एक्सप्रेसवे हादसे : एक साल में हुई 250 से ज्यादा मौतें, अब ड्राइवरों का भी होगा टेस्ट
सरकारी आंकडे बताते हैं कि चालू वित्त वर्ष 2019—20 में अब तक लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर लगभग 54 दुर्घटनाएं हुई, जिनमें 65 से अधिक लोगों की मौत हो गयी जबकि यमुना एक्सप्रेसवे पर भी 54 दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 75 से अधिक लोगों की जान गयी।
लखनऊ: लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे और यमुना एक्सप्रेसवे के निर्माण का मकसद सफर के वक्त को कम करना था, लेकिन तेज रफ्तार, लापरवाही और टायर फटने जैसी घटनाओं के कारण यह लोगों की जिंदगी के सफर को खत्म कर रहे हैं।
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एक्सप्रेसवे पर हादसों में बीते वित्त वर्ष ढाई सौ से ज्यादा लोगों को अपनी जान गंवानी पडी। दुर्घटनाओं को कम करने के उपायों के तहत लंबी दूरी की बसों में दो ड्राइवर रखने तथा ड्राइवरों का ब्रीद एनालाइजर टेस्ट कराने का फैसला किया गया है।
क्या कहते हैं यूपी सरकार के आकड़े?
उत्तर प्रदेश सरकार के आंकडों के अनुसार पिछले वित्त वर्ष में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर 123 दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 130 लोगों की जान गयी जबकि लगभग 250 लोग घायल हुए। इसी अवधि में यमुना एक्सप्रेसवे पर 162 दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 145 लोगों को जान गंवानी पडी जबकि लगभग 200 लोग घायल हुए।
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प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने बताया, 'पिछले दिनों एक्सप्रेसवे पर हुए बस हादसे के बाद हुई समीक्षा में पाया गया कि वाहनों की रफ्तार, रात में ड्राइवरों को नींद आना ओर टायर फटना हादसों की प्रमुख वजह है।'
विधानसभा में उठा सवाल
उल्लेखनीय है कि यमुना एक्सप्रेसवे पर आठ जुलाई को उत्तर प्रदेश राज्य सडक परिवहन निगम :यूपीएसआरटीसी: की जनरथ बस की दुर्घटना में 29 लोगों की जान गयी थी। इसी संदर्भ में यमुना एक्सप्रेसवे पर होने वाले हादसों को लेकर बीएसपी विधायक सुकदेव राजभर ने दो दिन पूर्व विधानसभा में सवाल उठाया था।
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सरकारी आंकडे बताते हैं कि चालू वित्त वर्ष 2019—20 में अब तक लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर लगभग 54 दुर्घटनाएं हुई, जिनमें 65 से अधिक लोगों की मौत हो गयी जबकि यमुना एक्सप्रेसवे पर भी 54 दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 75 से अधिक लोगों की जान गयी। राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने 'भाषा' को बताया कि यमुना एक्सप्रेसवे दुर्घटना के बाद सुधारात्मक उपाय सुझाने के लिए बनी समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया है।
'ब्रीद एनालाइजर' टेस्ट कराने की सिफारिश
समिति ने लंबी दूरी पर चलने वाले ड्राइवरों का 'ब्रीद एनालाइजर' टेस्ट कराने की सिफारिश की है। ब्रीद एनालाइजर खून में एल्कोहल की मात्रा का पता लगाने वाला उपकरण है। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने विधानसभा में कहा कि समिति की उक्त सिफारिश को सरकार ने मान लिया है। सोलह महीने में हुए हादसों को देखें तो इनमें यूपी रोडवेज की बसों के कारण हुई दुर्घटनाओं में 49 लोगों की जान गयी।
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महाना ने कहा, 'परिवहन विभाग को निर्देश दिये गये हैं कि 300 किलोमीटर से अधिक दूरी तय करने वाली बसों में दो ड्राइवर भेजने की व्यवस्था की जाए। सौ किलोमीटर की दूरी तय होने के बाद ड्राइवर के लिए आधे घंटे का आराम सुनिश्चित किया जाए।' उन्होंने कहा कि एक्सप्रेसवे पर ब्रेकर लगाने का नियम नहीं है लेकिन सडक दुर्घटनाएं रोकने के लिए हर 15 किलोमीटर पर 'रंबल स्ट्रिप' लगाने का काम शुरू कर दिया गया है।
निरस्त किये जाएं लाइसेंस
महाना ने कहा कि नशे में गाड़ी चलाने वालों के लाइसेंस निरस्त कर दिये जाएंगे। इस बीच परिवहन निगम के एक अधिकारी ने बताया कि सरकार द्वारा संचालित 286 बस स्टेशनों पर ब्रीद एनालाइजर लगाने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। उन्होंने बताया कि कि अगर कोई ड्राइवर चेकिंग के दौरान नशे में पाया गया तो उसे तत्काल निलंबित कर दिया जाएगा जबकि संविदा ड्राइवर की सेवा वहीं मौके पर समाप्त कर दी जाएगी।
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महाना ने बताया कि एक्सप्रेसवे के साथ अन्य मार्गों पर अधिकतम रफ्तार सौ किलोमीटर प्रति घंटा तय की गयी है। इसका उल्लंघन करने पर चालान किया जाएगा। रास्ते में गति मापने वाले कैमरे लगाये गये हैं। राज्य सरकार ने दुर्घटना के आंकडे विधानसभा में भी पेश किये हैं और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए किये जा रहे प्रयासों के बारे में भी जानकारी दी है।