बड़ा फैसला: करना है बाबा विश्वनाथ के दर्शन, तो पहनना होगा ये ड्रेस...

काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए जा रहे हैं, तो ये खबर आपके लिए है। काशी विश्वनाथ मंदिर में एंट्री के लिए अब ड्रेस कोड हो गया है।

Update:2020-01-13 12:55 IST
Dress Code for kashi vishwanath temple in Varanasi

वाराणसी: काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए जा रहे हैं, तो ये खबर आपके लिए है। काशी विश्वनाथ मंदिर में एंट्री के लिए अब ड्रेस कोड हो गया है। दरअसल उज्जैन के महाकाल मंदिर की तर्ज पर अब काशी विश्वनाथ में भी भगवान को छूने के लिए पुरुषों को धोती कुर्ता और महिलाओं को साड़ी पहनना होगा। पारंपरिक कपड़ें पहनने के बाद ही भोले बाबा को स्पर्श करने की इजाजत मिलेगी।

इस नई व्यवस्था के तहत मंदिर में भगवान को स्पेश करने वाले लोग जींस, पैंट, शर्ट या सूट आदि नहीं पहन सकते। हालाँकि मंदिर में जाकर दर्शन तो कर सकते हैं लेकिन भगवान को इन कपड़ों में छू नहीं सकते। इसके अलावा भी कई नियम लागू किये गये हैं। रविवार को मंदिर में दर्शन-पूजन की व्‍यवस्‍था तय करने को लेकर सूबे के धर्मार्थ कार्य मंत्री नीलकंठ तिवारी की अध्‍यक्षता में मंदिर प्रशासन और काशी विद्वत परिषद के सदस्‍यों की बैठक कमिश्‍नरी सभागार में हुई।

ये भी पढ़ें: कौन हैं वो दो IPS, जिनको मिली लखनऊ-नोएडा की कमिश्नरी की कमान

भगवान को स्पर्श करने की अवधि बढ़ाई गयी:

मंदिर प्रशासन और काशी विद्वत परिषत के विद्वानों ने रविवार को बैठक की, जिसके तहत श्रद्धालुओं को लेकर नए नियम बनाये गये। इन नियमों तहत काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर तय की गई नई व्यवस्था में अब जींस, पैंट, शर्ट और सूट पहने लोग दर्शन तो कर सकेंगे लेकिन उन्हें स्पर्श दर्शन करने की अनुमति नहीं होगी।

ये भी पढ़ें: आज है सकट चौथ, सिर्फ पुत्र के लिए है या पुत्री के लिए भी, जानिए इस व्रत का महत्व

वहीं काशी विश्‍वनाथ मंदिर में स्पर्श दर्शन के लिए ड्रेस कोड लागू होने के अलावा स्‍पर्श दर्शन की अवधि भी बढ़ाई जा रही है। बता दें कि यह नई व्यवस्था मकर संक्रांति के बाद लागू होगी और मंगला आरती से लेकर दोपहर की आरती तक हर रोज ये व्यवस्था लागू रहेगी।

विद्वानों की सहमति से तय हुआ कि विग्रह स्‍पर्श के लिए पुरुषों को धोती-कुर्ता और महिलाएं को साड़ी पहननी होगी। पैंट शर्ट, जींस, सूट, कोट पहने श्रद्धालु स्‍पर्श करने की बजाए सिर्फ दर्शन कर सकेंगे। ऐसी व्‍यवस्‍था उज्‍जैन के महाकाल समेत दक्षिण भारत के कई मंदिरों में लागू है।

ये भी पढ़ें: आस्था का ऐतिहासिक मंदिर ‘स्वर्गद्वारी’

Tags:    

Similar News