VIDEO: किसान ने बनाई गोबर से घरेलू गैस, जल उठे गांव के कई चूल्हे

Update:2016-04-15 13:03 IST

गोंडाः कहते हैं कि प्रयास वह कुंजी है, जिससे दुनिया का कोई भी ताला खोला जा सकता है। अगर कुछ कर दिखाने कर जज्बा आपके अंदर है, तो दुनिया का कोई भी काम असंभव नहीं है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है गोंडा जिले के अनिल चन्द्र पांडेय ने। जिस दौर में वैकल्पिक ऊर्जा के लिये तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। वहीं हमारी केंद्र और प्रदेश की सरकारें भी वैकल्पिक को लेकर खासा संजीदा है। ऐसे दौर में बायोगैस के जरिए एक किसान ने खुद को वैकल्पिक ऊर्जा से लैस कर एक अनोखी पहल की है। इन्होंने न केवल मवेशियों से निकलने वाले गोबर को घरेलू गैस में बदल कर खुद को मजबूत बनाया है, बल्कि गांव के और लोग भी इसका फायदा ले पा रहे हैं।

बायो कम्पोस्ट के तौर पर कर रहे उन्नत और जैविक खेती

-जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर की दूरी पर जिले के रुपईडीह ब्लॉक क्षेत्र में एक गांव है।

-जहां पर एक किसान ने सबको मुफ्त रसोई गैस मुहैया कराने की शपथ ली है।

-अनिल चंद्र पांडेय नाम के इस व्यक्ति ने खुद को और ग्रामीणों को महंगाई से निजात दिलाने का बीड़ा उठाया है।

-बायोगैस के जरिए इस किसान ने एलपीजी गैस के विकल्प के तौर प्रयोग किया है।

-मवेशियों से मिलने वाले गोबर का ये दोहरा प्रयोग कर रहे हैं।

-एक तो इसको गोबर गैस के जरिए रसोई में प्रयोग कर रहे हैं।

-वहीं दूसरी ओर बायो कम्पोस्ट से अनिल चंद्र पांडेय उन्नत और जैविक खेती भी कर रहे हैं।

-खुद के साथ साथ इन्होंने आसपास के लोगों को भी इसके लिए प्रेरित किया है।

-गांव के तमाम लोग इसका लाभ ले रहे हैं।

-वहीं घर में चूल्हा चौका और गृहस्थी का जिम्मा जिसके पास है, उनका भी यही मानना है की यह बायोगैस चूल्हे और एलपीजी से लाख गुना बेहतर है।

क्या है जिलाधिकारी का कहना

-जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन का कहना है कि इस तरह के प्रयास सराहनीय हैं।

-समूह बनाकर अगर वैकल्पिक ऊर्जा की इस विधि को लोग अपना रहे हैं, तो शासन और प्रशासन स्तर से भी मदद कर इसको बढ़ावा दिया जाएगा

-वैज्ञानिक और उन्नत तरीके को जिस दिन कृषि प्रधान देश का किसान करना सीख जाएगा।

-उस दिन भारतवर्ष असल मायने में विकसित देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा।

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