Sonbhadra Election Results 2022: यूपी में कांग्रेस का छत्तीसगढ़ मॉडल फेल, अति आत्मविश्वास ने डुबोई SP की लुटिया
Sonbhadra Election Results 2022 : प्रियंका गांधी और पूरे कांग्रेस पार्टी द्वारा यूपी चुनाव में जोर लगाए जाने के बाद भी चुनाव परिणाम में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा।
Sonbhadra Election Results 2022: छत्तीसगढ़ से सटे तथा यूपी के आखिरी छोर पर बसे सोनभद्र में कांग्रेस (Congress) की जीत की उम्मीदें एक बार फिर से धराशायी हो गईं। छत्तीसगढ़ माडल लागू करने के सपने दिखाने के साथ ही, चुनाव प्रचार के लिए लगाई गई छत्तीसगढ़ के मंत्रियों-नेताओं की फौज और लड़की हूं, लड़ सकती हूं नारे के साथ कांग्रेस में नया जोश भरने वाली कांग्रेस महासचिव एवं यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) का मूवमेंट भी कोई खास लाभ नहीं दिला पाया। वहीं दूसरी तरह सपा के लिए, उसका अति आत्मविश्वास ही लुटिया डुबोने का कारण बन गया।
कांग्रेस पर नोटा भारी
2022 के विधानसभा चुनाव में सोनभद्र में कांग्रेस के प्रदर्शन पर नजर डालें तो घोरावल सीट को छोड़कर शेष सीटों पर नोटा भी कांग्रेस उम्मीदवारों पर भारी पड़ता नजर आया। घोरावल में राजपरिवार की साख ने जहां कांग्रेस को थोड़ी राहत दी तो जिले की अन्य तीनों सीट पर सम्मानजनक मत दूर, जमानत बचनी भी मुश्किल हो गई।
न तो ओबरा में उभ्भा में जमीन को लेकर हुए खूनी संघर्ष के बाद चर्चा में आए रामराज गोंड़ कोई कमाल कर पाए, न ही दुद्धी में पूर्व मंत्री विजय सिंह गोंड़ के राजनीतिक गुरू और पूर्व सांसद स्व. रामप्यारे पनिका की पत्नी बसंती पनिका ही कोई बेहतर परिणाम दे पाईं। राबटर्सगंज सीट पर ब्राह्मण, दलित और मुस्लिम वोटरों के समीकरण के सहारे चुनाव जीतने की जुगत में जुटी कांग्रेस, के लिए इस बार का चुनाव अब तक का सबसे खराब चुनाव साबित हुआ।
इसी तरह राबटर्सगंज सीट पर सपा के अविनाश कुशवाहा जनता के बीच शुरू से बढ़त लिए हुए थे। सपा के लोगों को बसपा की दिखती अच्छी लड़ाई से भी काफी उम्मीद थी लेकिन यहां सपा के अति आत्मविश्वास ने अंतिम क्षणों में बाजी पलट दी और यहां भाजपा के लिए मुश्किल बनी राह आखिरी समय में आसान बन गई।
वहीं दुद्धी में सपा के रणनीतिकारों को भाजपा प्रत्याशी को हल्के में लेना भारी पड़ा और सजातीय उम्मीदवार ने विजय सिंह के ही वोटबैंक में मजबूती से सेंध लगा दी। घोरावल में भी सपा खेमा शुरू से जीत की उम्मीद लगाए बैठा लेकिन यहां भी अति आत्मविश्वास भारी पड़ा। ओबरा में सपा के लोगों को बसपा से अच्छी लड़ाई की उम्मीद थी। इस समीकरण के आधार पर यहां का सपा खेमा जीत के प्रति आश्वस्त नजर आ रहा था लेकिन सामने आए मतगणना के रूझानों इस समीकरण की हवा निकाल दी।
जीत-हार का समीकरण तय करने तक रह गई बसपा की भूमिका
जिले में बसपा को राबटर्सगंज और ओबरा में जीत का दावेदार माना जा रहा था लेकिन जहां राशन फैक्टर ने बसपा के समीकरणों की हवा निकाल दी। वहीं बसपा के लोगों का अति आत्मविश्वास और कमजोर चुनावी रणनीति, इस पार्टी की भूमिका जिले की चारों विधानसभाओं में जीत-हार का समीकरण तय करने तक सिमटा कर रख दी।