बहराइच: पूरे देश में फैले सूखे का असर कतर्नियाघाट स्थित नेपाली नदी में भी होने लगा है। कतर्नियाघाट वन क्षेत्र को हरा भरा करने वाली नेपाल की गेरुआ नदी सूख रही है। इसके चलते नदी के दुर्लभ जलीय जीवों की जिंदगी को खतरा उत्पन्न हो गया है। घड़ियालों के प्रजनन का समय चल रहा है। ऐसे में प्रजनन काल भी असुरक्षित हो गया है।
क्या है पूरा मामला
-कतर्नियाघाट संरक्षित वन क्षेत्र के बीच से होकर नेपाल की गेरुआ नदी बहती है।
-यह नदी नेपाल के दानव ताल नामक स्थान पर पहाड़ से निकलती है।
-इंडो-नेपाल सीमा पर कोठियाघाट के निकट यह नदी भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करती है।
-कोठियाघाट से चौधरी चरण सिंह गिरिजा बैराज तक नदी की दूरी लगभग 16 किलोमीटर है।
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-इसी के मध्य कतर्नियाघाट संरक्षित वन क्षेत्र का घना जंगल है।
-सूखे के चलते नदी का पानी पूरी तरह सूख गया है।
-कलरव करने वाली नेपाल की गेरुआ नदी में रेत नजर आ रही है।
-लोग पैदल नदी पार कर रहे हैं। मवेशी भी नदी की रेत पर चारे की तलाश में दिख रहे हैं।
-नदी के सूखने से जलीय जीवों की जिंदगी खतरे में नजर आ रही है।
-सैर पर आने वाले पर्यटकों को नदी के सूखने से वोटिंग का मजा नहीं मिल पा रहा है।
-सबसे बड़ी दिक्कत गेरुआ नदी में घड़ियालों के प्रजनन की है।
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-इस समय मादा घड़ियालों का प्रजनन काल चल रहा है।
-ऐसे में पानी के अभाव में घड़ियाल नदी के निचले हिस्से में चले गए है।
-मादा घड़ियाल नदी के टापू पर अंडे कैसे सहेजेंगे। इस पर सवाल उठ रहे हैं।
क्या कहते हैं अधिकारी?
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के परियोजनाधिकारी दबीर हसन ने कहा कि नदी में पानी सूखने पर जलीय जीव नेपाल की सीमा पर नदी में उन स्थानों में चले जाते हैं, जहां पर पानी का ठहराव होता है। वर्षा के समय जलीय जीव अपने स्थानों पर पहुंच जाते हैं।
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अप स्ट्रीम में सुरक्षित रहते हैं जलीय जीव
कतर्नियाघाट संरक्षित वन क्षेत्र के डीएफओ आशीष तिवारी ने कहा कि जब नदी में पानी नहीं होता है तो जलीय जीव नदी के अप स्ट्रीम में सुरक्षित रहते हैं। उन्हें कोई नुकसान नहीं होता है। जल्द ही नदी में पानी आ जाएगा, ऐसे में प्रजननकाल प्रभावित नहीं होगा।