Election Results 2022: पूरी तरह से फेल हुआ अखिलेश का ब्राम्हण कार्ड

Election Results 2022: मतगणना के रुझानों में प्रदेश में बीजेपी (BJP) की जीत से अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) का ब्राम्हण कार्ड यूपी विधानसभा चुनाव में फेल होता नजर आ रहा है।

Published By :  Bishwajeet Kumar
Update:2022-03-10 19:45 IST

अखिलेश यादव (तस्वीर साभार : सोशल मीडिया) 

Election Results 2022 : यूपी विधानसभा चुनाव (UP Election) के परिणाम आने के बाद यह बात पूरी तरह से साफ हो चुकी है कि इस चुनाव में भी ब्राम्हणों ने भाजपा (BJP) के पक्ष में जमकर मतदान किया है जिसके कारण भाजपा केा आशातीत सफलता हासिल हुई है। इससे पहले 2014 2017 और 2019 के चुनावों में भी भाजपा को यूपी में बडी सफलता दिलाने का काम ब्राम्हणों ने किया। पर दो साल पहले कानपुर में बिकरू कांड हुआ और पुलिस ने अपराधी विकास दुबे (Vikas Dubey) समेत उसके परिवार के कई सदस्यों का एनकाउन्टर किया तो विपक्ष ने इसे ब्राम्हण विरोधी कृत्य बताते हुए इस बडे वोट बेैंक को लुभाने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपनाने शुरू किए।

अन्य विपक्षी दलों की तरह सपा ने भी राजधानी लखनऊ में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के किनारे भगवान परशुराम की मूर्ति लगवाने का काम किया। इसके बाद समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने भगवान परशुराम मंदिर में दर्शन पूजन करने के बाद यह संदेश देने का काम किया कि वह ब्राम्हणों की असली हितैषी पार्टी है।

अखिलेश लगातार कर रहे थे ब्राह्मणों को साधने का प्रयास

विधानसभा चुनाव के पहले समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव बराबर ब्राम्हणों को बरगलाने की कोशिश करते रहे। उन्होंने ब्राम्हण समाज को अहसास कराया कि कि उनकी पार्टी ने परशुराम को महापुरूष बनाने का काम किया। साथ ही छुट्टी घोषित करने का काम किया। लेकिन भाजपा सरकार आने के बाद भाजपा ने भगवान परशुराम जयंती की छुट्टी खत्म कर दी। समाजवादी पार्टी के ब्राम्हण नेताओं ने बताने की पूरी कोशिश की कि अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री रहते हुए पार्टी कार्यालय में भी परशुराम जयंती मनाई जाती थी।

सपा ने गोरखपुर में उतारा था ब्राह्मण उम्मीदवार

यहीं नहीं, समाजवादी पार्टी ने योगी आदित्यनाथ के गढ गोरखपुर से भाजपा के एक राजनीतिक ब्राम्हण परिवार में सेंधमारी करते हुए स्व. उपेंद्र शुक्ल की पत्नी सुभावती शुक्ला, का चुनाव मैदान में उतारने का काम किया। उपेंद्र शुक्ल 2013 से 2018 तक भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष रहे थे, जिसमें यह 64 विधानसभा और 12 लोकसभा क्षेत्र शामिल है।

उपेंद्र शुक्ल की बीमारी और उनके निधन को लेकर गोरखपुर और पूर्वांचल में तरह-तरह की चर्चाएं होती रहीं। उनके निधन के बाद योगी का उनके घर न जाना भी परिवार के लोगों व समर्थकों के बीच चर्चा का विषय बना रहा।

यही नहीं अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ के खिलाफ एक और ब्राह्मण कार्ड खेलने का काम किया। उन्होंने पूर्वांचल के ब्राह्मण नेता के रूप में स्थापित हरिशंकर तिवारी के परिवार को बसपा से तोडकर अपनी पार्टी में भी जोड़ने का काम किया।

उनके बेटे कुशल तिवारी भी परम्परागत सीट से चिल्लूपार से भाजपा प्रत्याशी राजेश त्रिपाठी से चुनाव हार गए हैं।

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