Earthquake In Lucknow: भूकंप से मंगलवार को दो-बार हिली लखनऊ राजधानी, पर्यावरणविद ने क्या बताया इसका कारण?

Earthquake In Lucknow: लखनऊ में बीते मंगलवार की शाम को दो बार भूकम्प के झटकों ने राजधानी निवासियों को हिलाकर रख दिया।

Newstrack :  Network
Update: 2022-11-11 01:39 GMT

पर्यावरणविद डॉ भरत राज सिंह

Earthquake In Lucknow : राजधानी में मंगलवार को शाम 8:52 मिनट तथा प्रातः 1:57 मिनट पर भूकम्प के झटकों ने राजधानी निवासियों को हिलाकर रख दिया और लोग विवस हो गये। इसके सोचने के लिये कि इसका क्या कारण है। क्योकि चंद्रग्रहण जो आमावस्या को साय 5:30 से 6:30 पर समाप्त हुआ था, उसी के क्रम में यह भी घटना का होना किसी अनिष्ट का सूचक माना जा रहा है । नेपाल में तो 8 लोगों की मृत्यु तथा मकानो के गिरने से तवाही उत्पन्न हो गई है।

''हिमालय की पहाड़ियों में जलवायु-परिवर्तन के कारण हो रही अनेको घटनाएं''

डॉ भरत राज सिंह, जो एक वरिष्ठ पर्यावरणविद तथा स्कूल आफ मैंनेजमेंन्ट साइंसेज, लखनऊ के महा-निदेशक तकनीकी हैं ने बताया कि हिमालय की सृन्खला के नजदीक है और हिमालय की पहाडियो में जलवायु-परिवर्तन के कारण अनेको घटनाये हो रही हैं उसी कडी में भूकम्प भी एक बडी घटना निरंतर होना स्वाभाविक है। इसके मुख्य कारण उन्होने अपनी गोलबल-वार्मिंग-2012 तथा क्लाइमेट चेंज- 2013 की पुस्तको में, पूर्व में ही कर चुके हैं कि हिमालय ग्लैसियर, उत्तरी व दक्षिणी ध्रुव के ग्लैसियर के बाद विश्व का तीसरा बडा क्षेत्र है।

ये बताया कारण

यह भी विगत 2015 के पश्चात से तीजे पिघल रहा है और जिसके कारण अभी तक वर्फ की चट्टाने जिनकी ऊंचाई औसतन 2500-3000 मीटर तक रही है, अब वह मात्र 1000 मीटर से कही- कही कम हो चुकी है जिसके कारण तथा पहाड़ियों के नीचे की प्लेटे भी अधिक दवाव बना रही हैं। इसके कारण हिमालय की पहाड़ियां ऊपर उठ रही हैं जिससे भूकम्प की तीव्रता व आने की संख्या में हर वर्ष बढोत्तरी स्वाभाविक है। यहां तक की पहाड़ियों के पत्थरों के आपस के जुडाव में ढीलापन आ रहा है, जिससे थोडी सी तूफानी वारिस हो तो भी बडी-बडी चट्टानें टूट रही है तथा ग्लेसियर की चट्टानो के गिरने की निरंतरता बढती जा रही है। इससे पहाडी इलाको का जन-जीवन केदारनाथ की धटना के पश्चात से दूभर होता जा रहा है।

भारत सरकार को बनानी होगी दूर्गामी नीतिगत योजना

इन कारणॉ का उद्धरण डॉ. सिह ने अपनी पुस्तक गोलबल-वार्मिंग-2015 में भी कर चुके हैं। भारत सरकार को इस पर दूर्गामी नीतिगत योजना बनानी होगी, जिससे आने वाले समय में इन प्रकार के आने वाले प्रत्यासित घटनाओ से बचा जा सके।

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