Exclusive: हाथरस कांड पर बोले अजय कुमार लल्लू, सरकार ने तोड़ी तानाशाही की सभी सीमाएं

सरकार को जवाब देना पड़ेगा कि अगर कुछ नहीं हुआ है तो उस खेत में क्या हुआ था। इलाज के लिए तड़पती रही बेटी को न्याय देने की इच्छा सरकार में क्यों नहीं जगी। सरकार की संवेदना कहां थी मुख्यमंत्री के कलेजे में जरा भी दर्द नहीं हुआ। पीड़ित परिवार न्याय की गुहार करते रहे।

Update: 2020-10-03 12:15 GMT
Exclusive: हाथरस कांड पर बोले अजय कुमार लल्लू, सरकार ने तोड़ी तानाशाही की सभी सीमाएं

अखिलेश तिवारी

लखनऊ: हाथरस गैंगरेप मामले में कांग्रेस ने योगी सरकार को इस तरह से घेरा है कि दलित विरोधी होने के साथ ही सरकार पर अलोकतांत्रिक होने का आरोप भी लग रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी व प्रियंका गांधी को हाथरस जाने से रोकने वाली योगी सरकार ने शनिवार की सुबह से ही कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू समेत अन्य नेताओं को भी राजधानी में उनके घरों में नजरबंद कर दिया है। शनिवार की सुबह कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू से न्यूजट्रैक ने उनके सरकारी आवास पर लंबी बात की।

पेश है न्यूज़ ट्रैक के साथ हुई इस बातचीत के प्रमुख अंश-

हाथरस गैंगरेप पीड़िता मामले में योगी सरकार के रवैये क्षुब्ध और नाराज दिख रहे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि हाथरस में योगी सरकार की पूरी गुंडागर्दी दिखाई दे रही है। सरकार ने अराजकता की पूरी पराकाष्ठा पार कर दी है । रात को डेढ़ बजे हमारे घर पर पुलिस आती है। दरवाजा पीटती है।

नौ अक्टूबर को आपको हाजिर होना है

सोते से जगाती है और कहती है कि आपके खिलाफ हजरतगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज है । नौ अक्टूबर को आपको हाजिर होना है। पूछना चाहते हैं सरकार से कि क्या अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है। एक बेटी के न्याय के लड़ाई लड़ना गुनाह है। मैं अपराधी हूं, गुंडा हूं कि मेरे खिलाफ इतनी फोर्स लगा दी है। मुझे अपने घर से निकलने नहीं दिया जा रहा है पूरी किलाबंदी कर दी गई है। एक तरफ उस बेटी के परिवार को किला बंद कर रखा गया है दूसरी तरफ राजनीतिक लोगों को किला बंद करके रखा जा रहा है। पत्रकारों को नहीं जाने दिया जा रहा है। कौन सा तथ्य छुपाना चाहते हैं । क्यों दबाना चाहते हैं, किस को बचाना चाहते हैं। सरकार को बताना होगा।

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कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने धरना दिया, हुई गिरफ्तारी

हाथरस में पुलिस प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़े करते हुए उन्होंने कहा कि हाथरस गैंगरेप मामला सामने आने पर पहले दिन कांग्रेस पार्टी का दल गया था। उस दिन छेड़छाड़ का मामला दर्ज किया था जब कांग्रेस पार्टी के लोगों ने एसपी से मिलने की कोशिश की थी तो उस दिन भी एसपी ने मिलने से मना कर दिया था। फिर कांग्रेस पार्टी के लोगों ने धरना देना शुरू किया था तब एसपी बाहर आए उन्होंने आनन-फानन में गैर गैंग रेप का मुकदमा दर्ज कराया। फिर भी कार्यवाही नहीं की। जब फिर कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने धरना दिया तब जाकर आरोपितों की गिरफ्तारी हुई लेकिन पूरे मामले में तथ्यों को मिटाने का प्रयास किया गया। मृत्यु प्रमाण पत्र देकर सरकार कह रही है कि उसके साथ किसी तरह की घटना की पुष्टि नहीं हो पा रही है।

मुख्यमंत्री के कलेजे में जरा भी दर्द नहीं हुआ?

सरकार को जवाब देना पड़ेगा कि अगर कुछ नहीं हुआ है तो उस खेत में क्या हुआ था। इलाज के लिए तड़पती रही बेटी को न्याय देने की इच्छा सरकार में क्यों नहीं जगी। सरकार की संवेदना कहां थी मुख्यमंत्री के कलेजे में जरा भी दर्द नहीं हुआ। पीड़ित परिवार न्याय की गुहार करते रहे. लेकिन उन्हें न्याय मिलने के बजाय सरकार के अधिकारियों की ओर से धमकाया गया। मुआवजे को लेकर सौदेबाजी की गई।

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पुलिस ने जबरन रोका राहुल और प्रियंका के साथ धक्का-मुक्की की

सबसे बड़ा जुल्म जो सरकार ने पीड़ित परिवार से बेटी के अंतिम संस्कार का अधिकार छीन कर किया। क्यों बेटी का रात के अंधेरे में जबरन अंतिम संस्कार पुलिस ने कर दिया । आज भी वहां बेटी की अस्थियां पड़ी हुई हैं। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी जब वहां पीड़ित परिवार से मिलने के लिए जाना चाहते थे तो है पुलिस ने जबरन रोका उनके साथ धक्का-मुक्की की लाठीचार्ज किया है कांग्रेस के कई कार्यकर्ता घायल हुए हैं आखिरी योगी सरकार क्या चाहती है इस देश में लोकतंत्र है और लोकतंत्र में तानाशाही नहीं चलेगी।

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एसआईटी जांच लोगों की आंखों में धूल झोंकने के लिए

हाथरस मामले की एसआईटी जांच को लेकर भी उन्होंने सवाल उठाया और कहा कि एसआईटी की जांच कौन कर रहा है योगी सरकार ने इसमें जिन अधिकारियों को लगाया है वह पहले से दागी हैं उन पर आदिवासियों की हत्या का आरोप है ऐसे लोग किसी पीड़ित परिवार को क्या इंसाफ दिलाएंगे। योगी सरकार की पहले की एसआईटी जांच का क्या हुआ आज तक किसी जांच पर कोई कार्यवाही नहीं हुई यह जांच लोगों की आंखों में धूल झोंकने के लिए है।

रिपोर्ट- अखिलेश तिवारी, लखनऊ

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