रिटायर हो रहे DGP ओपी सिंह, ये लोग रेस में आगे
उत्तर प्रदेश के वर्तमान डीजीपी ओपी सिंह 31 जनवरी 2020 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश में नए डीजीपी के लिए कवायद शुरु हो गई है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के वर्तमान डीजीपी ओपी सिंह 31 जनवरी 2020 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश में नए डीजीपी के लिए कवायद शुरु हो गई है। बता दें कि नए डीजीपी का सिलेक्शन यू पी एस सी करेगा। नए नियमों के मुताबिक, सरकार को अधिकारियों के नामों का पैनल संघ लोक सेवा आयोग को भेजना होगा। नई नियमों के अनुसार, रिटायरमेंट से कम से कम 3 महीने पहले प्रदेश सरकार को 3 से 5 आईपीएस अधिकारियों के पैनल आयोग को भेजने होंगे।
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दो अन्य वरिष्ठ आईपीएस भी हो रहे सेवानिवृत्त
बता दें कि मौजूदा डीजीपी 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी ओपी सिंह 31 जनवरी 2020 सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इनके अलावा जनवरी 2020 में ही दो अन्य वरिष्ठ आईपीएस डीजी इंटेलिजेंस भावेश कुमार सिंह व डीजी विशेष जांच महेंद्र मोदी भी सेवानिवृत्त हो रहे हैं। मौजूदा डीजीपी ओपी सिंह के रिटायर होने पर 1985 बैच के डीजी विजिलेंस हितेश कुमार अवस्थी व 1986 बैच के जवाहरलाल त्रिपाठी 1987 बैच के आरपी सिंह वरिष्ठता में सबसे आगे चल रहे हैं।
ओम प्रकाश सिंह ने उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के तौर पर जनवरी, 2018 में अपना कार्यभार संभाला था और वो जनवरी, 2020 में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। आइए जानते हैं ओपी सिंह के जीवन के बारे में-
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बिहार के गया जिले में हुए थे पैदा
ओपी सिंह यानी ओम प्रकाश सिंह 2 जनवरी, 1960 को बिहार के गया जिले में पैदा हुए थे। उनके पिता का नाम शिवधारी सिंह है। अगर इनकी शैक्षिक योग्यता की बात करें तो ओपी सिंह ने राजनीति विज्ञान में मास्टर्स किया, फिर आपदा प्रबंधन में एमबीए की डिग्री हासिल की है। ओपी सिंह ने मद्रास विश्वविद्यालय से एमफिल किया है। महज 23 वर्ष की उम्र में वह 1983 में भारतीय पुलिस सेवा के लिए चुन लिये गये। ओपी सिंह ने सेंट जेवियर्स कॉलेज, नेशनल डिफेन्स कॉलेज और दिल्ली यूनिवर्सिटी से अपनी शिक्षा ग्रहण की।
इन पदों पर दीं अपनी सेवाएं
आईपीएस चुने जाने के बाद वो यूपी में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत रहें। उन्होंने लखनऊ, इलाहाबाद, मुरादाबाद, लखीमपुर खीरी और अमरोहा में पुलिस अधीक्षक और वरीय पुलिस अधीक्षक के तौर पर अपनी सेवाएं दी हैं। उन्होंने भारत की आंतरिक सुरक्षा, अपराध जांच, कानून एवं व्यवस्था, खुफिया विभागों समेत इलाहाबाद में कुंभ मेला जैसे आयोजनों को सफलतापूर्वक अंजाम तक पहुंचाया।
साल 1992-93 में आतंकवादी गतिविधि के मामला से लेकर शिया-सुन्नी विवादों के निबटारे तक, उन्होंने अपनी कार्यकुशलता दिखाई है। जिसके लिए उन्हें साल 1998 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है। उन्होंने एनडीआरएफ में योगदान देते हुए जम्मू-कश्मीर बाढ़, नेपाल में भूकंप, हुदहुद चक्रवात और चेन्नई में शहरी बाढ़ जैसी बड़ी आपदाओं के बाद हालात से निबटने के साथ-साथ हजारों पीड़ितों को बचाने के लिए सफलतापूर्वक अपनी टीम का संचालन किया।
इन पुरस्कार से हो चुके हैं सम्मानित
वो सुरक्षा के लिए क्वालिटी एक्सिलेंस अवार्ड-2017 से भी सम्मानित हो चुके हैं. ओपी सिंह वीरता के लिए भारतीय पुलिस मेडल, प्रतिष्ठित सेवा के लिए भारतीय पुलिस पदक और मेरिटोरियस सर्विसेज के लिए भारतीय पुलिस पदक से सम्मानित हो चुके हैं। इसके अलावा ओपी सिंह को सुरक्षा तंत्र के पुनर्निर्माण और आपदा राहत कार्यों का सफलतापूर्वक नेतृत्व करने के लिए असाधारण योगदान पुरस्कार-2016 से भी सम्मानित किया चुका है। इसके अलावा ओपी सिंह को लेखन में भी काफी रुचि है। वह राष्ट्रीय समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में भी अपने लेख लिखते रहे हैं। उन्होंने नेपाल में आये भूकंप पर एक किताब लिखी है।
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