Sonbhadra News: अवैध खनन करने वालों से वसूली जाएगी पर्यावरण क्षतिपूर्ति, प्रशासन ने की संस्तुति

Sonbhadra News: पट्टे की आड़ में पत्थर का अवैध खनन करने वालों को सरकारी रायल्टी-पेनाल्टी के अलावा पर्यावरण क्षतिपूर्ति की भी अदायगी करनी पड़ेगी।

Update: 2022-06-14 15:07 GMT

सोनभद्र: अवैध खनन करने वालों से वसूली जाएगी पर्यावरण क्षतिपूर्ति

Sonbhadra News: पट्टे की आड़ में पत्थर का अवैध खनन (Illegal mining) करने वालों को सरकारी रायल्टी-पेनाल्टी (government royalty-penalty) के अलावा पर्यावरण क्षतिपूर्ति (environmental compensation) की भी अदायगी करनी पड़ेगी। जिला प्रशासन की तरफ से इसकी संस्तुति करने के साथ ही इसको लेकर एक रिपोर्ट एनजीटी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT National Green Tribunal) को सौंप दी गई है। वहां इस मसले को लेकर सुनवाई के दौरान पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के राशि का निर्धारण किया जाना है।

मामले में सुनवाई के लिए अगली तिथि 13 जुलाई निर्धारित है। फिलहाल यह रिपोर्ट ओबरा क्षेत्र (Obra area) में बिल्ली-मारकुंडी में संचालित तीन पत्थरों खदानों को लेकर दी गई है, जिसमें हाल ही में मेसर्स इशाना कंस्ट्रक्शन को स्वीकृत क्षेत्र से बाहर जाकर अवैध खनन के लिए एक करोड़ 19 लाख 99 हजार की नोटिस दिए जाने की भी जानकारी दी गई है। इस फर्म का, पूर्व में शीर्ष नेतृत्व के बेहद करीबी रह चुके सपा के एक कद्दावर नेता से जुड़ाव बताया जा रहा है। प्रशासन की इस रिपोर्ट की जानकारी सामने आने के बाद जहां खनन क्षेत्र में हड़कंप की स्थिति बनी हुई है। वहीं दूसरे पट्टाधारकों द्वारा किए गए अवैध खनन को लेकर भी पर्यावरण क्षतिपूर्ति की मांग उठने लगी है।


यह है घटनाक्रम और एनजीटी का आदेश

कैमूर पीपुल्स फ्रंट की तरफ से एनजीटी में एक याचिका दाखिल की गई जिसमें कहा गया कि ओबरा क्षेत्र के बिल्ली-मारकुंडी में खनन तथा पर्यावरणीय मानकों की अनदेखी कर छोटे बांध, नाला, रेलवे के 50 मीटर एरिया के भीतर पत्थर का अवैध खनन किया जा रहा है। इसके लिए खनन पट्टाधारक मेसर्स राजेश कुमार, चंद्रभूषण गुप्ता मेसर्स बीसीएस इंटरप्राइजेज, मेसर्स इशाना कंस्ट्रक्शन आदि को जिम्मेदार ठहराते हुए, कार्रवाई की मांग की गई। चेयरपर्सन न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय पीठ ने मामले की सुनवाई की और डीएम, सीडीओ को मामले में नियमानुसार कार्रवाई के निर्देश दिए। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोडल एजेंसी की जिम्मेदारी दी गई। दो महीने में इसकी रिपोर्ट भी भेजने का आदेश दिया गया।


जांच में बड़े स्तर पर अवैध खनन की पुष्टि, की गई पर्यावरण क्षतिपूर्ति की संस्तुति

एनजीटी के आदेश के क्रम में डीएम की तरफ से एडीएम नमामि गंगे, सीडीओ की तरफ से एसडीएम ओबरा और जिला खान अधिकारी, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जांच के लिए नामित किया गया। जांच टीम ने जहां तीनों चिन्हित खदानों में सीमा से बाहर जाकर अवैध खनन की पुष्टि की है।

वहीं इसके एवज में मेसर्स राजेश कुमार की तरफ से 37.49 लाख, मेसर्स बी.सीएस इंटरप्राइजेज चंद्रभूषण गुप्ता की तरफ से 26.79 लाख, मेसर्स इशाना कंस्ट्रक्शन की तरफ से 8.34 लाख सरकारी कोष में जमा किए जाने की जानकारी दी गई है। साथ ही बताया गया है कि खान अधिकारी की गत मई माह में दी गई संयुक्त जांच आख्या में मेसर्स इशाना कंस्ट्रक्शन के खिलाफ स्वीकृत खनन क्षेत्र से आगे दक्षिण तरफ बढ़कर 15732 घनमीटर बोल्डर के अवैध खनन की पुष्टि हुई है, जिसके लिए गत पांच मई को एक करोड़ 19 लाख 99 हजार जमा करने की नोटिस दी जा चुकी है।



 एनजीटी को सौंपी रिपोर्ट में उक्त सभी पट्टाधारकों पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति अधिरोपित किए जाने की संस्तुति करते हुए जिला प्रशासन ने कहा है कि मेसर्स राजेश कुमार और उनके पार्टनर की तरफ से जहां बंधी के जमीन पर 30350 घनमीटर बोल्डर का खनन किया गया है।

वहीं मेसर्स राजेश कुमार, मेसर्स बीसीएस इंटरप्राइजेज और मेसर्स इशाना मेसर्स इशाना कंस्ट्रक्शन द्वारा प्रतिवर्ष निर्धारित मात्रा से अधिक तथा सीमा से बाहर जाकर खनन किया गया है। अब इस पर एनजीटी का निर्णय क्या आता है? यह तो आने वाली तिथि बताएगी लेकिन जिला प्रशासन की तरफ से पत्थर खदान को लेकर पहली बार पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति अधिरोपित करने की हुई संस्तुति ने खनन क्षेत्र में हड़कंप की स्थिति उत्पन्न कर दी है।

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