एएससी-एसटी प्रोन्नति में आरक्षण पर SC की व्याख्या दलित व पिछड़ा विरोधी: माकपा

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा संविधान के अनुच्छेद 16(4) तथा 16(4)ए की व्याख्या को अनसूचित जाति व जनजाति तथा पिछड़े वर्ग का विरोधी बताते हुए सरकार से इसकी समीक्षा के लिए संसद में विधिक प्रस्ताव लाने की मांग की है।

Update: 2020-02-09 16:07 GMT

लखनऊ: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा संविधान के अनुच्छेद 16(4) तथा 16(4)ए की व्याख्या को अनसूचित जाति व जनजाति तथा पिछड़े वर्ग का विरोधी बताते हुए सरकार से इसकी समीक्षा के लिए संसद में विधिक प्रस्ताव लाने की मांग की है। इसके साथ ही माकपा ने आगामी फरवरी व मार्च माह में सीएए-एनपीआर और एनआरसी के विरोध में अभियान चलाने का एलान भी किया है। माकपा कार्यकर्ता सीएए-एनपीआर और एनआरसी की असलियत से जनता को अवगत कराने के लिए घर-घर जायेंगे।

दो दिवसीय राज्य कमेटी बैठक के बाद राज्य सचिव हीरा लाल यादव ने रविवार को बताया कि राज्य कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट के द्वारा संविधान के अनुच्छेद 16(4) तथा 16(4)ए की व्याख्या को अनसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति तथा पिछड़े वर्ग का विरोधी बताया है। यह हो सकता है कि सरकारी नौकरियों तथा पदोन्नति में उनका यह अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है, जैसा कि सुप्रीमकोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए कहा है। पर, अनुसूचित जातियों-जनजातियों, अन्य पिछड़ा वर्ग के इस अधिकार का प्राविधान संविधान में किया गया है जो बाध्यकारी है और पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए।

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माकपा ने केन्द्र सरकार से मांग की है कि ऐसी व्याख्या के चलते पैदा होने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए सरकार संसद के दोनों सदनों में विधिक प्रस्ताव लाये। ऐसी व्याख्या की समीक्षा के लिए सभी विधिक कदमों की संभावना तलाशी जानी चाहिए। माकपा ने आरक्षण और प्रोन्नति में इन प्राविधानों को सभी राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए बाध्यकारी बताया है।

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हीरालाल ने बताया कि आगामी 23 मार्च को शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के शहादत दिवस पर बड़ी कार्यवाही की जायेंगी। उन्होंन कहा कि कि भाजपा सरकार इस मुद््दे पर देश की जनता को गुमराह कर रही है। जनता के जीवन के लिए जरूरी कामों में खर्चे कम करके इस अनावश्यक काम में करोड़ों रुपया पानी की तरह बहाया जा रहा है।

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