Up Election Result 2022: यादव और जाट लैंड में भी कमाल नहीं दिखा सका सपा गठबंधन
Election Results 2022: इसी तरह यादवों का गढ़ माने जाने वाले इलाके में सपा की मजबूत पकड़ मानी जाती रही है मगर इस इलाके में भी भाजपा ने मजबूत दस्तक देकर हर किसी को चौका दिया है।
Up Election Result 2022: पिछले विधानसभा चुनावों की तरह भाजपा इस बार भी जातीय समीकरण के मिथक तोड़ने में कामयाब रही है। खास तौर पर यादव और जाट लैंड में सपा गठबंधन को काफी मजबूत माना जा रहा था मगर भाजपा यहां भी तमाम सीटों पर सेंधमारी करने में सफल रही। किसान आंदोलन और जाटों की नाराजगी के चलते पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा को बड़ा झटका लगने की आशंका जताई जा रही थी मगर चुनावी नतीजों से साफ हो गया है की भाजपा ने रालोद का गढ़ माने जाने वाले इस इलाके में भी बड़ी कामयाबी हासिल की है।
इसी तरह यादवों का गढ़ माने जाने वाले इलाके में सपा की मजबूत पकड़ मानी जाती रही है मगर इस इलाके में भी भाजपा ने मजबूत दस्तक देकर हर किसी को चौका दिया है। सियासी जानकारों का मानना है कि इसी कारण सपा गठबंधन के अरमान पूरे नहीं हो सके और भाजपा गठबंधन ने 273 सीटें जीतते हुए 39 साल बाद दोबारा सत्ता में आने का कमाल कर दिखाया।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी दिखाई ताकत
सबसे पहले यदि पश्चिमी उत्तर प्रदेश को देखा जाए तो भाजपा ने यहां पर सारी आशंकाओं को निर्मूल साबित करते हुए सपा-रालोद गठबंधन को काफी चोट पहुंचाई। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट-मुस्लिम फैक्टर को देखते हुए यहां सपा रालोद गठबंधन को बड़ी कामयाबी की उम्मीद थी मगर यह उम्मीद पूरी नहीं हो सकी।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहले चरण की 55 सीटों में से भाजपा 46 सीटें जीतने में कामयाब रही। रालोद मुखिया जयंत चौधरी के साथ जाटों और किसानों के बड़े नेता माने जाने वाले राकेश टिकैत ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों का दौरा करके भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश की मगर इसका कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकल सका।
जाटलैंड में इसलिए मिली कामयाबी
यदि जाटलैंड की क्षेत्रवार स्थिति को देखा जाए तो मेरठ, शामली और मुजफ्फरनगर को छोड़कर पश्चिमी यूपी के किसी भी जाट बहुल इलाके में सपा गठबंधन मजबूती से अपना असर नहीं दिखा सका। बुलंदशहर, बागपत, अलीगढ़, हापुड़, गाजियाबाद, बिजनौर, हाथरस, मथुरा, आगरा आदि जाट बहुल इलाकों में भी भाजपा ने बड़ी जीत हासिल करते हुए सपा-रालोद गठबंधन को बैकफुट पर धकेल दिया। इसी का नतीजा है कि सपा के साथ गठबंधन करके 31 सीटों पर प्रत्याशी उतारने वाले राष्ट्रीय लोकदल को सिर्फ 8 सीटों पर ही कामयाबी मिल सकी।
भाजपा की कामयाबी के पीछे कई सीटों पर जाटों के मतों के अलावा कश्यप, सैनी, गुर्जर, वाल्मीकि, त्यागी, ठाकुर आदि जातियों की गोलबंदी को बड़ा कारण माना जा रहा है। इसी के दम पर भाजपा पश्चिमी यूपी में सपा-रालोद के जाट-मुस्लिम समीकरण को पूरी तरह ध्वस्त करने में कामयाब रही। पश्चिमी यूपी में सपा मेरठ और सहारनपुर में ही कमाल दिखाने में सफल हो सकी।
पहले चरण में हुआ सिर्फ सात सीटों का नुकसान
पश्चिमी यूपी के 11 जिलों में 2017 के चुनाव में भाजपा 58 में से 53 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी। सपा और बसपा को दो-दो सीटों पर कामयाबी मिली थी जबकि रालोद ने एक सीट जीती थी। इस बार के चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा को जबर्दस्त झटका लगने की उम्मीद जताई जा रही थी मगर इस बार भाजपा 58 में से 46 सीटें जीतने में कामयाब रही। इस तरह भाजपा को पहले चरण की सीटों में सिर्फ 7 सीटों का ही नुकसान हुआ। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा के खिलाफ नाराजगी के माहौल को देखते हुए इसे बड़ी कामयाबी माना जा रहा है।
यादव लैंड में भी भाजपा का दमदार प्रदर्शन
ओबीसी में सबसे बड़ी ताकत यादव समुदाय की मानी जाती है। 2017 के बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में भी यादव सियासत भाजपा के पांव उखाड़ने में कामयाब नहीं हो सकी। यादवों का गढ़ माने जाने वाले जिलों में भी भाजपा ने सपा को जोरदार टक्कर देते हुए बड़ी कामयाबी हासिल की। इटावा, मैनपुरी, फर्रुखाबाद, कन्नौज, कानपुर देहात, कासगंज, बदायूं, संभल, फिरोजाबाद, उन्नाव आदि जिलों में भाजपा ने जबर्दस्त कामयाबी हासिल की है।
दूसरी ओबीसी जातियां भाजपा के पक्ष में गोलबंद
भाजपा इन इलाकों में गैर यादव ओबीसी की राजनीति को हकीकत के धरातल पर उतारने में कामयाब रही और इसी के परिणामस्वरूप भाजपा को बड़ी कामयाबी हासिल हुई। लोध,पाल, कुर्मी, कुशवाहा और कई अन्य ओबीसी जातियां पूरी मजबूती के साथ भाजपा के पक्ष में खड़ी रहीं और इसी कारण पार्टी को कामयाबी मिली है। वैसे यह भी सच्चाई है कि पूर्वांचल के यादव बहुल इलाकों में सपा को जरूर सियासी फायदा हासिल हुआ है और इसी के परिणामस्वरूप पार्टी ने आजमगढ़, गाजीपुर, अंबेडकरनगर और जौनपुर आदि जिलों में अच्छा प्रदर्शन किया है।
तीसरे चरण में कम हुईं सिर्फ 5 सीटें
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव और सपा मुखिया अखिलेश यादव का गढ़ माने जाने वाले इलाके की 59 सीटों पर तीसरे चरण में मतदान हुआ था और इस चरण में भाजपा 44 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही। सपा गठबंधन को सिर्फ 15 सीटों पर ही जीत हासिल हुई। 2017 के चुनाव में भाजपा ने 59 में से 49 सीटों पर जीत हासिल की थी और इस तरह तीसरे चरण में भाजपा को सिर्फ 5 सीटों का ही नुकसान हुआ।
फर्रुखाबाद, कन्नौज, कासगंज और कानपुर देहात जैसे जिलों में तो भाजपा ने क्लीन स्वीप करते हुए सपा गठबंधन को बैकफुट पर ढकेल दिया। मैनपुरी की करहल सीट से खुद अखिलेश यादव चुनाव मैदान में उतरे थे मगर भाजपा यहां भी 2 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही। इस तरह जाटलैंड और यादव लैंड माने जाने वाले जिलों में भी भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए एक बार फिर सत्ता मे काबिज रहने में कामयाबी पाई।