ग्राम पंचायत के राज्यवित आयोग की निधि से किया जा रहा है।
विकास विभाग में खलबली मची हुई है
2 से 3 हजार रुपये प्रति बोर्ड की स्टैंडर्ड कीमत की जगह 10 हजार कीमत लगाई गयी है कानपुर देहात जनपद में 1604 प्राथमिक और 674 जूनियर स्कूल हैं। इस तरह से इन बोर्ड की आपूर्ति में करोडों रूप्ए का भुगतान किये जा रहे है। आखिर ये किसके आदेश पर ग्रीन बोर्ड लगाये जा रहे है जबकि ये फर्म फर्जी है शिकायत के बाद अब विकास विभाग में खलबली मची हुई है।
साथ ही विकास के उच्चाधिकारियों की मिलीभगत के चलते फर्जी तरह भ्र्ष्टाचार किया जा रहा है। जब इस मामले की गुपचुप तरीके से उप निदेशक पंचायती राज से शिकायत हुई तो मंडलीय अधिकारियों ने फर्म से पत्राचार शुरू किया।
रजिस्टर्ड डाक से गई चिठटी वापस आ गई
ग्रीन बोर्ड सप्लाई करने वाली यूनिक इंफ्रा प्रोजेक्ट ने अपने कार्यालय का पता 4-485, अंबेडकरपुरम आवास विकास कल्यानपुर कानपुर-3 दिया है। इस पर विभाग ने पत्र लिखकर बोर्ड सप्लाई किए जाने के बाबत सूचना चाही लेकिन रजिस्टर्ड डाक से गई चिठटी वापस आ गई।
डाक विभाग ने इस पते पर कोई कार्यालय नहीं होने की बात सामने आयी तो अधिकारियों का शक गहरा गया। इसके बाद पता चला कि कागजों पर ही फर्म का संचालन किया जा रहा है।
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वहीं बीजेपी मंडल प्रभारी पंचायती राज विवेक द्विवेदी ने कहा कि बिना टेंडर व कोटेशन के यूनिक इंफ्रा प्रोजेक्ट फर्म बोर्ड कैसे आपूर्ति कर रही है। इसको लेकर तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं। अगर इस मामले की जांच हुई तो कई अफसरो के खिलाफ कडी कार्रवाई हो सकती है
वही अभय कुमार शाही उप निदेशक पंचायती राज कानपुर मंडल ने बताया कि बोर्ड आपूर्ति करने वाली फर्म से सूचना मांगी गई थी लेकिन पत्र फर्म के पते से वापस आ गया है। यह फर्म कागजों पर ही चल रही है। इसके लिए कमिश्नर और मंडल के सभी सीडीओ सहित अन्य अधिकारियों को पत्र लिखकर अवगत करा दिया गया है। मामले की जाँच कराई जा रही है।