घड़ियालों का आतंक: चंबल सेंचुरी से यमुना तक पहुंचे जानवर के बच्चे, आखिर कहां है प्रशासन
एक ओर केंद्र सरकार वन्यजीवों के संरक्षण के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही हैं। वहीं विभागीय अधिकारी लापरवाही पूर्ण रवैया अपनाते हुए इन संरक्षित जीवो के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
औरैया: एक ओर केंद्र सरकार वन्यजीवों के संरक्षण के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही हैं। वहीं विभागीय अधिकारी लापरवाही पूर्ण रवैया अपनाते हुए इन संरक्षित जीवो के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ऐसा ही एक मामला रविवार को जनपद औरैया के चंबल सेंचुरी क्षेत्र में नजर आया। जिसमें पानी उफान के दौरान कुछ घडियालों के बच्चे यमुना नदी में पहुंच गए।
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विश्व की सबसे बड़ी चंबल सेंचुरी जिसका अंत जुहीखा के पास पंचनद धाम पर होता है
जनपद में विश्व की सबसे बड़ी चंबल सेंचुरी जिसका अंत जुहीखा के पास पंचनद धाम पर होता है। यह सेंचुरी घड़ियाल, मगरमच्छ और कछुओं के संरक्षण, प्रजनन के लिए विश्व विख्यात है। जिसको विदेशी सहायता प्राप्त होने के कारण अपने आप में जगजाहिर है तथा इसकी देखभाल के लिए सरकार सेंचुरी विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों के ऊपर करोड़ों रुपए खर्च करती है और उन्हें मोटरबोट के साथ साथ हर तरीके की सुबिधाऐं देती है। फिर भी प्रति वर्ष यहां इन जीवों पर कुछ न कुछ संकट पड़ता ही रहता है।
विगत वर्षों में भी घड़ियाल मरने की खबर से देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी सुर्खियां रही थीं। इन जीवों को देखने के लिए में विदेशी लोग भी इसका मुयायना करने आते हैं और इसकी डाक्यूमेंट्री फिल्म बना कर ले जाते हैं।
बाढ़ इस क्षेत्र में अपना अलग ही रौद्र रूप दिखाती है। जिससे चंबल नदी से घड़ियाल, मगरमच्छ और कछुए पानी की तेज धार में बहकर सेंचुरी से बाहर आकर यमुना नदी में आ जाते हैं। तब इनकी रक्षा करना सेंचुरी विभाग के लिए बहुत ही कठिन होता है और मौका मिलते ही शिकारी इनका शिकार कर लेते हैं।
यमुना नदी में घड़ियाल के एक माह के बच्चे को देखा गया
रविवार को जुहीखा पुल के पास गांव के नीचे यमुना नदी में घड़ियाल के एक माह के बच्चे को देखा गया। खबर मिलते ही लोग वहां पर पहुंचे तो वह रोमांचित हो उठे। लोगों ने इस दृश्य को अपने कैमरे में कैद कर लिया। जैसे ही यह वीडियो वायरल हुआ तो लोग बीहड़ को ओर जाने लगे। वीडियो में यह साफ दिखाई दे रहा है कि यमुना नदी में तैर रही भैंसों के ऊपर एक घड़ियाल का बच्चा बेफिक्र होकर बैठा हुआ है।
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सूचना पाकर पहुंचे विभागीय अधिकारियों से ग्रामीणों ने कहा कि इस प्रकार से संरक्षित जीवो को क्यों नहीं बचाया जा रहा है। इस तरह के जीव और उनके बच्चों पर छाऐ संकट के प्रति लापरवाही बरतने की आवश्यकता नहीं है। कहा कि उनके गंतव्य तक पहुंचने के लिए उपलब्ध कराऐ गये संसाधनों से उन्हें गंतव्य तक पहुंचाकर उनको संरक्षित करे, जिससे उनके जीवन की रक्षा हो सके।
रिपोर्टर- प्रवेश चतुर्वेदी, औरैया
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