देव दीपावाली पर से छटे कोरोना के बादल, उल्लास के साथ मनाया जायेगा उत्सव

जिला प्रशासन को यह तय करना होगा कि किस किस घाट पर कितने लोग होंगे कोविड-19 तैयार करना होगा। जांच के बाद ही घाट तक जाने की अनुमति दी जाएगी।

Update: 2020-11-03 09:11 GMT
देव दीपावाली पर से छटे कोरोना के बादल, उल्लास के साथ मनाया जायेगा उत्सव (Photo by social media)

वाराणासी: धार्मिक नगरी काशी में देव दीपावली मनाने को लेकर सस्पेंस ख़त्म हो गया है। कोरोना काल में भी बनारस के गंगा घाट कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीयों से रौशन होंगे। हालांकि इसकी छटा थोड़ी फीकी रहेगी। सीमित संख्या और कोविड की गाइडलाइन के साथ देव दीपावली मनाने के लिए राज्य सरकार ने हरी झंडी दे दी है। इसके साथ ही अब पूर्व के वर्षो की तरह इस बार भी काफी के सभी घाटों पर दीप जलेंगे उल्लास के साथ उत्सव मनेगा लेकिन जरूरत से ज्यादा भीड़ नहीं होगी।

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जिला प्रशासन को करना होगा ये ख़ास इंतजाम

जिला प्रशासन को यह तय करना होगा कि किस किस घाट पर कितने लोग होंगे कोविड-19 तैयार करना होगा। जांच के बाद ही घाट तक जाने की अनुमति दी जाएगी। यह नियम सभी पर्यटकों के साथ स्थानीय लोगों पर भी लागू होगा। कमिश्नर के अनुसार सीएम ने देव दीपावली मनाने के संकेत दिए हैं। साथ ही कोविड-19 इलाज के अनुपालन करने का निर्देश दिया है। दूसरी तरफ से देव दीपावली को हरी झंडी मिलने के बाद जिला प्रशासन कोविड-19 को ध्यान में रखकर देव दीपावली की तैयारियों में जुट गया है। डीएम की ओर से जल्द ही इसको लेकर स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए जाएंगे।

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जमीं पर दिखता है जन्नत का नजारा

दीपावली के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा वाले दिन काशी में देव दीपावली मनाई जाती है। इस दिन शाम के समय मंदिर और गंगा के घाटों को दीयों से जगमगाया जाता है। बनारस के अर्ध चंद्राकार घाटों पर जब दीये रौशन होते हैं तो जमीं पर जन्नत का नजारा दिखता है। इस अलौकिक पल को देखने के लिए हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु बनारस पहुँचते है।कार्तिक पूर्णिमा के दिन सभी देवी देवता दीपावली मनाते हैं और भगवान शिव की काशी आते आते हैं। इस दिन भगवान शिव और गंगा मैया के पूजन का विधान है।

आशुतोष सिंह

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