जानिए कौन थे निषादराज गुहा, जिनकी जयंती मनाने का अखिलेश यादव ने दिया निर्देश?

Nishad Raj Guha Birth Anniversary: केवटराज निषाद के पुत्र गुहराज निषाद ने अपनी नाव में प्रभु श्रीराम को गंगा के उस पार उतारा था। आज गोरा निषाद के वंशज और उनके समाज के लोग उनकी पूजा अर्चना करते हैं।

Written By :  Rahul Singh Rajpoot
Published By :  aman
Update:2022-04-05 12:30 IST

Nishad Raj Guha Birth Anniversary : भगवान राम (Lord Ram) के प्रिय शिष्य महाराज निषादराज गुहा (Nishad Raj Guha) और महर्षि कश्यप (Maharishi Kashyap) की आज जयंती है। निषाद राज गुहा की जयंती केवट समाज धूमधाम से मनाता है। वहीं, समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने भी अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया है कि वह निषादराज गुहा और महर्षि कश्यप की जयंती को धूमधाम से मनाएं।

बता दें, कि उत्तर प्रदेश विधानसभा के दौरान निषादों को साधने की सभी पार्टियों ने जुगत लगाई थी। बीजेपी के साथ खुद को निषादों का नेता बताने वाले संजय निषाद ने तालमेल किया और उनके 11 विधायक जीतकर आए। इसके दम पर वह योगी कैबिनेट में शामिल हुए। जिसके बाद आज निषादराज की जयंती को अखिलेश यादव ने धूमधाम से मनाने के निर्देश दिए हैं, तो चलिए आपको  निषाद राज गुहा के बारे में बताते हैं।

निषादराज गुहा कौन थे?

केवटराज निषाद के पुत्र गुहराज निषाद ने अपनी नाव में प्रभु श्रीराम को गंगा के उस पार उतारा था। आज गोरा निषाद के वंशज और उनके समाज के लोग उनकी पूजा अर्चना करते हैं। चैत्र शुक्ल पंचमी को उनकी जयंती होती है। वह मछुआरों और नाविकों के राजा थे। उनका पूर्व में राज था। उन्होंने प्रभु श्री राम को गंगा पार कराया था। वनवास के बाद श्रीराम ने अपनी पहली रात उन्हीं के यहां बिताई थी। श्रृंगवेरपुर में इंगुदी (हिंगोट) का वृक्ष हैं, जहां बैठकर प्रभु ने निषादराज गुह से भेंट की थी। राम को जब वनवास हुआ तो वाल्मीकि रामायण और शोधकर्ताओं के अनुसार वह सबसे पहले तमसा नदी पहुंचे थे, जो अयोध्या से 20 किलोमीटर दूर है। इसके बाद उन्होंने गोमती नदी पार की और प्रयागराज (इलाहाबाद) से 20-22 किलोमीटर दूर वह श्रृंगवेरपुर पहुंचे थे। जो निषादराज गुह का राज्य था। यहीं पर गंगा के तट पर उन्होंने केवट से गंगा पार करने को कहा था।

रामायण में इस नगर का उल्लेख

प्रयागराज (इलाहाबाद) से लगभग 35 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम की ओर स्थित 'सिंगरौर' नामक स्थान ही प्राचीन समय में श्रृंगवेरपुर नाम से परिज्ञात था। रामायण में इस नगर का उल्लेख आता है। यह नगर गंगा घाट के तट पर स्थित था। महाभारत काल में इसे 'तीर्थस्थल' कहा गया है। रामायण में इस नगर का उल्लेख आता है यह नगर गंगा घाटी के तट पर स्थित है महाभारत में इसे तीर्थ स्थल कहा गया है। महाराज गुहराज निषाद का किला सिंगरपुर धाम उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के सोरांव तहसील में है। प्रयागराज शहर से 23 किलोमीटर दूर लखनऊ मार्ग के मुख्य रोड से 3 किलोमीटर गंगा नदी के किनारे स्थित है।

ऋषि-मुनियों की तपोभूमि 

जिले में ही उरई नामक एक स्थान है जो सिंगरौर के निकट गंगा नदी के तट पर स्थित है। गंगा के उस पार सिंह रोड तो इस पार्क कुरई सिंगरौर में गंगा पार करने के पश्चात भगवान राम इसी स्थान पर उतरे थे। इस गांव में एक छोटा सा मंदिर है जो स्थानीय लोग सूरत के अनुसार उसी स्थान पर है जहां गंगा को पार करते समय भगवान राम लक्ष्मण और माता सीता ने उस देर विश्राम किया था गंगा किनारे बसा सिंगरपुर धाम जो ऋषि-मुनियों की तपोभूमि माना जाता है सिंह एयरपोर्ट का नाम श्रृंगी ऋषि पर रखा गया है। निषादराज केवट का वर्णन रामायण के अयोध्या कांड में किया गया है। 

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