Etah News: एटा के मैडिकल कालेज की पैथोलॉजी का अजूबा कारनामा, महिला रिपोर्ट देख आई सदमें में

Etah News: मेडिकल कॉलेज में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के बारे में प्रिंसिपल रजनी पटेल से लगातार शिकायत करने के बाद भी आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई और न ही कोई सुधार हुआ। अगर कोई डॉक्टर किसी व्यक्ति की जांच रिपोर्ट के आधार पर इलाज शुरू कर दे और वह रिपोर्ट भी गलत हो तो क्या होगा

Report :  Sunil Mishra
Update:2025-01-03 16:39 IST

एटा के मैडिकल कालेज की पैथोलॉजी का अजूबा कारनामा, महिला रिपोर्ट देख आई सदमें में (Newstrack)

Etah News: उत्तर प्रदेश के एटा जिला मुख्यालय स्थित रानी वीरांगना अवंती बाई स्वायत्तशासी चिकित्सा महाविद्यालय एटा की पैथोलॉजी का एक खास गैरजिम्मेदाराना कारनामा सामने आया है जिसमें उन्होंने एक मरीज की जांच रिपोर्ट में प्लाज्मा ग्लूकोज रैंडम टेस्ट को -2.7 mg/dl दर्शाया है जो सभी को हैरान कर रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो किसी भी व्यक्ति का ग्लूकोज लेवल माइनस में नहीं जा सकता, अगर यह चला जाता है तो मेडिकल की भाषा में व्यक्ति जिंदा नहीं रह सकता। लेकिन उक्त महिला मरीज आसमा का ग्लूकोज लेवल माइनस में आने के बाद भी वह जिंदा है। लेकिन मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट जानने के बाद वह सदमे में आ गई है।

पैथोलॉजी रिपोर्ट के अनुसार जब मेडिकल कॉलेज के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एस चंद्रा से बात की गई तो उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि किसी का ग्लूकोज माइनस में नहीं जा सकता, अगर यह चला जाता है तो व्यक्ति जिंदा नहीं रह सकता, लेकिन जब उन्हें अपने ही मेडिकल कॉलेज की जांच रिपोर्ट के बारे में बताया गया तो उन्होंने दोबारा रिपोर्ट के बारे में जानकारी ली और जांच शुरू कर दी गई है। डॉ. चंद्रा ने बताया कि उक्त जांच रिपोर्ट की जांच की गई, उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट गलत है, इस रिपोर्ट की जांच की जा रही है, इसे बारीकी से जांच के लिए पैथोलॉजी भेजा गया है तथा पैथोलॉजी के प्रभारी डॉ. सुमित यादव से स्पष्टीकरण मांगा गया है कि मरीज को यह गलत रिपोर्ट कैसे दी गई।

उन्होंने कहा कि ग्लूकोज की रिपोर्ट कभी माइनस में नहीं जाती है, हो सकता है कि जांच रिपोर्ट देते समय कंप्यूटर का बटन गलत दबा दिया गया हो तथा उक्त ऑपरेटर द्वारा जांच नहीं की गई हो, इसकी भी जांच की जा रही है। मेडिकल कॉलेज की करतूतों की शिकार असमा के परिजनों ने बताया कि उसकी तबीयत ठीक नहीं थी, उसे खांसी, जुकाम, बुखार था, वह मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में जांच कराने गई थी। डॉक्टर ने उसे 11 दिसंबर 24 को खून की जांच कराने को कहा तथा बताया कि उसमें टीबी के लक्षण हैं। उसने बताया कि 11 दिसंबर 24 को उसने मेडिकल कॉलेज में जांच के लिए अपना खून का नमूना दिया था। उ

सके बाद जो जांच रिपोर्ट आई, उससे मैं और डॉक्टर हैरान रह गए। उन्होंने मुझसे पूछा कि तुम्हारी रिपोर्ट बहुत खराब है, फिर भी तुम जिंदा कैसे हो। मैं घबरा गया और मैंने तुरंत एक निजी डॉक्टर से सलाह ली और अपनी जांच कराई। मैं बिल्कुल ठीक हूं। मुझे हल्की खांसी और बुखार था। उस दिन से मेरा मेडिकल कॉलेज के इलाज पर से भरोसा उठ गया है। ये लोग किसी को भी गलत रिपोर्ट और इलाज दे सकते हैं।

शहर के एक प्रतिष्ठित डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि किसी की भी ब्लड रिपोर्ट माइनस में नहीं जा सकती और रिपोर्ट -2.7 नहीं आती। यह रिपोर्ट 10, 20, 30 जैसी आती है। रिपोर्ट माइनस में आने के बाद वह व्यक्ति बच नहीं सकता। वह कोमा में जा सकता है और उसकी मौत भी हो सकती है। यह पहली घटना नहीं है जब जांच रिपोर्ट गलत आई हो। इससे पहले भी एटा मेडिकल कॉलेज में जांच रिपोर्ट गलत आती रही हैं।

मेडिकल कॉलेज में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के बारे में प्रिंसिपल रजनी पटेल से लगातार शिकायत करने के बाद भी आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई और न ही कोई सुधार हुआ। अगर कोई डॉक्टर किसी व्यक्ति की जांच रिपोर्ट के आधार पर इलाज शुरू कर दे और वह रिपोर्ट भी गलत हो तो क्या होगा? और इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा, डॉक्टर? या पैथोलॉजी? यह भी बड़ा सवाल है? अभी कुछ दिन पहले एटा के एक सीटी स्कैन सेंटर पर एक एक्सीडेंट के मरीज की जांच की गई तो एटा की जांच रिपोर्ट में दिमाग की नस फटी हुई बताई गई, जबकि आगरा के एक मशहूर डॉक्टर आरसी मिश्रा ने जांच करने के बाद बताया कि दिमाग की नस नहीं फटी है। पुष्टि के लिए उन्होंने दोबारा सीटी स्कैन करवाया तो रिपोर्ट बिल्कुल सही आई। इन अप्रशिक्षित कर्मचारियों, डॉक्टरों आदि द्वारा किया जा रहा इलाज मरीजों की जान से खिलवाड़ है। जनहित में इसे रोकना जरूरी है। साथ ही ऐसे लोगों की डिग्री जब्त की जानी चाहिए।

Tags:    

Similar News