खतरनाक है नदियों में शवों का बहाया जाना, फैल सकता है संक्रमण
यदि शवों का जल प्रवाहित किये जाने का सिलसिला नहीं रुका तो कोरोना का संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाएगा।
लखनऊ: हमीरपुर-कानपुर के बीच से होकर बहने वाली यमुना नदी (Yamuna River) में एक साथ तमाम लाशों को उतराता देख कर हड़कंप मच गया है। ये लाशें गांव में हो रही मौतों की हैं और कोरोना महामारी (Corona Virus Pandemic) फैलने के बाद इस तरह से प्रवाहित किये जाने वाले इक्का दुक्का शवों की जगह बड़ी संख्या में शव प्रवाहित किये जा रहे हैं। इस तरह से शवों के प्रवाहित किये जाने से लोगों में भय और आतंक बढ़ गया है। लोगों को संक्रमण फैलने की आशंका सताने लगी है।
शवों का अंतिम संस्कार (Funeral) गांवों में तीन तरह से किया जाता है। पहला तरीका है श्मशान में अग्नि से दाह संस्कार करने का, दूसरा तरीका है पानी में प्रवाहित करने का और तीसरा तरीका है जमीन में दफनाने का। कोरोना संक्रमण फैलने के बाद गांवों से लगातार लोगों की मौतों की खबरें आ रही हैं। तमाम लोग तो अपने खेतों में अंतिम संस्कार कर रहे हैं। लेकिन कुछ लोग शवों को पानी में प्रवाहित कर रहे हैं क्योंकि धार्मिक मान्यता है कि यमुना मोक्षदायिनी है।
पानी संक्रमित होने की आशंका
पिछले दिनों हरिद्वार कुंभ के दौरान रुड़की विश्वविद्यालय और गुरुकुल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में कोरोना संक्रमित व्यक्ति के पानी में नहाने पर पानी के संक्रमित होने की आशंका जतायी थी। उनका कहना था कि हरिद्वार कुंभ में बड़ी तादाद में लोगों ने स्नान किया जिसमें तमाम कोरोना पाजिटिव थे। उनके संपर्क में आकर जो कोरोना पाजिटिव नहीं थे वह भी शिकार हो गए। इसी तरह वह पानी जैसे जैसे आगे बढ़ेगा संक्रमण भी फैलाएगा।
नदियों से संक्रमण फैलने का खतरा
अगर वैज्ञानिकों की रिसर्च को सही माना जाए तो गांव में इन दिनों हो रही मौतों के बाद यदि शवों का जल प्रवाहित किये जाने का सिलसिला नहीं रुकता है तो नदियों का प्रदूषण तो बढ़ेगा ही साथ ही कोरोना का संक्रमण फैलने का खतरा भी बढ़ जाएगा। इसकी वजह बताते हुए शोधकर्ता कहते हैं कि गांव में लोग न तो बुखार खांसी जुकाम होने पर जांच करा रहे हैं, न ही उनका टीकाकरण (Corona Vaccination) का काम युद्ध स्तर पर हो रहा है। ऐसे में होने वाली संदिग्ध कोरोना मरीजों की मौतों से संक्रमण फैलने का खतरा हो सकता है।