कोरोना उपचार की लिस्ट से बाहर ये दवा, यूपी में हुआ था खूब प्रचार
केंद्र सरकार के नेशनल टास्क फोर्स और स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त निगरानी ग्रुप की एक बैठक में इस दवा के बारे में चर्चा की गई कि इसे कोरोना के इलाज के प्रोटोकॉल में शामिल किया जाए कि नहीं।
लखनऊ: एन्टी पैरासाइट दवा 'आइवरमेक्टिन' को कोरोना के इलाज में इस्तेमाल नहीं किया जायेगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने ये फैसला किया है।
केंद्र सरकार के नेशनल टास्क फोर्स और स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त निगरानी ग्रुप की एक बैठक में इस दवा के बारे में चर्चा की गई कि इसे कोरोना के इलाज के प्रोटोकॉल में शामिल किया जाए कि नहीं। कोरोना के इलाज के लिए राष्ट्रीय ट्रीटमेंट गाइडलाइन बनाएं हुईं हैं।
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यूपी में खूब हुआ प्रचार
उत्तर प्रदेश समेत कई राज्य 'आइवरमेक्टिन' दवाई को कोरोना के इलाज और संक्रमण से बचाव के लिए इस्तेमाल में ला रहे हैं। अब ये तय किया गया है कि कोविड19 के लिए नेशनल क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल में आइवरमेक्टिन दवा को रिकमेंड नहीं किया जाएगा। क्योंकि दुनिया भर में किये गए रैंडम ट्रायल में आइवरमेक्टिन के बारे में सेफ्टी और इसके फायदे का पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिला है। यानी आइवरमेक्टिन सेफ और असरदार है कि नहीं ये अभी तक पता नहीं चला है।
कोविड काल में बढ़ गए दाम
आइवरमेक्टिन काफी सस्ती दवा है। कोरोना काल से पहले ये जहां 4-5 रुपये की एक गोली मिलती थी वहीं अब 70 रुपये की गोली बिक रही है। जन औषधि केंद्र तक में ये 22 रुपये की मिल रही है।
कीड़े, स्केबीज़ की है दवा
आइवरमेक्टिन एक सस्ती दवाई है जिसका इस्तेमाल आंतों के पैरासाइट और स्केबीज़ के इलाज के लिए किया जाता है। इन बीमारियों में ये काफी सुरक्षित दवा है।
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ये दवाएं दी जातीं हैं
केंद्र ने कोरोना के इलाज के लिए अनेक दवाएं अप्रूव कीं हैं। लेकिन इनका इस्तेमाल क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल के तहत ही किया जा सकता है।
केंद्र ने रेमदेसिविर दवाई के इस्तेमाल की अनुशंसा की है लेकिन वह भी कोरोना के साधारण मामलों और आपात स्थिति में दी जानी है।
इसके अलावा टोसिलिजुमब दवाई का भी इस्तेमाल किया जाता है। मलेरिया दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन का भी प्रयोग कोरोना के संक्रमण की शुरुआत की स्टेज में किया जाता है।
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