लखनऊ : यूपी की टॉप नौकरशाही की तैनाती सीएम योगी के हाथ में नहीं है। प्रदेश में 14 दिन से डीजीपी का पद रिक्त है। केंद्र सरकार ने योगी सरकार के नियुक्त डीजीपी ओपी सिंह को कार्यमुक्त नहीं किया। इसे मजाक की संज्ञा देते हुए रिटायर आईएएस सूर्य प्रताप सिंह कहते हैं कि सूबे में नौकरशाही की तैनाती में दिल्ली की चलती है।
गेस्टहाउस कांड के बाद सस्पेंड हुए थे ओपी सिंह
उन्होंने आगे कहा है कि जब ओपी सिंह अपने कार्यकाल में लखनऊ SSP के पद पर तैनात थे। तब मायावती पर गेस्ट हाउस में हमला हुआ था। इसमें ओपी सिंह को निलंबित कर दिया गया था। अब शायद उनकी तैनाती दलित वर्ग में गलत संदेश देती, इसीलिए इस पर पुनर्विचार हो रहा है। इसीलिए अब पहले दिल्ली से लाए गए दलित अधिकारी देवेंद्र चौधरी को अहम पद देकर ओपी सिंह को DGP का पद मिले। वैसे भी सहारनपुर की घटना के बाद प्रदेश में दलित वर्ग सत्तापक्ष से रूष्ट चल रहा है।
अपने फेसबुक वाल पर उन्होंने यह भी लिखा है कि संवेदनशील यूपी में मुखिया विहीन पुलिस फोर्स है जबकि एक अन्य वरिष्ठ IAS अधिकारी देवेंद्र चौधरी को तत्काल कार्यमुक्त कर यूपी के हवाले कर दिया गया। राजनीतिक रूप से नौकरशाहों की जाति भी नेताओं व सत्ताधारियों के लिए अहम होती है।
नेता ‘शिकारी’ है और नौकरशाह ‘शिकार’
मौजूदा सियासी माहौल पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा है कि वाह रे ! राजनीति तेरे रंग अनेक। नौकरशाही को भी जातियों में बाँट अपना उल्लू सीधा करते हो। इस ‘वोट की राजनीति’ की पटकथा में नेता ‘शिकारी’ है और नौकरशाह ‘शिकार’। विकास/किसान/मज़दूर की बात करना पूरे मंचन में मात्र visual effects हैं। टेढ़ी राजनीति में कोई सीधी बात कैसे हो सकती है?