इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री गिरीश चंद्र त्रिपाठी हुए सेवानिवृत

गिरीश चंद्र त्रिपाठी 2014 में प्रतिष्ठित बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के कुलपति बनाए गए थे, जहां कार्यकाल पूरा होने के बाद साल 2017 में उन्होंने फिर से इलाहाबाद विश्वविद्यालय का कामकाज संभाल लिया था।

Newstrack :  Network
Update: 2022-06-30 17:42 GMT

Professor Girish Chandra Tripathi retires (Image credit: Newstrack)

Professor Girish Chandra Tripathi retires: इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के प्रख्यात प्रोफेसर, शिक्षाविद् , अर्थशास्त्री एवं काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर गिरीश चंद्र त्रिपाठी आज लगभग चार दशकों की शैक्षिक सेवा के उपरांत सेवानिवृत्त हो गए। प्रोफेसर त्रिपाठी के सेवानिवृत्ति के अवसर पर अर्थशास्त्र विभाग ने विदाई एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया। दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का आरंभ हुआ एवं सर्वप्रथम डॉक्टर करीमुल्लाह ने प्रोफेसर त्रिपाठी के योगदान को सभा के समक्ष रखते हुए कहा की बहुमुखी प्रतिभा के धनी प्रोफेसर त्रिपाठी ने सदैव ही आर्थिक विचारों को मानव कल्याण के संदर्भ में देखा।

सीतापुर जिले मे जन्मे गिरीश चंद्र त्रिपाठी की गिनती देश के प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों में होती है। श्री त्रिपाठी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र, संस्कृत और अंग्रेजी विषयों में शिक्षा लेने वाले के बाद 1982 में इलाहाबाद विवि के लेक्चरर बनाए गए थे। इसके बाद 1999 में उन्हें अर्थशास्त्र विभाग का प्रफेसर बनाया गया।


गिरीश चंद्र त्रिपाठी 2014 में प्रतिष्ठित बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के कुलपति बनाए गए थे, जहां कार्यकाल पूरा होने के बाद साल 2017 में उन्होंने फिर से इलाहाबाद विश्वविद्यालय का कामकाज संभाल लिया था। गिरीश चंद्र त्रिपाठी पूर्व में आईआईटी बीएचयू के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के चेयरमैन भी रह चुके हैं।

गिरीश चंद्र त्रिपाठी के रिटायर होने के अवसर पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय सहित अनेक संस्थाओं ने प्रोफेसर त्रिपाठी के सम्मान में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया। विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में अपने संबोधन में प्रोफ़ेसर यू एस राय ने कहा कि विद्यार्थी जीवन से लेकर आज तक इनके जीवन में जो भी उपलब्धियां हैं वह सब इनके गंभीरता के परिणाम स्वरुप है। इस अवसर पर प्रोफेसर करीमुल्ला ने कहा गुरु जी कहां करते थे कि प्रोफेसर कभी रिटायर नहीं होता। 


शहर उत्तरी के विधायक हर्ष वाजपेई ने कहा कि,'' श्री त्रिपाठी के परिवार से हमारी दादी के समय से ही संबंध रहा है। हमारे अभिभावक प्रोफेसर त्रिपाठी को अभी बहुत से काम करने हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले कुंभ में शासन प्रशासन को श्री त्रिपाठी से बहुत सी अपेक्षाएं हैं और अब हम लोग आपका पूरी तरह से आप का उपयोग कर पाएंगे।'' उन्होंने कहा कि आज वो अगर विधायक हैं तो श्री त्रिपाठी के कारण ही हैं।

श्री त्रिपाठी के सेवानिवृत होने के अवसर पर आयोजित सम्मान समारोह में जिलाधिकारी प्रयागराज संजय खत्री ने शिरकत करते हुए कहा कि,'' हमारे प्रेरणा स्रोत आदरणीय गिरीश त्रिपाठी जी की प्रेरणा मिलती रहेगी तो हम प्रयागराज को काफी आगे तक ले जाएंगे। सर अब नई शुरुआत करेंगे सर ने शैक्षणिक क्षेत्र में जो योगदान किया है उसका कोई सानी नहीं है । सर भारत को आपकी है जरूरत है।''


कार्यक्रम में प्रख्यात कवि श्लेष गौतम ने अपनी शैली में प्रोफेसर त्रिपाठी के व्यक्तित्व एवम कृतित्व की सराहना की। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एस पी केशरवानी ने प्रो. त्रिपाठी की क्रियाशीलता, दायित्व निर्वहन और श्रेष्ठ मार्गदर्शक के रूप में उनकी भूमिका और उनमें रची बसी विनम्रता की भूरि भूरि प्रशंसा की।

पूर्व राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने अपने ऑनलाइन संबोधन में प्रो. त्रिपाठी के साथ अपने मित्रवत संबंध को याद करते हुए उनके व्यक्तित्व के कई अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डाला। वहीँ आई आई टी धनबाद के निदेशक प्रो. राजीव शेखर ने प्रोफेसर त्रिपाठी के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्य रहते हुए अपने साथ हुए संस्मरणों को साझा किया।


श्रीमती दीपाली जोशी पंत, पूर्व सहायक निदेशक आर बी आई ने प्रो. त्रिपाठी के शैक्षिक व प्रशासनिक कौशल की सराहना किया।

अर्थशास्त्र की प्राध्यापिका व प्रो. त्रिपाठी की शोधछात्रा रही डॉ दीपशिखा ने प्रो. त्रिपाठी के जीवन दर्शन पर प्रकाश डालते हुए उनके व स्वयं के संबंधों को पिता पुत्री के रूप में बताया। प्रो आर एन लोहकर ने प्रो. त्रिपाठी के छात्र जीवन की स्मृतियां साझा की। अर्थशास्त्री प्रो यू एस राय ने प्रो त्रिपाठी के शैक्षिक व प्रशासनिक कौशल की सराहना किया। असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विवेक मिश्रा ने अपने शोध अवधि के दौरान के स्मृतियों को रखते हुए प्रो त्रिपाठी के सर्वोच्च छात्र हितैषी दृष्टिकोण,राष्ट्र चेतना, सामाजिक चिंतन एवम दृढ़ इच्छाशक्ति से ज़ुड़े तथ्यों का जिक्र किया।


अधिष्ठाता वाणिज्य संकाय प्रो पी के घोष ने कहा कि प्रो त्रिपाठी सरीखे प्राध्यापक कभी सेवानिवृत्त नहीं होते।कार्यक्रम की अध्यक्षता अर्थशास्त्र विभाग की अध्यक्षा प्रो किरण सिंह ने किया। प्रोफेसर सिंह ने प्रोफेसर त्रिपाठी के सरल सहज एवं स्नेहिल व्यक्तित्व के विषय मे अपने संस्मरणों सहित विस्तार से चर्चा की। 

इस अवसर पर प्रोफेसर त्रिपाठी ने अपने सेवाकाल में अर्थशास्त्र विभाग से जुड़ी अपनी यादों को साझा किया और कहा कि प्रत्येक छात्र का यह कर्तव्य है कि उसे जो कुछ भी समाज एवं संस्था से मिला है उससे अधिक ही लौटाने का प्रयास करे। राष्ट्र का निर्माण चरित्रवान, सामर्थ्यवान, धैर्यवान एवं परिश्रमी नागरिक ही करते हैं। प्रोफेसर गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने अपने संस्मरणों का उल्लेख करते हुए कहा कि परिवार, समाज, संस्था और देश में एक स्थायी रिश्ता है, जिसमे लोग लेते भी हैं और देते भी है। मुझे जो इस राष्ट्र और क्षेत्र से मिला है में उससे इस जन्म में तो ऋण मुक्त नही हो सकता फिर भी में प्रयास करता रहूंगा।


इस अवसर पर प्रो. जय शंकर सिंह, रघुनाथ द्विवेदी,विनोद पांडेय, डॉ. विवेक कुमार मिश्र, डॉ. प्रशांत पांडे, सुनील द्विवेदी, अजय मिश्र , अरुण कुमार त्रिपाठी सहित शहर के अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

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