लोगों के जूते पालिश कर रहे कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता, पी एल पुनिया पर लगाए गंभीर आरोप

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी गुरुवार को जब दिल्ली में राफेल पर केंद्र की मोदी सरकार को घेर रहे थे ठीक उसी समय उनके संसदीय क्षेत्र अमेठी में उनकी पार्टी का प्रदेश स्तरीय दलित नेता उनके प्रतिनिधि व कांग्रेस नेता पीएल पुनिया पर प्रताड़ना का आरोप लगाया और जूता पॉलिश की दुकान खोलकर प्रदर्शन करता नजर आया।

Update: 2019-03-07 13:14 GMT

अमेठी: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी गुरुवार को जब दिल्ली में राफेल पर केंद्र की मोदी सरकार को घेर रहे थे ठीक उसी समय उनके संसदीय क्षेत्र अमेठी में उनकी पार्टी का प्रदेश स्तरीय दलित नेता उनके प्रतिनिधि व कांग्रेस नेता पीएल पुनिया पर प्रताड़ना का आरोप लगाया और जूता पॉलिश की दुकान खोलकर प्रदर्शन करता नजर आया।

कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता संतोष कुमार चमार नाम का ये कांग्रेसी नेता दिल्ली आईआईटी से बीटेक है। उसने कांग्रेस नेता और राहुल के प्रतिनिधि पर सर्विस और राजनीतिक करियर पूर्ण रूप से बर्बाद करने का आरोप लगाते हुए स्वयं को रोहित बेमुला बनने के कगार पर पहुंचा हुआ बताया है।

क्षेत्र पंचायत अमेठी के प्रांगण के पास IIT जूता पॉलिश केंद्र अमेठी के नाम से बैनर लगाकर प्रदर्शन कर रहे संतोष कुमार चमार ने मीडिया से बात करते हुए अपनी आप बीती बताई। उन्होंने बताया कि वो आईआईटी दिल्ली से बीटेक हैं, एक कंपनी में नौकरी करते थे। एक बार मेरे साथ जातीय आधारित भेदभाव हुआ तो उसकी शिकायत करने मैं बहन जी के पास गया था 2008 में। तीन-चार दिन मैं लखनऊ में रहा, लेकिन मुलाकात नहीं हो सकी। मैंने सोचा जब मुख्यमंत्री से मुलाकात नहीं हो सकती है तो प्रधानमंत्री से तो बड़ा मुश्किल होगा।

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इसके बाद मैं राहुल जी के पास गया। राहुल जी ने मुझे बड़ी आत्मीयता के साथ सुना। उन्होंने कहा कि आपकी समस्या सामाजिक है, व्यक्तिगत नहीं है। इसमें हम ज्यादा मदद नहीं कर सकते हैं। अगर आपका राजनीति में थोड़ा बहुत दिलचस्पी हो तो हम प्लेटफार्म उपलब्ध करा सकते हैं। मैंने कहा सोच के बताऊंगा।

संतोष कुमार ने बताया कि मुझे कंपनी में परेशानी आ ही रही थी तो हमने सोचा इधर कोशिश करके देख लेते हैं। आईएएस की परीक्षा भी मैंने दी उसमें सफलता नहीं मिली। मैं लोगों के बीच में रहकर सामाजिक जीवन जीना चाहता था। राहुल जी ने मुझे काम दिया और मेरे काम से इतना प्रभावित हुए के 21 मार्च 2012 को उन्होंने मुझे अपनी गाड़ी में भी बैठा लिया और बहन प्रियंका जी से भी मिलवाया। मुझे लगा मैं सही पथ पर हूं और मेरी उन्नति इसमें हो सकती है।

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संतोष कुमार ने कहा कि इस मुलाकात के बाद कनिष्क (राहुल गांधी के प्रतिनिधि) जी ने राहुल जी से मेरा मिलवाना बंद कर दिया। 6-7 साल हो गए मैं उनसे मिल नहीं सका। दूसरी तरफ पीएल पुनिया जिनकी सुसराल मेरे ही गांव में है उनको लगा मैं कहीं उनसे बड़ा दलित नेता न बन जाऊं। पीएल पुनिया को पता था कि भाषण कहीं होता था तो मेरे भाषण पर ज्यादा तालियां बजती थीं और बड़ाई होती थी।

8 अक्टूबर 2013 में विज्ञान भवन में पूरे देश के दलित नेता बैठे हुए थे। एमपी-एमएलए और मिनिस्टर पीएल पुनिया जी ने वो प्रोग्राम कराया था। राहुल गांधी ने उसमें क्योशन पूछा था एसके ब्लास्टी के बारे में। तो उसका जवाब सिर्फ और सिर्फ मैंने दिया था। इस बात से पुनिया जी को बहुत चिढ़ लग गई और उनके पीए ने तो मुझको गले भर कर कहा आपने हमारे आयोग की लाज रख ली। लेकिन पुनिया जी ने मुझे धन्यवाद देना भी मुनासिब नहीं समझा। उनको लगा ये बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है इसकी जाड़े काट दो बहुत जरूरी है। तो उन्होंने मुझे वहां से निकलवा दिया। तब से मेरी राजनीति भी चली गई। 16 लाख रूपए उस समय मेरे ऊपर कर्ज़ था।

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संतोष ने कहा कि मैंने हर संभव प्रयास किया लोगों से मिलने का लेकिन मेरी कहीं बात नहीं हो पाई। तो अब मैं यहां पर आकर गांधी वादी तरीके से देश के सामने अपनी बात रखना चाहता हूं कि आज वो जमाना नहीं है के दलितों को मनुवादीयों से दिक्कत थी। आज आरक्षण का फायदा लेकर के जो अम्बेडकर वादी और मनुवादी लोग बन गए हैं यानी जो दलित स्वर्ण बन गए हैं। दोर्णाचार्य ने तो हमारा अंगूठा ही काटा था उन्होंने तो हमारी गर्दन ही काट दी।

हम देश को बताना चाह रहे हैं कि हमारे समाज के लोगों ने मेरा रोजगार भी छीन लिया। मुझको पूर्ण रूप से बर्बाद कर दिया मैं बिल्कुल सड़क पर आ गया हूं।

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