आरोपों के घेरे में फंसते जा रहे हैं निदेशक आयुर्वेद, जानें क्या है मामला

हाल ही में एक मामला प्रकाश में आया है जिसमें उन्होंने एक सेवानिवृत्त चिकित्साधिकारी डा शिवकुमार को नियमों के विपरीत औषधि परीक्षण के पैनल में शामिल किया है। जबकि न्यू पैनल में डा शिवकुमार का नाम नहीं है।

Update:2019-10-22 19:40 IST

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: अपनी विवादित कार्यशैली के चलते निदेशक आयुर्वेदिक सेवाएं डा एसएन सिंह लगातार आरोपों से घिरते जा रहे हैं। योग दिवस पर पहले तौलिया और टी-शर्ट की खरीद के मामले में चर्चा में आने के बाद अब वह अपने मनचाहे लोंगों को तैनाती देने और जातिवाद को लेकर चर्चा में हैं।

हाल ही में एक मामला प्रकाश में आया है जिसमें उन्होंने एक सेवानिवृत्त चिकित्साधिकारी डा शिवकुमार को नियमों के विपरीत औषधि परीक्षण के पैनल में शामिल किया है। जबकि न्यू पैनल में डा शिवकुमार का नाम नहीं है। इसे लेकर विभाग में खूब चर्चा है कि डा शिवकुमार को पैनल में शामिल करने के पीछे निदेशक का व्यक्तिगत और आर्थिक लाभ जुडा हुआ है जिसके कारण वह उनको अपने साथ ही रखना चाहते हैं।

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हीलाहवाली के चलते ही वहां से अबतक पैनल फाइनल नहीं किया गया

इसके पहले पूर्व पैनल मेंबर डा मुक्ता सिन्हा को उन्होंने हटा दिया और अपने मनचाहे डा शिवकुमार को इस पैनल में शामिल कर लिया। जिनमें माध्यम से ड्रग लाइसेंस से लेकर अन्य सभी लाभकारी काम कराए जा रहे हैं।

इस बारे में जब डा एसएनिंसह से बात की गयी तो उहोने शासन पर उल्टा दोष मढते हुए कहा कि यहां से पैनल बनाकर शासन भेज दिया गया है लेकिन हीलाहवाली के चलते ही वहां से अबतक पैनल फाइनल नहीं किया गया है।

वहीं राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने कार्यवाहक निदेशक आर्युवेद विभाग डा एसएन सिंह की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए शासन को एक शिकायती पत्र भी लिखा है जिसमें कहा गया है कि जब से डा एस एन सिंह को इस पद की जिम्मेदारी सौंपी गयी है तब से 68 दवा बनाने की नई फर्मो को लाइसेंस निर्गत किए जा चुके हैं।

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योग दिवस पर खरीदे गए तोलियों और टी-शर्ट में खूब अनियमिताएं की गयी

जबकि तत्कालीन सचिव ने पोर्टल पर नियमानुसार कार्यवाही करने के निर्देश दिए गये थें। यहीं नहीं, निदेशक एसएन सिंह के सरक्षणं में इस वर्ष हुए योग दिवस पर खरीदे गए तोलियों और टी-शर्ट में खूब अनियमिताएं की गयी जिसके चलते कुछ पर शासन ने अनुशासनात्मक कार्रवाई कर उनका स्थानान्तरण किया जा चुका है।

प्रमुख सचिव आयुष विभाग को सौंपे गए शिकायती पत्र में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष विजय कुमार निगम ने कहा हे कि निदेशक के ही संरक्षण में जिन फाइलों पर आर्थिक लाभ नहीं मिल पाता उनको जानबूझकर वित्त न्याय और कार्मिक विभाग में घुमाया जाता रहता है।

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