निकाय चुनाव: कांटे के मुकाबले में बीजेपी सबसे आगे

Update: 2017-11-24 08:08 GMT

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनावों में अभी तक के अनुमान बता रहे हैं कि सोलह नगर पालिकाओं में कम से कम 10 जगह बीजेपी आगे दिख रही है। बाकी 6 नगर निकायों में बाकी दलों की बढ़त का संकेत है। एक अध्ययन के अनुसार 16 नगर निगमों की स्थिति इस प्रकार रहने का अनुमान है :

लखनऊ : बीजेपी को साफ बढ़त का अनुमान

कानपुर : कांटे की टक्कर में बीजेपी आगे

झांसी : बीजेपी को टक्कर दे रही है कांग्रेस

आगरा : बीजेपी को बढ़त का अनुमान

मथुरा : कांटे की टक्कर लेकिन बीजेपी को फायदा

फिरोजाबाद : समाजवादी पार्टी दे रही है बीजेपी को टक्कर

मेरठ : कांटे की टक्कर लेकिन समाजवादी पार्टी को बढ़त

गाजियाबाद : बीजेपी के लिए राह आसन दिख रही

अलीगढ़ : कांटे की टक्कर में बीजेपी आगे

अयोध्या : बीजेपी के आगे रहने का अनुमान

गोरखपुर : बीजेपी को बढ़त

इलाहाबाद : कांटे की टक्कर में समाजवादी पार्टी आगे

बनारस : बीजेपी को बढ़त के संकेत

मुरादाबाद : बीजेपी को बढ़त

सहारनपुर : कांग्रेस दे रही है कड़ी टक्कर

बरेली : यहां भी कांग्रेस को बढ़त

नगर पालिकाएं दिखा रहीं अलग रुझान

प्रदेश की 198 नगर पालिकाओं में सभी दल एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं लेकिन रुझान बता रहे हैं कि बीजेपी रेस में आगे है। चुनाव विश्लेषण बता रहे हैं कि 100 सीटों पर बीजेपी तगड़ी टक्कर दे रही है। समाजवादी पार्टी की स्थिति यह है कि वह अधिकतम 40 सीटों पर उलटफेर कर सकती है जबकि बहुजन समाज पार्टी 19 से 26 सीटों पर कांटे की टक्कर दे सकती है। इसके बाद कांग्रेस है जो कोई 10 सीटों पर बढ़त दिखा सकती है। नगर पालिकाओं में निर्दलीय 14 से 16 सीटों पर उलटफेर कर सकते हैं।

जहां तक नगर पंचायतों की बात है तो कुल 438 सीटों में बीजेपी 190 से 205 सीटों पर दम दिखा सकती है। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी करीब 100 सीटों पर टक्कर देती दिख रही है। बहुजन समाज पार्टी 42 से 48 सीटों पर उलटफेर कर सकती है जबकि कांग्रेस 15 सीटों पर टक्कर दे रही है। निर्दलीय प्रत्याशियों की जहां तक बात है वो 20 के आसपास सीटें पा सकते हैं।

आचार संहिता का उल्लंघन

एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म) ने उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में हिस्सा लेने वाले उम्मीदवारों के बारे में बताया है कि ये लोग मतदाताओं पर तोहफों की बारिश कर रहे हैं। इसके अलावा आंकड़ों से पता चला कि मेयर प्रत्याशियों में सबसे ज्यादा बीजेपी ने आपराधिक पृष्ठभूमि के और करोड़पति उम्मीदवारों को खड़ा किया है। एडीआर के संजय सिंह के अनुसार इस चुनाव में पढ़े-लिखे प्रत्याशियों की संख्या बढ़ी है। इस बार मेयर पद के लिए मैदान में उतरे 46 फीसदी उम्मीदवारों की शैक्षिक योग्यता स्नातक या उससे ज्यादा है।

यूपी एडीआर के समन्वयक अनिल शर्मा ने बताया कि कई जगहों पर कई प्रत्याशियों ने जीतने के लिए जनता को उपहार का लालच देकर वोटरों को लुभाने की कोशिश की जा रही है, जो आचार संहिता का उल्लंघन है। संजय सिंह के अनुसार इस बार चुनाव में धन का उपयोग बढऩे के साथ उपहारों का चलन भी बढ़ा है। गोरखपुर में जहां प्रत्याशी ने फुटबाल बांटे वहीं झांसी में प्रत्याशी की ओर से बिरयानी बांटी गयी। मुरादाबाद में मतदाताओं को पीतल के बर्तन और लखनऊ के एक वार्ड में दीवार घड़ी दी गई। झांसी में उम्मीदवार ने ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से मतदाताओं को उपहार भेजा।

आपराधिक मुकदमे

एडीआर के अनुसार 15 नगर निगमों में चुनाव लड़ रहे 195 मेयर पद के प्रत्याशियों में 20 पर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। अलीगढ़ के मेयर प्रत्याशियों का ब्यौरा उपलब्ध न होने के कारण उन्हें रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया है। आपराधिक मुकदमे के हिसाब से आगरा के निर्दलीय प्रत्याशी चौधरी बशीर 6 मामलों के साथ सबसे ऊपर हैं। इसके अलावा मेयर का चुनाव लड़ रहे 38 फीसदी प्रत्याशी करोड़पति हैं। आगरा से बीजेपी प्रत्याशी नवीन कुमार जैन 400 करोड़ की संपत्ति के साथ सबसे अमीर हैं, जबकि इसी पार्टी की इलाहाबाद से मेयर प्रत्याशी अभिलाषा 58 करोड़ रुपए के साथ दूसरे स्थान पर हैं। झांसी से बीएसपी के मेयर उम्मीदवार ब्रजेंद्र व्यास डमडम महाराज की कुल संपत्ति 37 करोड़ रुपए है।

यूपी निकाय चुनाव

पहला चरण - 22 नवंबर

दूसरा चरण - २६ नवंबर

तीसरा चरण - 29 नवंबर

मतगणना पूरे प्रदेश में एक साथ 1 दिसंबर को सुबह 8 बजे से शुरू होगी। यूपी में इस बार 653 निकायों में 12007 वार्डों में चुनाव हो रहा है। इस बार मात्र 36 दिनों में चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। इससे पहले वर्ष 2012 में कुल 44 दिन में चुनाव हुए थे जबकि उससे पहले 2006 में 43 दिनों में चुनाव कराए गए थे। वर्ष 1995 में नगरीय निकाय चुनाव 39 दिनों में हुए थे।

चुनाव में कम दिन लगे इसके लिए आयोग चार के बजाय तीन चरण में ही चुनाव करा रहा है। जितने दिन चुनाव की प्रक्रिया चलती है उतने दिन आचार संहिता के चलते सरकार न जनहित से जुड़े नीतिगत फैसले कर सकती है और न ही विकास के नए कार्य शुरू हो सकते हैं। दौरे व समीक्षाओं पर भी आयोग का पहरा रहता है। ऐसे में विकास के कार्य कम से कम प्रभावित हो इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने न्यूनतम समय में निकाय चुनाव कराए जाने की अपेक्षा आयोग से की थी।

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