डॉ कफील की पुस्तक 'गोरखपुर अस्पताल त्रासदी' का अखिलेश यादव ने किया विमोचन
Gorakhpur Hospital Tragedy: बता दें 2017 में योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से 80 बच्चों की जान चली गई थी. उस वक्त डॉ कफील वहां सुपरिटेंडेंट थे.;
Dr Kafeel's book Gorakhpur Hospital Tragedy book released by Akhilesh Yadav (Image: Newstrack, Ashutosh Tripathi)
Gorakhpur Hospital Tragedy: गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के पूर्व डॉक्टर कफील की पुस्तक का समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विमोचन किया. सपा कार्यालय पर अखिलेश यादव ने डॉक्टर कफील द्वारा लिखी गई 'गोरखपुर अस्पताल त्रासदी' किताब का विमोचन कर योगी सरकार पर निशाना भी साधा.
बता दें 2017 में योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से 80 बच्चों की जान चली गई थी. उस वक्त डॉ कफील वहां सुपरिटेंडेंट थे. डॉ कफील पर उस वक्त आरोप लगे थे और उन्हें सरकार ने सेवा से बर्खास्त भी कर दिया है। उन्हें कई महीने जेल में भी बिताने पड़े उसके बाद इस किताब के जरिए वह अब उस त्रासदी को बयां करने की कोशिश की है।
Dr Kafeel's book Gorakhpur Hospital Tragedy book released by Akhilesh Yadav (Image: Newstrack, Ashutosh Tripathi)
डॉक्टर कफील द्वारा लिखी गई किताब 'गोरखपुर अस्पताल त्रासदी' में उन्होंने पूरी घटना का जिक्र करते हुए यह बताया है कि कैसे उस वक्त यह बताया गया था कि ऑक्सीजन की कमी नहीं थी. उस वक्त मुख्यमंत्री तक को लेटर लिखा गया था, लेकिन किसी ने कोई संज्ञान नहीं लिया. उनका कहना है कि मुझे आरोपी बनाते हुए जेल भेजा गया, मैं जेल में था. जेल के उस सिस्टम के बारे में भी लिखा है कि किस तरीके से जेल के अंदर दो तरीके का सिस्टम चलता है.
अखिलेश यादव ने लड़ाया था एमएलसी चुनाव
डॉ. कफील जेल से छूटने के बाद बीजेपी सरकार का मुखर होकर विरोध करने लगे हैं। वह अब समाजवादी पार्टी से जुड़ गए हैं। अखिलेश यादव ने उन्हें विधान परिषद के चुनाव में देवरिया-कुशीनगर सीट से प्रत्याशी बनाया था। हालांकि वह बीजेपी उम्मीदवार से हार गए थे। कफील अब भी सरकार की नीतियों का विरोध कर रहे हैं और अब इस किताब के माध्यम से 2017 में गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में हुई ऑक्सीजन की कमी से 80 बच्चों की मौत मामले का जनता के सामने रखने का प्रयास किया है। इस घटना के बाद ऑक्सीजन की सप्लाई करने वाली कंपनी की ओर से यह दलील दी गई थी कि पिछले कई महीने से भुगतान नहीं मिलने के चलते ऑक्सीजन के सिलेंडर की सप्लाई बंद करनी पड़ी थी.