मायावती को तगड़ा झटका: ये दिग्गज नेता BJP में हो सकतें हैं शामिल
एक समय में मायावती के करीबी और बहुजन समाज पार्टी के पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद एक बार फिर उपाध्याय के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की अटकलें लगनी शुरू हो गई है।
लखनऊ: एक समय में मायावती के करीबी और बहुजन समाज पार्टी के पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद एक बार फिर उपाध्याय के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की अटकलें लगनी शुरू हो गई है। हालांकि खबर है कि उनके पुत्र चिराग उपाध्याय ने अपने समर्थकों के साथ ब्रज क्षेत्र कार्यालय पर भाजपा की सदस्यता ले ली है।
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मंत्री रामवीर उपाध्याय ने प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी से मुलाकात की
शनिवार शाम बहुजन समाज पार्टी के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व कैबिनेट मंत्री रामवीर उपाध्याय ने प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी से मुलाकात की। बताया जा रहा है कि विरोधी दलों द्वारा भाजपा पर लगातार लगाये जा रहे ब्राहम्ण विरोधी होने के आरोपो के जवाब में रामवीर उपाध्याय को भाजपा में शामिल किया जायेगा। इससे पहले रामवीर ने बीते मार्च माह में भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिख कर उनकी सिकंदरामऊ स्थित कोठी रामवती कुंज को आइसोलेशन वार्ड बनाने का आग्रह करते हुए कहा था कि इस कोठी में आइसोलेशन वार्ड बनाने पर वहां बिजली-पानी की व्यवस्था भी वह स्वयं करेंगे। हाथरस के सादाबाद से विधायक रामवीर उपाध्याय को बसपा का प्रमुख ब्राह्म्ण चेहरा माना जाता है।
बसपा सुप्रीमों मायावती के करीबी रहे रामवीर उपाध्याय
एक समय बसपा सुप्रीमों मायावती के करीबी रहे रामवीर उपाध्याय ने लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा प्रत्याशी एसपी सिंह के पक्ष के समर्थन में अपील की थी और चुनाव जीतने के बाद उन्हे गले लगा कर शुभकामनाएं भी दी थी। जिसके बाद मायावती ने रामवीर को बीते लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी से निलंबित कर दिया था।
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इस दौरान उनके भाजपा में आने कई बार कयास लगे लेकिन बीते जनवरी माह में उन्होंने कहा था कि भाजपा समेत कई अन्य दलों के बड़े नेता भी उनसे संपर्क में है लेकिन वह विधानसभा चुनाव से 06 महीने पहले यह फैसला लेंगे कि उन्हें किस राजनीतिक दल में शामिल होना है। इसके लिए वह अपने समर्थकों व क्षेत्र की जनता से भी काफी विचार-विमर्श करेंगे। उन्होंने कहा था कि वह दलबदलू नहीं हैं। हाथरस जिले की तीनों विधानसभा सीटों से एमएलए चुने जा चुके हैं। बसपा को उन्होंने खुद नहीं छोड़ा, बल्कि पार्टी ने ही उन्हें निलंबित किया है।
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